प्रदूषण

हैदराबाद की सखी झील में बढ़ते प्रदूषण की मुख्य वजह है दवाओं का कचरा: एनजीटी

एनजीटी ने कहा है कि सखी झील में बढ़ते प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से आसपास के उद्योगों से निकलने वाला फार्मास्युटिकल वेस्ट जिम्मेवार है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चार अक्टूबर, 2024 को कहा है कि सखी झील में बढ़ते प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से आसपास के उद्योगों से निकलने वाला फार्मास्युटिकल वेस्ट जिम्मेवार है। जो पर्यावरण संबंधी नियमों के हो रहे उल्लंघन की ओर भी इशारा करता है। मामला हैदराबाद की सखी झील में बढ़ते प्रदूषण से जुड़ा है।

ऐसे में इस मामले में अदालत ने तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय और हैदराबाद के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस भेजने का आदेश दिया है। इन सभी को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले एनजीटी की दक्षिणी बेंच के समक्ष हलफनामे के जरिए अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा।

इस मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि टाइम्स ऑफ इंडिया में 22 सितंबर, 2024 को छपी एक रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। इस खबरे में सखी झील में बढ़ते प्रदूषण को उजागर किया था।

खबर के मुताबिक दवा सम्बन्धी कचरे का उचित प्रबंधन न करने की वजह से इस कचरे ने झील को दूषित कर दिया। इसकी वजह से झील के पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि यह प्रदूषण मुख्य रूप से आसपास के दवा उद्योगों की वजह से हो रहा है जो अपना कचरा झील में बहा देते हैं।

खबर में यह भी कहा गया है कि प्रदूषण ने जलीय जीवन को खत्म कर दिया है। साथ ही इसकी वजह से पानी आम लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है।

देहरादून में जाखन नदी के पास लगाया जा रहा स्टोन क्रशर, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन अक्टूबर 2024 को अधिकारियों से कहा कि वे जाखन नदी के पास स्थापित किए जा रहे स्टोन क्रशर के मामले की जांच करें, जोकि आवासीय क्षेत्र के पास मौजूद है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि यदि वहां पर्यावरण सम्बन्धी कानूनों का किसी प्रकार का उल्लंघन पाया जाता है, तो उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस मामले में अदालत ने एक संयुक्त समिति के गठन का भी आदेश दिया है। इस समिति में देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट और उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) के अधिकारी शामिल होंगे। वहीं जिला मजिस्ट्रेट समन्वय और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी होंगे।

समिति को यह जांच करने के लिए कहा गया है कि इस प्रस्तावित स्टोन क्रशर के पास सभी आवश्यक अनुमतियां हैं या नहीं और क्या वह अपने साइटिंग से जुड़े नियमों का पालन कर रहा है। यदि नहीं, तो इस मामले में दो महीने के भीतर कार्रवाई की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि इस मामले में देहरादून के डोईवाला में माजरी ग्रांट के ग्राम प्रधान अनिल पाल ने 20 दिसंबर 2023 को एक पत्र भेजी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि यदि अगर स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दी गई तो इससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो सकता है। साथ ही इसकी वजह से फसलें खराब हो सकती हैं और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है।