प्रदूषण

कपड़े धोने से आर्कटिक में बढ़ा माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण

शोधकर्ताओं ने आर्कटिक से समुद्री जल का नमूना लिया जिसमें लगभग 92 प्रतिशत सिंथेटिक फाइबर से बना माइक्रोप्लास्टिक्स पाया गया

Dayanidhi

दुनिया भर में आज बढ़ता माइक्रोप्लास्टिक्स एक चिंता का विषय है, जो दुनिया के सबसे दूर की जगहों तक पहुंच गया है। यह आर्कटिक की बर्फ, वहां के समुद्री जल और तलछट में पाया गया है, लेकिन इसके यहां तक पहुंचने के बारे में जानकारी सीमित है। अब वैज्ञानिकों ने शोध के बाद कहा है कि आर्कटिक के समुद्री जल में अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक्स, पॉलिएस्टर फाइबर, प्लास्टिक प्रदूषण यूरोप और उत्तरी अमेरिका के घरों में कपड़े धोने के दौरान उनसे निकलने वाले पॉलिएस्टर के रेशों से बढ़ा है।

हमारी धरती और समुद्र में प्लास्टिक के कणों ने सबसे अधिक घुसपैठ की है। इन छोटे टुकड़ों को मछलियों के पेट से लेकर समुद्र की सबसे गहरी पहाड़ियों- मारियाना ट्रेंच- आर्कटिक समुद्री बर्फ में खोजा गया है। लेकिन सवाल बिल्कुल वहीं है कि यह प्लास्टिक प्रदूषण आ कहां से रहा है। ओसियन वाइज कंज़र्वेशन समूह और कनाडा के मत्स्य और महासागरों के विभाग द्वारा किए गए नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने आर्कटिक से समुद्री जल का नमूना लिया जिसमें 92 प्रतिशत सिंथेटिक फाइबर से बना माइक्रोप्लास्टिक्स पाया गया।

ओसियन वाइज और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता पीटर रॉस ने कहा कि इसमें से लगभग 73 प्रतिशत पॉलिएस्टर के रूप में पाया गया, जो सिंथेटिक वस्त्रों से निकला है। यहां स्पष्ट निष्कर्ष यह है कि अब हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका के घरों के कपड़ों को धोने से निकलने वाला अपशिष्ट जल के माध्यम से आर्कटिक प्रदूषित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए तंत्र स्पष्ट नहीं है, लेकिन कहा गया है कि उत्तर की ओर रेशों के इधर-उधर जाने में समुद्री धाराएं बड़ी भूमिका निभाती हैं, जबकि वायुमंडलीय प्रणाली भी इसमें अहम भूमिका निभा सकती है। प्लास्टिक हमारे चारों ओर है महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक्स के लिए एकमात्र स्रोत के रूप में कपड़ों पर ही उंगली उठाना अनुचित होगा, फिर भी पॉलिएस्टर फाइबर के एक मजबूत निशान को देखा जा सकता है, जिनके मोटे तौर पर कपड़ों से निकलने के आसार अधिक हैं।

शोधकर्ताओं ने नॉर्वे के ट्रोम्सो से उत्तरी ध्रुव तक 19 हजार किलोमीटर के खंड के साथ-साथ कनाडाई आर्कटिक और ब्यूफोर्ट सागर में, सतह के निकट समुद्री जल के नमूनों को एकत्र किया, जहां उन्होंने लगभग 1 हजार मीटर की गहराई तक कुछ नमूनों का विश्लेषण किया। रॉस ने कहा हमने सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया। यह शोध नेचर कम्युनिकेशन  में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं ने माइक्रोप्लास्टिक्स की पहचान करने और मापने के लिए माइक्रोस्कोपी विश्लेषण का उपयोग किया, जिसे उन्होंने पांच मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक के टुकड़े के रूप में परिभाषित किया। पश्चिम की तुलना में पूर्वी आर्कटिक में लगभग तीन गुना अधिक माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए हैं। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि नए पॉलिएस्टर फाइबर अटलांटिक द्वारा क्षेत्र के पूर्व में फैलाए जा सकते हैं। ओशन वाइज ने वाशिंग मशीनों पर परीक्षण किए हैं और अनुमान लगाया है कि कपड़ों से बने सामान को सामान्य घरेलू रूप से धोने के दौरान उनमें से लाखों फाइबर निकल सकते हैं।

संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र अक्सर प्लास्टिक फाइबर को पकड़ नहीं रहे हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के घरों में गणना से पता चलता है कि वे सालाना 878 टन माइक्रोफाइबर को सामूहिक रूप से निकाल सकते हैं।

रॉस ने कहा टेक्सटाइल सेक्टर अधिक टिकाऊ कपड़े डिजाइन करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं, जिसमें कम शेड अथवा रेशे न निकलने वाले कपड़े डिजाइन करना भी शामिल है, जबकि सरकारें सुनिश्चित कर सकती हैं कि अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों से माइक्रोप्लास्टिक्स को हटाने और नई  प्रौद्योगिकियां स्थापित की जा सकती हैं।

रॉस ने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल कपड़ों के साथ बने उत्पादों को चुनकर और उनकी वाशिंग मशीन पर कपड़ों के रेशों को जमा करने वाला (लिंट ट्रैप) लगाकर कपड़े धोने वाले भी अपनी भूमिका निभा सकते हैं। 2019 में साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया था कि आर्कटिक क्षेत्र में हवाओं द्वारा बड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े और फाइबर पहुंचाए जाते हैं।

कई करोड़ टन प्लास्टिक हर साल सीधे महासागरों में मिल जाता हैं, जहां वे समय के साथ सूक्ष्म कणों में टूट जाते हैं। ग्रैंड व्यू रिसर्च की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में, दुनिया में अब तक जितना प्लास्टिक का उत्पादन हुआ है, उद्योगों के बढ़ने से 2025 तक हर साल प्लास्टिक का उत्पादन में चार प्रतिशत और वृद्धि होने के आसार हैं।