नए शोध से पता चला है कि फूलों की खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को अवशोषित करने वाले हरे रंग के फूलों की फोम दुनिया भर में माइक्रोप्लास्टिक की समस्या को बढ़ा रही है। फूलों के फोम जो छोटे टुकड़ों में टूट जाता है, और प्लास्टिक में बदल जाता है।
फूलों का फोम क्या है? फूलों का फोम एक घने, हल्के और छिद्रयुक्त सामग्री है जिसे लगभग किसी भी आकार में काटा जा सकता है।
साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित ऑस्ट्रेलिया स्थित रॉयल मेलबोर्न इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (आरएमआईटी) के एक अध्ययन में पाया गया कि प्लास्टिक के फोम, जो छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाते हैं। जो बहते हुए नदियों से समुद्र तक पहुंच जाते है। उन्हें मीठे पानी और समुद्री जानवरों द्वारा निगल लिया जाता है, जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
आरएमआईटी के इकोटॉक्सीकोलॉजी रिसर्च ग्रुप के शारलेन ट्रैस्ट्रिल ने कहा कि, फोम के पर्यावरणीय प्रभावों की जांच करने वाला यह पहला अध्ययन है। जलीय जानवरों पर इस पदार्थ के पड़ने वाले प्रभाव को देखा गया।
स्कूल ऑफ साइंस के पीएचडी शोधकर्ता ट्रिस्ट्रिल ने कहा हमने अकशेरुकी (इन्वर्टब्रट) जीवों की एक श्रृंखला के खाने के अलग-अलग परीक्षण किए। हमने पाया की सभी जानवरों ने फोम का इस्तेमाल किया है। कुछ प्रजातियों में इस सामग्री के उपभोग के बाद, उनमें तनाव देखने को मिला।
सस्टेनेबल फ्लोरिस्टिक्स नेटवर्क के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, फूलों के फोम का उपयोग करने वाले अधिकांश फूलवाले, फूल फोम के कणों को नालियों में बहा देते हैं।
वैश्विक स्तर पर 1200 से अधिक फूलों का उपयोग करने वालों (फ्लोरिस्ट) का सर्वेक्षण किया गया। इनमें से दो तिहाई फूल फोम का उपयोग करते हैं। 72 फीसदी फोम अपशिष्ट को सिंक या नाली में बहा देते हैं, जबकि 15 फीसदी इसे बगीचे या मिट्टी में मिला देते हैं।
नाली से बहने वाले छाटे-छाटे फोम कण आपस में मिलकर फोम ब्लॉक बन जाते है। प्रत्येक फोम ब्लॉक का वजन लगभग 10 प्लास्टिक बैगों के बराबर होता है।
सस्टेनेबल फ्लोरिस्ट्री नेटवर्क की संस्थापक, रीता फेल्डमैन ने कहा एक ऐसा उद्योग जो प्रकृति को निखारता है, हम वास्तव में इसके फोम उत्पाद का उपयोग करके पर्यावरणीय समस्याओं को बढ़ा रहे हैं।
यह समस्या उत्पाद के बारे में उपयोगकर्ता की जानकारी की कमी तथा उसके निपटान से सीधे तौर पर उपजी हैं। पिछले 60 वर्षों से, दुनिया भर के फूलों का व्यापार करने वाले इसे नालियों में बहा रहे हैं या मिट्टी में मिला रहे हैं। हमें पता नहीं है कि ग्राहक इसके साथ क्या करते हैं।
1950 के दशक में निर्माता स्मिथर्स ओएसिस द्वारा अमेरिका में अपने आविष्कार के बाद से (फ्लोरल) फूलों का फोम दुनिया भर के फूलों का व्यापार करने वालों की पसंद रहा है।
आरएमआईटी के अध्ययन से पता चला कि फूलों के फोम माइक्रोप्लास्टिक्स भी आसपास के पानी में रसायनों का उपयोग करते हैं और ये अन्य प्लास्टिक परिवारों की तुलना में जलीय अकशेरुकीय जीवों के किए खतरनाक होते हैं।