प्रदूषण

सुंदरगढ़ में पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर रहे उद्योग, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए निर्देश

शिकायतकर्ता सुधांशु शेखर पात्रा का आरोप है कि कई उद्योगों में उनके संयंत्र क्षेत्रों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सुंदरगढ़ में 11 उद्योगों द्वारा की जा रही पर्यावरण नियमों की अनदेखी के मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। इस मामले में 22 नवंबर 2023 को एनजीटी ने चार सदस्यीय समिति गठित की है। बता दें कि इनमें से ज्यादातर लौह और इस्पात उद्योग हैं। कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के बाद दो महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मामला ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले का है।

एनजीटी की पूर्वी पीठ द्वारा जारी आदेश इस आदेश के मुताबिक यदि वहां कोई उल्लंघन पाया जाता है तो समिति दंड, पर्यावरणीय मुआवजे  के साथ-साथ उससे निपटने के लिए जरूरी सुझाव भी कोर्ट को देगी।

एनजीटी ने ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अलावा इन 11 उद्योगों, सुंदरगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

इस मामले में शिकायतकर्ता सुधांशु शेखर पात्रा का आरोप है कि कई उद्योगों में उनके संयंत्र क्षेत्रों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक उपकरण नहीं हैं। उनका यह भी दावा है कि, "स्पंज आयरन इकाइयों ने केवल नाम के लिए डस्टिंग सिस्टम स्थापित किए हैं, और उनका उचित रखरखाव नहीं किया जाता। साथ ही वो खराब बैग के साथ काम कर रहे हैं।"

कटक में रेलवे लाइन के लिए किया 20 लाख क्यूबिक मीटर मोरम का अवैध खनन, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कटक में रेलवे लाइन के लिए मोरम के होते अवैध खनन के आरोपों की जांच का निर्देश दिया है। इसके लिए एनजीटी ने एक संयुक्त समिति के गठन का भी निर्देश दिया है। पूरा मामला भद्रक से नेरगुंडी तक रेलवे ट्रैक के निर्माण के लिए होते मोरम के अवैध खनन के आरोपों से जुड़ा है।

कोर्ट ने इस समिति का साइट का दौरा करने के साथ तीन सप्ताह के भीतर लगाए गए आरोपों पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौपने को कहा है। साथ ही 23 नवंबर 2023 को दिए अपने इस आदेश में एनजीटी ने कहा है कि यदि वहां उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति को जुर्माने के साथ-साथ पर्यावरणीय मुआवजे की भी सिफारिश करनी चाहिए। साथ ही यदि इसकी बहाली के लिए कोई उपाय किए जा सकते हैं तो उसका सुझाव भी कोर्ट को देना चाहिए।

अदालत ने इस मामले में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, ईस्ट कोस्ट रेलवे, ओडिशा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण सहित अन्य लोगों को नोटिस देने का भी निर्देश दिया है।

आरोप है कि भद्रक से नेरगुंडी तक तीसरे रेलवे ट्रैक के निर्माण के लिए टांगी-चौद्वार तहसील के अंतर्गत पंचायत उचापाड़ा के विभिन्न स्थानों से मिट्टी/मोरम ली जा रही है। दावा है कि कटक के अलग-अलग स्थानों से करीब 20 लाख क्यूबिक मीटर मोरम का अवैध खनन किया गया है।

यह भी आरोप है कि विभिन्न गांवों में राजस्व वन भूमि पर भी मोरम का अवैध खनन किया जा रहा है। इसमें पेड़ों की कटाई भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, यह भी दावा किया गया है कि उचापाड़ा ग्राम पंचायत से उचित अनुमति या एनओसी लिए बिना रेलवे लाइन के निर्माण के लिए टांगी-चौद्वार तहसील से हजारों ट्रक मोरम अवैध रूप से निकाला गया है।

आवेदक का कहना है कि चूंकि मोरम एक गौण खनिज है और उसे राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), से खनन योजना के लिए पर्यावरण मंजूरी लिए बिना और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति के बिना स्रोत से नहीं उठाया जा सकता। हालांकि इस मामले में ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है।

गौला और कोसी नदियों की सुरक्षा और बहाली के लिए जिम्मेवार है जिला गंगा समिति: रिपोर्ट

नैनीताल में जिला गंगा समिति, गौला और कोसी नदियों की सुरक्षा और बहाली के लिए जिम्मेवार है। साथ ही यह समिति संबंधित विभागों द्वारा ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) सम्बन्धी परियोजनाओं की देखरेख और सीवेज उपचार संयंत्रों की योजना बनाने जैसे कार्यों के लिए भी जवाबदेह है।

इसके लिए नोडल अधिकारियों को नामित किया गया है और उन्हें गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ विशिष्ट गांवों या क्षेत्रों में उनके निकटवर्ती नदी तलों में प्रदूषण को रोकने का काम सौंपा गया है। ऐसे में यदि वहां कोई उल्लंघन होता है, तो नोडल अधिकारियों को इसके सुधार संबंधी कार्रवाई के लिए जिला गंगा समिति के अध्यक्ष को रिपोर्ट करना आवश्यक है।

यह बातें जिला गंगा संरक्षण समिति, नैनीताल की ओर से दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में कही गई हैं।