जल कुम्भी से पटी साख्य सागर झील; फोटो: सुचिता झा/सीएसई 
प्रदूषण

एमपी के इस शहर में प्रदूषण व अतिक्रमण की मार झेल रही हैं आद्रभूमियां, एनजीटी ने लिया संज्ञान

एनजीटी ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शिवपुरी नगर निगम से संयुक्त समिति की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करने को कहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शिवपुरी नगर निगम से संयुक्त समिति की सिफारिशों को जल्द से जल्द लागू करने को कहा है। मामला जाधव सागर, साख्य सागर और माधव सागर झीलों को बचाने से जुड़ा है।

इसके साथ ही वेटलैंड अथॉरिटी को वेटलैंड रूल्स, 2017 के अनुसार इन वेटलैंड्स को चिह्नित करने और संरक्षित करने के लिए भी कहा गया है। 19 नवंबर 2024 को दिए अपने इस आदेश में अदालत ने प्रतिवादियों से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

समिति के सदस्यों ने साइट का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि शिवपुरी में जल स्रोत पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जल स्रोत दूषित पानी और कचरे की वजह से दूषित हो रहा है।

संयुक्त समिति ने जिला प्रशासन को वेटलैंड नियम, 2017 का सख्ती से पालन करने के साथ-साथ वेटलैंड पर हो रहे किसी भी तरह के अतिक्रमण को रोकने की सलाह दी है। समिति ने जाधव सागर, साख्य सागर और माधव सागर झीलों से वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके खरपतवार हटाने का भी सुझाव दिया है।

झीलों की जल भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए समिति ने झीलों के तल के जीर्णोद्धार और बायोरेमेडिएशन की भी सिफारिश की है।

इसके साथ ही उन्होंने पीएचईडी शिवपुरी और नगर पालिका से दूषित या आंशिक रूप से साफ किए सीवेज को झीलों में जाने से रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है।

गौरतलब है कि इस बारे में जारी आवेदन में जल अधिनियम, 1974 के उल्लंघन को उजागर किया था। आरोप है कि नियमों को ताक पर रख जाधव सागर और साख्य सागर झीलों में दूषित पानी के साथ-साथ कचरा भी डाला गया था।

शिवपुरी के सबसे पुराने जल निकायों में से एक जाधव सागर झील को वेटलैंड के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह झील साख्य सागर के साथ मिलकर आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन नियम, 2017 के तहत संरक्षित आर्द्रभूमि परिसर बनाती है।

इन झीलों के पारिस्थितिकीय महत्व के बावजूद, नगर पालिका ने ₹1.35 करोड़ का टेंडर जारी किया है। इसमें आसपास के नालों के 500 मीटर हिस्से को पक्का करना शामिल है। यह निर्माण यहां रहने वाले मगरमच्छों के साथ-साथ क्षेत्र की जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।

इसके अलावा जाधव सागर और साख्य सागर के पानी की गुणवत्ता अनियमित इंसानी गतिविधियों, कचरे और दूषित सीवेज के कारण खराब हो रही है, जो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन है। इससे यूट्रोफिकेशन और जलकुंभी बढ़ी हैं, जिससे इसके पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच रहा है।

बता दें कि 15 मार्च 2023 को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शिवपुरी नगर परिषद, खनिज एवं संसाधन विभाग और वन विभाग को साख्य सागर और जाधव सागर झीलों के आसपास के हरित क्षेत्र को सुरक्षित रखने और पारिस्थितिकी को होते नुकसान को रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए थे। हालांकि शिकायत के मुताबिक इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

जांच के दायरे में मुजफ्फर नगर का कागज और लुगदी उद्योग, वायु प्रदूषण से जुड़ा है मामला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में कागज और लुगदी उद्योगों की कड़ी निगरानी की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कुशलता से काम करें और हवा में हो रहे राख उत्सर्जन को रोका जा सके। यह बातें एमिकस क्यूरी राहुल खुराना द्वारा 20 नवंबर, 2024 को एनजीटी में दायर एक रिपोर्ट में कही गई हैं।

एमिकस क्यूरी ने 15 नवंबर, 2024 को नौ इकाइयों का दौरा किया। उन्होंने अदालत को जानकारी दी है कि इस क्षेत्र में राख और धुआं हवा में छोड़ा जा रहा है, जो समस्या पैदा कर रहा है। जांच के दौरान दो कारखानों से घना काला धुआं निकलता पाया गया। वहीं कई अन्य स्टैक से धुआं निकल रहा था, जिन्हें पहचानने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि मुजफ्फर नगर में जहरीली गैसों और कारखानों से निकलने वाले काले धुएं के कारण गंभीर वायु प्रदूषण के बारे में पत्र याचिका मिलने के बाद एनजीटी ने स्वतः कार्रवाई की है।