प्रदूषण

ओजोन प्रदूषण से बढ़ रहा है हृदय रोग, लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ी

Dayanidhi

एक तीन साल के अध्ययन में पाया गया कि ओजोन प्रदूषण हृदय रोग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। यह माना जाता है कि जलवायु परिवर्तन, ओजोन गठन के पक्ष में वायुमंडलीय परिस्थितियों का निर्माण करके, दुनिया के कई हिस्सों में प्रदूषण की मात्रा को बढ़ाता रहेगा।

अध्ययन के परिणामों से पता चलता हैं कि वृद्ध लोग विशेष रूप से ओजोन के हृदय पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों के सबसे अधिक खतरे में हैं। जलवायु परिवर्तन और वैश्विक आबादी की तेजी से उम्र बढ़ने से भविष्य में हृदय रोग के और भी अधिक खतरे पैदा हो सकते हैं।

यह अध्ययन चीन के शीआन जियाओतोंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाओवेई वू की अगुवाई में किया गया है। 

ओजोन एक गैस है और फोटोकैमिकल स्मॉग या धुंध में मुख्य वायु प्रदूषक है। ओजोन प्रदूषण ओजोन परत से अलग है, जो सूर्य के अधिकांश पराबैंगनी विकिरण को अवशोषित करती है। ओजोन प्रदूषण तब बनता है जब अन्य प्रदूषक सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रतिक्रिया करते हैं।

ये अन्य प्रदूषक वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और नाइट्रोजन ऑक्साइड हैं जो मोटर वाहनों, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, रिफाइनरियों, रासायनिक संयंत्रों और बायोमास और जीवाश्म ईंधन जलाने से उत्सर्जित होते हैं। पिछले अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि ओजोन प्रदूषण हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन हृदय रोग के खतरे पर इसके प्रभाव के बारे में सीमित जानकारी हैं।

इस अध्ययन में कार्डियोवैस्कुलर या हृदय रोग के लिए ओजोन प्रदूषण और अस्पताल में भर्ती होने के बीच संबंध की जांच की गई। चीन के 70 शहरों में 2015 से 2017 के दौरान हृदय रोग के लिए हर रोज अस्पताल में भर्ती होने के आंकड़े दो मुख्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा प्रणालियों से एकत्र किए गए थे।

अध्ययन अवधि के दौरान, दो डेटाबेस ने 70 शहरों में लगभग 25.8 करोड़ लोगों को कवर किया, जो चीन की 18 फीसदी से अधिक आबादी के बराबर है।

हृदय रोग के प्रकारों में कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक और दिल की विफलता, अन्य उपप्रकार जैसे एनजाइना, तीव्र रोधगलन, तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम, इस्केमिक स्ट्रोक और रक्तस्रावी स्ट्रोक शामिल हैं।

शहरी वायु गुणवत्ता को देखा गया जो प्रत्येक शहर के लिए ओजोन, सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5), सांस लेने योग्य कण (पीएम 10), सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के हर दिन के आठ घंटे की अधिकतम औसत मात्रा दर्ज की गई थी।

अध्ययन के दौरान, 70 शहरों में हृदय रोग के 6,444,441 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए और औसत हर रोज आठ घंटे की अधिकतम ओजोन सांद्रता 79.2 प्रति घन मीटर थी। अन्य वायु प्रदूषकों से स्वतंत्र, रक्तस्रावी स्ट्रोक को छोड़कर अध्ययन किए गए सभी हृदय रोगों के लिए परिवेशी ओजोन के संपर्क के कारण अस्पताल में भर्ती होने में वृद्धि हुई थी। उदाहरण के लिए, दो दिन के औसत आठ घंटे की अधिकतम ओजोन सांद्रता में प्रत्येक 10 प्रति घन मीटर वृद्धि स्ट्रोक के अस्पताल में भर्ती होने के लिए 0.40 फीसदी और तीव्र हृदय संबंधी रोग के लिए 0.75 फीसदी की वृद्धि से जुड़ी पाई गई।

प्रोफेसर वू ने कहा हालंकि ये वृद्धि मामूली दिखती है, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि गर्मियों में ओजोन का स्तर 200 प्रति घन मीटर से अधिक हो सकता है और अस्पताल में भर्ती होने में 20 गुना से अधिक वृद्धि  हो सकती है जहां स्ट्रोक बढ़कर आठ फीसदी से अधिक हो जाएगा।  

शोधकर्ताओं ने यह भी अनुमान लगाया कि 70 प्रति घन मीटर से नीचे के स्तर की तुलना में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश (100 प्रति घन मीटर ) पर या उससे ऊपर ओजोन की मात्रा से जुड़े हृदय रोग के लिए अत्यधिक खतरे है। 70 प्रति घन मीटर  से नीचे ओजोन का स्तर ज्यादातर प्राकृतिक रूप से होता है और मानव गतिविधि के कारण नहीं होता है।

70 प्रति घन मीटर  से कम दो-दिवसीय औसत आठ घंटे की अधिकतम सांद्रता की तुलना में, 100 प्रति घन मीटर  या उससे अधिक के स्तर हृदय रोग के लिए अस्पताल में प्रवेश में पर्याप्त वृद्धि के साथ जुड़े थे, स्ट्रोक के लिए 3.38 फीसदी से लेकर तीव्र रोधगलन के लिए 6.52 फीसदी तक, फिर भी, 70 से 99 प्रति घन मीटर (बनाम 70 प्रति घन मीटर से नीचे) की कम सांद्रता भी अस्पताल में दाखिले में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी, जो हृदय की विफलता के लिए 2.26 फीसदी  से लेकर कोरोनरी हृदय रोग के लिए 3.21 फीसदी तक थी।

2015 से 2017 के दौरान, ओजोन प्रदूषण के कारण कोरोनरी हृदय रोग के 3.42 फीसदी, दिल की विफलता के 3.74 फीसदी और स्ट्रोक के 3.02 फीसदी मरीज अस्पताल में भर्ती हुए। जब हर साल का अलग-अलग विश्लेषण किया गया, तो अनुपात समय के साथ बढ़ता गया।  कोरोनरी हृदय रोग के लिए, तीन वर्षों में 3,194,577 लोग अस्पताल में भर्ती हुए जिनमें से 109,400 के लिए ओजोन प्रदूषण जिम्मेदार था।

प्रोफेसर वू ने कहा इससे पता चलता है कि 109,400 कोरोनरी हृदय रोग से बचा जा सकता था यदि ओजोन सांद्रता 0 प्रति घन मीटर  होती तो। प्राकृतिक स्रोतों से ओजोन की उपस्थिति को हासिल करना असंभव हो सकता है। हालांकि, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि काफी संख्या में हृदय रोग के लिए अस्पताल में भर्ती होने से बचा जा सकता है यदि स्तर 100 प्रति घन मीटर  से कम हो।

यूरोप के अनुमानों से पता चलता है कि ओजोन भविष्य में बढ़ते तापमान के साथ जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य को अधिक खतरे के रूप में प्रभावी भूमिका निभाएगा। जलवायु परिवर्तन और वायु गुणवत्ता के बीच मजबूत कड़ी का मतलब है कि ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए लंबी अवधि में उत्सर्जन को कम करना, जो ओजोन प्रदूषण को कम करने और उस हवा में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिसमें हम सांस लेते हैं। यह अध्ययन यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है।