ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ओरेगॉन तट पर भोजन करने वाली ग्रे व्हेल प्रति दिन 2.1 करोड़ माइक्रोप्लास्टिक के कणों को निगल लेती हैं। इस बात की जानकारी व्हेल के मल का विश्लेषण करने से सामने आई है।
माइक्रोपार्टिकल प्रदूषण में माइक्रोप्लास्टिक और कपड़ों से निकलने वाले रेशे सहित लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली अन्य सामग्री शामिल हैं। शोधकर्ता लेघ टोरेस और सुज़ैन ब्रैंडर के अनुसार यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि ये कण तेजी से बढ़ रहे हैं और आने वाले दशकों में भी ऐसा जारी रहने का पूर्वानुमान लगाया गया है।
बढ़ते नाव यातायात और शिकार के नुकसान से संबंधित बाधाओं के अलावा, माइक्रोपार्टिकल प्रदूषण ग्रे व्हेल के स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
ओरेगॉन स्टेट के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता लेई टोरेस ने कहा, ये काफी डरावनी संख्या हैं। धीरे-धीरे हम सभी अधिक से अधिक माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आ रहे हैं।
ओरेगन स्टेट के एसोसिएट प्रोफेसर और इकोटॉक्सिकोलॉजिस्ट और सह-अध्ययनकर्ता सुज़ैन ब्रैंडर ने कहा कि निष्कर्ष सूक्ष्म कणों के निकलने पर और मजबूती से अंकुश लगाने की जरूरत है, क्योंकि उनके जीवों और पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
ब्रैंडर ने कहा, यह मुद्दा विश्व स्तर पर गति पकड़ रहा है और कैलिफोर्निया जैसे कुछ राज्यों ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लेकिन यहां ओरेगॉन सहित और अधिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह समस्या जल्द ही दूर होने वाली नहीं है।
अध्ययन लगभग 230 ग्रे व्हेल के एक समूह पर आधारित था जिसे पैसिफिक कोस्ट फीडिंग ग्रुप के नाम से जाना जाता है। वे सर्दियां बाजा कैलिफ़ोर्निया, मैक्सिको में बिताते हैं और जून से नवंबर तक उत्तरी कैलिफ़ोर्निया से दक्षिणी ब्रिटिश कोलंबिया तक तटीय आवासों में भोजन खोजने के लिए उत्तर की ओर पलायन करते हैं।
2015 से, टोरेस, जो ओएसयू समुद्री स्तनपायी संस्थान में समुद्री मेगाफौना प्रयोगशाला के पारिस्थितिकी का नेतृत्व कर रहे हैं और उनकी टीम में लिसा हिल्डेब्रांड भी शामिल हैं। हिल्डेब्रांड ने ग्रे व्हेल के इस समूह के स्वास्थ्य और व्यवहार का अध्ययन करने के लिए ड्रोन और अन्य उपकरणों का उपयोग किया है। इस काम के तहत उन्होंने ग्रे व्हेलों के मल के नमूने एकत्र किए।
नए अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने जोप्लांकटन एकत्र किए, जिसे भोजन के रूप में ग्रे व्हेल और मछलियां खाती हैं।
हिल्डेब्रांड ने कहा, हमने कई जोप्लांकटन प्रजातियों की कैलोरी सामग्री निर्धारित की थी, इसलिए आगे हम जानना चाहते थे कि इन वस्तुओं की गुणवत्ता की पूरी तस्वीर हासिल करने के लिए उनका माइक्रोपार्टिकल भार जानना जरूरी है।
ब्रैंडर, हिल्डेब्रांड और ब्रैंडर के इकोटॉक्सीकोलॉजी और पर्यावरण संबंधी लैब के सदस्यों ने व्हेल के भोजन करने वाले क्षेत्रों से एकत्र किए गए 26 जोप्लांकटन के नमूनों में माइक्रोपार्टिकल का विश्लेषण किया और उन सभी में माइक्रोपार्टिकल्स पाए गए। कुल 418 संदिग्ध माइक्रोपार्टिकल्स की पहचान की गई, जिनमें से 50 फीसदी से अधिक में रेशे या फाइबर थे।
टोरेस और हिल्डेब्रांड ने उस आंकड़े को स्तनपान कराने वाली और गर्भवती मादा ग्रे व्हेल के लिए ज्ञात अनुमानों के साथ जोड़ा, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि वे एक दिन में कितने जोप्लांकटन और माइक्रोपार्टिकल्स का सेवन करते हैं। इससे अनुमान लगाया गया कि स्तनपान कराने वाली और गर्भवती व्हेल प्रति दिन 65 लाख से 2.1 करोड़ माइक्रोपार्टिकल्स का सेवन करती हैं।
टोरेस ने कहा, यह एक चेतावनी है कि व्हेल जो खाती हैं उससे उन्हें बहुत अधिक माइक्रोप्लास्टिक मिल रहा है। इस बात की बहुत अधिक आशंका है कि लोगों के मछली के सेवन करने से भी उनके शरीर में बहुत सारा माइक्रोप्लास्टिक पहुंच रहा है।
ग्रे व्हेलों के पानी और समुद्र तल तलछट से सीधे अधिक सूक्ष्म कणों को निगलने की आशंका हैं क्योंकि वे फ़िल्टर फीडर होते हैं जो शिकार का सेवन करते समय बड़ी मात्रा में पानी निगलते हैं और समुद्र तल से शिकार करने के लिए सक्शन फीडिंग का भी उपयोग करते हैं।
मल के नमूनों के विश्लेषण से पता चला कि ये ग्रे व्हेल किस प्रकार के सूक्ष्म कणों को पचा रही थीं। शोधकर्ताओं ने पांच मल के नमूनों का विश्लेषण किया और उन सभी में सूक्ष्म कण पाए गए, अधिकांश सूक्ष्म कण रेशे थे।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि मल में सूक्ष्म कण जोप्लांकटन में पाए जाने वाले कणों की तुलना में काफी बड़े थे, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि बड़े कण पानी या तलछट से आए हैं, शिकार से नहीं।
टोरेस ने कहा, ये व्हेल पहले से ही हर समय नावों के चलने और उनमें से किसी एक नाव से टकराने के खतरे का सामना करती हैं। पर्यावरण में बदलाव के कारण उनके पास शिकार भी कम हो सकता है, जैसे समुद्री घास का कम होना। अब इन भारी माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा के कारण शिकार की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
ब्रैंडर और टोरेस ने जोप्लांकटन पर माइक्रोफ़ाइबर के प्रभावों का अध्ययन करके अपनी जांच जारी रखते हुए ओरेगॉन के पानी में व्हेल और मछली के लिए एक महत्वपूर्ण भोजन स्रोत हैं।
टॉरेस ने कहा, यह सब बुरे पोषण और खराब स्वास्थ्य के लिए जिम्मवार हो सकता है, इससे विकास रुक सकता है, शरीर का आकार छोटा हो सकता है, बच्चे पैदा करने की क्षमता कम हो सकती है और जानवर अब इस निवास स्थान का उपयोग नहीं कर रहे हैं। ये सभी भारी चिंता का विषय है। यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।