प्रदूषण

24 दिन से जल रहा है कचरा, लॉकडाउन में भी प्रदूषण झेल रहे हैं लोग

जयपुर का कचरा सेवापुरा डंपिंग ग्राउंड में डाला जाता है, जहां 24 दिन से आग लगी हुई है, जिसकारण लोगों का सांस लेना मुहाल हो गया है

Madhav Sharma

जयपुर शहर का कचरा बीते 24 दिनों से 20 गांवों के लोगों की सांसों को भारी पड़ रहा है। शहर के कचरा प्लांट सेवापुरा में कचरे के ढेर में बीते 24 दिन से आग लगी हुई है। जयपुर नगर निगम को सूचना देने के बाद भी अब तक आग पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है। आग से आस-पास के 20 गांवों के हजारों लोगों का जीना दूभर हो गया है। लोगों के घरों में धुआं भर गया है। बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी है।

वहीं, आग से उठे धुआं के कारण आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सेवापुरा से किलोमीटर दूर शास्त्री नगर में प्रदूषण की मात्रा मापी जाती है। यहां के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 18 दिन में पीएम-10 का स्तर चार गुना तक बढ़ गया है। 31 मार्च को जहां पीएम-10 सिर्फ 36.24 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। 18 अप्रैल को ये बढ़ कर 150.82 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर हो गया है। राजस्थान में 21 मार्च को लगे लॉकडाउन के बाद इस क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर लगातार घट रहा था।

साथ ही पीएम-2.5 के स्तर में भी थोड़ी बढ़ोतरी हुई है। 31 मार्च को पीएम-2.5 का स्तर 26.58 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था। जो अब बढ़कर 39.84 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर हो गया है।

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल जयपुर उत्तर के रीजनल ऑफिसर एम.सी शर्मा ने बताया कि विभाग सेवापुरा क्षेत्र में अलग से प्रदूषण के आंकड़े नहीं रखता है। वीकेआई या शास्त्री नगर एरिया के आंकड़ों का ही हम इस्तेमाल करते हैं।

सेनेटाइजिंग में जुटी हैं फायर ब्रिगेड

सेवापुरा कचरा डिपो जयपुर की आमेर तहसील की एक ग्राम पंचायत है। यहां पिछले कई सालों से जयपुर नगर निगम पूरे शहर का कचरा डम्प करता है। स्थानीय निवासी उम्मेद सिंह चारण ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि ‘निगम एक दिन में एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी भेजता है, लेकिन आग का क्षेत्र ज्यादा होने से काबू नहीं हो पा रही है। प्रशासन ने सिर्फ एक गाड़ी फायर ब्रिगेड की भेजी थी। गाड़ी के साथ आने वाला स्टाफ कहता है कि कोरोना संक्रमण के चलते सेनेटाइजिंग के काम में सारी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां लगी हुई है।’

उम्मेद कहते हैं, ‘गर्मियों में आग लगने की कई बार घटनाएं होती रहती हैं। कचरा बीनने वाले लोग भी कई बार आग लगा देते हैं। आग से करीब 20 गांव प्रभावित हैं। लूनियावास, भैरू खेजड़ा, हनुमानपुरा, बिशनगढ़, दीपपुरा, लक्ष्मीनारायणपुरा, बढ़ारणा, खैरवाड़ी, मंगरा ढाणी के लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं।’

सेवापुरा पंचायत के एक और गांव नांगल पुरोहितान निवासी हर्ष चौधरी बताते हैं कि ‘कई दिन से कचरे में आग सुलग रही है। हमारे घरों और जानवरों के बाड़ों में भी धुआं भर गया है। सांस लेने में भी कड़वाहट महसूस हो रही है। बुजुर्गों और बच्चों को खांसी और जुकाम भी हो रहा है। हमारी आंखों और शरीर में जलन और खुजली होने लगी है।’

डाउन-टू- अर्थ ने जयपुर नगर निगम के कमिश्नर विजय पाल सिंह से इस संबंध में बात की। उन्होंने बताया कि ‘सेवापुरा कचरा डिपो में गीला कचरा भी जाता है। ज्यादा समय तक इकठ्ठा होने के कारण कचरे में मीथेन गैस बन जाती है। गर्मियों में ये आग पकड़ती है और ऐसी घटनाएं होती हैं। हमने 4-5 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां वहां भेजी हैं और अब आग पर काबू पा लिया गया है।’ सिंह बताते हैं कि ‘सेवापुरा लैंडफिल साइट की क्षमता 250 मीट्रिक टन ही है, लेकिन यहां क्षमता से ज्यादा कचरा जमा हो जाता है। इसीलिए कचरा ट्रीट भी नहीं हो पाता। लॉकडाउन में निगम की लगभग सभी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सेनेटाइजिंग के काम में लगी हुई है। हालांकि हमने दो दिन पहले तीन गाड़ियां भेजी थीं और अब आग काबू में है।’

हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि आग अभी भी सुलगी हुई है। एक तरफ तो कोरोनो संक्रमण के कारण हुई लॉकडाउन में लोग घरों में बंद हैं, दूसरी ओर आग से घरों में धुआं भर गया है। इससे हम घरों में भी नहीं रह पा रहे हैं।