प्रदूषण

जंगल की आग से सेहत को हो रहा है भारी नुकसान:अध्ययन

अध्ययन के मुताबिक जंगलों की बढ़ती आग से निकले वाले धुएं का स्वास्थ्य पर भारी बोझ पड़ेगा, लाखों लोगों को सांस, हृदय और प्रतिरक्षा संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ेगा।

Dayanidhi

जंगल की आग से निकलने वाले धुएं से हर साल दुनिया भर में समय से पहले 2 लाख से अधिक मौतें हो जाती हैं। वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि जंगल की आग के धुएं में ऐसा क्या है जो इसे प्रदूषण के अन्य रूपों की तुलना में मनुष्यों के लिए अधिक हानिकारक बनाता है। वैज्ञानिक धुएं के स्वास्थ्य पर कम और लंबे समय में पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल कर रहे हैं। इस बारे में पता लगाना अहम हो जाता है कि, जंगल में लगने वाली आग की वजह से हजारों किलोमीटर तक फैलने वाले धुएं में लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ कैसे रखा जाए।

हाल के वर्षों में जंगल में आग लगने की घटनाओं में तेजी आई है। जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में सूखे और लू को बढ़ा रहा है। यह उस क्षेत्र को लगभग दोगुना कर रहा है जहां चिंगारी सूखी वनस्पति में आग लगा सकती है और खतरे को भयावह रूप दे सकती है। नतीजतन, दुनिया भर में जंगलों में बार-बार लगने वाली आग का आकार और तीव्रता बढ़ रही है और धुएं के मौसम लंबे होते जा रहे हैं।

पिछले एक दशक में जंगल की आग ने पश्चिमी संयुक्त राज्य को तबाह कर दिया है। लेकिन अन्य देशों ने भी अपने जीवन की सबसे भयंकर आग का सामना किया है। इस साल रूस के साइबेरिया क्षेत्र में लगी आग ने दुनिया के अन्य सभी आग लगने घटनाओं की तुलना में एक बड़ा क्षेत्र जला दिया है। ऑस्ट्रेलिया अभी भी अपने 2019 और 20 में झाड़ियों में लगी आग से जूझ रहा है। विनाशकारी या जिसे बोलचाल की भाषा में 'ब्लैक समर' कहा जाता है, जिसने हजारों घरों को नष्ट कर दिया और कम से कम 30 लोगों और लाखों जानवरों को मार डाला।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के पर्यावरण अर्थशास्त्री सैम हेफ्ट-नील कहते हैं कि पिछले 5 वर्षों में जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं ने स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को बढ़ा दिया है।

जंगल की आग से निकलने वाला जहरीला मिश्रण

जंगल की आग के धुएं में दर्जनों अलग-अलग तरह के कण होते हैं, जैसे कि कालिख और रसायन। जिनमें कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल है, लेकिन वायु गुणवत्ता के विशेषज्ञों के लिए मुख्य चिंताओं में से एक धुएं में पाए जाने वाले सूक्ष्म कण पीएम 2.5 हैं। पीएम 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम की माप के अंतर्गत आते हैं। पीएम 2.5 इंसान के बाल की चौड़ाई के औसतन 1/40वें भाग के बराबर होते हैं।

अध्ययनकर्ता प्रूनिकी के साथ काम करने वाले अग्निशामकों को इस पीएम 2.5 की अधिक मात्रा का सामना करना पड़ेगा। लेकिन बोस्टन, मैसाचुसेट्स में हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक बायोस्टैटिस्टिस्ट फ्रांसेस्का डोमिनिकी के अनुसार, सांस लेने के लिए सुरक्षित सूक्ष्म कणों की कोई मात्रा नहीं है क्योंकि यह फेफड़ों की सबसे छोटी दरारों में गहराई तक घुसने के लिए जाने जाते हैं और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। 

ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट में तस्मानिया विश्वविद्यालय में एक पर्यावरण महामारी विज्ञानी जॉन्सटन कहते हैं की जब धुआं वायु मार्ग में प्रवेश करता है, तो शरीर प्रतिक्रिया करता है जैसे वहां रोगाणु और संक्रमण होता है। यह शारीरिक परिवर्तनों के एक पूरे समूह के साथ सामने आता है। यह हार्मोन कोर्टिसोल और रक्त ग्लूकोज स्पाइक, जो बदले में हृदय की लय में बदलाव करता है और इससे रक्त के थक्के बनने की अधिक आशंका होती है। फेफड़ों की परत में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने अग्निशामकों की ओर रुख करते हुए कहा कि, जो लोग व्यावसायिक स्तर पर धुएं के खतरों का सामना करते हैं, क्या उनके बायोमार्कर में किसी भी बदलाव का पता लग सकता है। क्या परिवर्तन लंबे समय तक चलने वाले होते हैं या उन लोगों के समान हैं जो धुएं का सामना नहीं करते हैं लेकिन फिर भी धुएं के शिकार होते हैं। आग के करीब, पीएम 2.5 कभी-कभी 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक हो जाता है, 24 घंटे तक सम्पर्क में आने से इसका स्तर 15 गुना तक अधिक पहुंच सकता है।

डोमिनिकी कहते हैं, जंगल की आग एक सीमित इलाके तक नहीं रहती है। धुआं लोगों को संक्रामक रोगों की ओर ले जा सकता है या कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा सहित अन्य सांस की बीमारियों को बढ़ा सकता है। 

धुएं के मानव शरीर पर दीर्घकालिक प्रभाव

धुएं के इंसानों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना मुश्किल है। धुएं के सम्पर्क में आने के बाद लोगों के स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए लंबे समय तक अध्ययनों को जारी रखना होगा। इस सबके बावजूद भी धुएं के इंसानों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव देखे गए हैं।

धुएं के घर के अंदर और बाहर प्रभाव

वैज्ञानिक अभी भी अलग-अलग परिस्थिति में लोगों के जंगल की आग के धुएं के खतरे को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। केवल पिछले कुछ वर्षों में शोधकर्ताओं ने मौसम संबंधी मॉडल और उच्च गुणवत्ता वाले उपग्रह डेटा के लिए मशीन-लर्निंग तकनीकों को लागू किया है, ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि वातावरण में धुआं कैसे फैलता है। घरेलू वायु गुणवत्ता वाले सेंसर शोधकर्ताओं को वास्तविक समय के डेटा प्रदान करते हैं जिसके साथ पीएम 2.5 के स्तरों को अधिक सटीक रूप से ट्रैक किया जा सकता है।

अध्ययनकर्ता मिलर कहते हैं, यह समझना होगा कि जंगल की आग के धुएं में कौन से रसायन अन्य प्रकार के प्रदूषण की तुलना में श्वसन संबंधी स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक हैं। वे मानव कोशिकाओं के साथ कैसे संपर्क करते हैं और उन्हें किस तरह नुकसान पहुंचाते हैं। यह अध्ययन नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए इनडोर और सामुदायिक स्तरीय वायु गुणवत्ता वाले सेंसर से मदद ली जा सकते है। इनसे व्यक्तिगत निगरानी भी होगी, खासकर उन लोगों के लिए जो, अग्निशामक स्वयंसेवकों की तरह धुएं का सामना करते हैं। 

वर्तमान में लगाए गए अनुमानों से पता चलता है कि बढ़ते उत्सर्जन का स्वास्थ्य पर भारी बोझ पड़ेगा। लाखों लोगों में सांस, हृदय और प्रतिरक्षा संबंधी बीमारी होने के आसार हैं, विशेष रूप से अधिक खतरे वाले समुदायों में। जॉनसन कहते हैं की यदि हम ऑस्ट्रेलिया में पड़ने वाली भयंकर गर्मी से समय से पहले होने वाली मौत और अस्पताल में भर्ती होने से जुड़ी स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे का अनुमान लगाएं तो यह 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक है।