प्रदूषण

एनसीएपी के पांच वर्ष: वायु गुणवत्ता सुधारने में वाराणसी देश में नंबर एक, दिल्ली में 2022 की तुलना में सुधार

-केंद्र के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के पांच वर्ष पूरे होने पर क्लाइमेट ट्रेंड्स और रिस्पायरर साइंस की रिपोर्ट से सामने आया आंकड़ा

DTE Staff

देश में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने जिस राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम यानी एनसीएपी की शुरुआत की थी, आज उसके पहले चरण के पांच वर्ष पूरे हो गए हैं। 10 जनवरी 2019 को आरंभ हुए इस कार्यक्रम में पीएम2.5 और पीएम 10 (अतिसूक्ष्म हानिकारक पर्टिकुलेट मैटर) को 2023 तक 20 से 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया था।

वायु गुणवत्ता सुधारने के मामले में देश के 131 शहरों में वाराणसी नंबर एक स्थान पर रहा है। जबकि आगरा, जोधपुर, कानपुर, मेरठ और लखनऊ में भी पीएम कणों में कमी आई है। आगरा में 53, जोधपुर व कानपुर में 50-50, मेरठ में 42 और लखनऊ में 41 प्रतिशत की कमी पीएम कणों में पाई गई है। ओडिशा के छोटे शहर तलचेर में 39 प्रतिशत और कलाबुर्गी में 32 प्रतिशत की कमी रही है।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी ने पीएम2.5 कणों से होने वाले प्रदूषण में 72% तक की उल्लेखनीय कमी कर ली है जोकि केंद्र सरकार द्वारा 2026 के लिए तय किए गए लक्ष्य से भी अधिक है। श्री काशी विश्वनाथ की नगरी ने पीएम10 कणों में भी 69 प्रतिशत की सराहनीय कमी की है।

वाराणसी में पीएम2.5 में 96 µg/m³ से 26.9 और पीएम10 में 202.5 µg/m³ से 62.4 तक की कमी आई है। वर्ष 2023 में देश के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 में पीएम2.5 के स्तर में सुधार है, जिसमें दिल्ली और पटना भी शामिल हैं। नवी मुंबई और उज्जैन में पीएम कणों का प्रदूषण बढ़ा है। नवी मुंबई और उज्जैन में पीएम2.5 में 46-46 और मुंबई में 39 प्रतिशत की वृद्धि एनसीएपी में दर्ज की गई है। 

बढ़ाया गया लक्ष्यः

पीएम10 के मामले में भी 14 शहरों में सुधार है। हालांकि देश की राजधानी लक्ष्य से अब भी पीछे ही है। वायु प्रदूषण कम करने का लक्ष्य अब 2026 के लिए 40 प्रतिशत कर दिया गया है। कार्यक्रम पर अब तक 9631.23 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की जा चुकी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस कार्यक्रम के तहत कवर शहरों में वायु गुणवत्ता मानीटर लगाए हैं जिनके डाटा के आधार पर पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स और रिस्पायरर साइंस ने पांच वर्षो की यात्रा में एनसीएपी की गहन विश्लेषण रिपोर्ट में यह तथ्य प्रस्तुत किए हैं।

हो रहा सुधारः

रिपोर्ट कहती है कि वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी चुनौतियां जटिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार 49 शहरों में बीते पांच वर्षों का पीएम2.5 डाटा उपलब्ध रहा जिनमें 27 शहरों ने 2019 से 2023 तक पीएम2.5 के स्तर में सुधार दर्ज किया। 46 शहरों के लिए पीएम10 के पांच वर्ष के उपलपब्ध डाटा के अनुसार 24 शहरों ने सुधार देखा।

दिल्ली में 2022 की तुलना में कमीः

दिल्ली ने 2023 में उच्चतम पीएम2.5 स्तर (102 µg/m³) दर्ज किया जो 2022 की तुलना में 2.5 प्रतिशत कम है। वहीं पटना में पीएम10 का स्तर 212.1 µg/m³ रहा, जो 2022 की तुलना में 10.7% अधिक है। इससे स्पष्ट है कि सभी शहरों में एनसीएपी को समान रूप से सफलता नहीं मिली है और अभी अधिक काम करने की आवश्यकता है। असम के सिलचर ने वर्ष 2023 में सबसे कम PM2.5 स्तर (9.6 µg/m³) दर्ज किया। हालांकि यह भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक 5 µg/m³ से लगभग दोगुना है। सिलचर ने सबसे कम पीएम10 स्तर (29.2 µg/m³) भी दर्ज किया है । 

एनसीएपी की अहम भूमिकाः

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला कहती हैं कि वायु प्रदूषण को रोकने में एनसीएपी ने अहम भूमिका निभाई है। फिर भी चुनौतियां कायम हैं। शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। नए निगरानी केंद्रों की स्थापना से एनसीएपी को अगले चरण में और सफलता मिलने की आशा है। वायु गुणवत्ता के लिए लगातार प्रयास जारी रहने चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार इन शहरों में वायु प्रदूषण कम करने के लिए वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करना और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।