प्रदूषण

गुजरात की केमिकल फैक्ट्री में विस्फोट से आठ की मौत, सुरक्षा पर उठे सवाल

इससे पहले भी लंबे लॉकडाउन के बाद खुल रहे केमिकल प्लांट्स में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं

DTE Staff

कलीम सिद्दीकी

गुजरात में भरूच जिले के दहेज स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) में चल रहे एक केमिकल प्लांट में 3 जून को हुए भीषण विस्फोट में आठ लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि 58 लोग घायल हैं। 

भरुच के सलीम पटेल बताते हैं कि आग इतनी भयानक थी कि कई किलोमीटर से उसे देखा जा सकता है। विस्फोट इतना भयानक था कि लुवार और लाखी गांव के कई घरों की दीवारों में दरारें आ गई। पार्किंग में खड़ी गाड़ियों के शीशे भी टूट गए। आसपास के दो गांव लाखीगाम और लुवार के लगभग 4800 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है।
जिला कलेक्टर एमडी मोडिया ने पुष्टि करते हुए बताया कि इस दुर्घटना में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। दहेज मरीन पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर विपुल गागिया के अनुसार छह लोगों को शव फैक्टरी से जली अवस्था में निकला था, जबकि दो लोगों को अस्पताल ले जाते वक्त मौत हो गई। यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। घायल लोगों को भरुच और उसके आसपास के अस्पतालों में दाखिल कराया गया है।
यह कंपनी पेस्टिसाइड (कीटनाशक) बनाती है। आग लगने का कारण उत्पादन प्रक्रिया के दरमियान ओर्थो डाईक्लोरो बेनजीन टैंक में दबाव बढ़ने के कारण बायलर फट गया। 
दरअसल लॉकडाउन के कारण बंद कारखानों को दोबारा शुरू करने के चलते केमिकल प्लांट्स में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। इससे पहले 19 मई को अंकलेश्वर की एक केमिकल फैक्टरी में आग लगी थी। जिसको कंट्रोल करने में दस फायर ब्रिगेड गाड़िया और एक दर्जन से अधिक शमन कर्मी की घंटों की मेहनत लगी थी।
इसी प्रकार से 23 मई को सूरत की एक केमिकल फैक्टरी में आग लगी थी, जिसे 12 फायर ब्रिगेड ने काबू किया था। दोनों घटनाओं में किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।
इसी प्रकार से बड़ौदा जिले के लूनी गांव में स्थित पैरागोन ऑर्गनिक कंपनी में भी भयानक आग लगी थी।
उधर सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता रोहित प्रजापति ने बताया, “हमने लगभग एक महीने पहले ऐसी दुर्घटनाओं की आशंका की ओर इशारा किया था, जब लॉकडाउन आंशिक रूप से खुलने लगा था। लॉकिंग की इतनी लंबी अवधि के बाद औद्योगिक इकाइयों को अत्यंत सावधानी के साथ खोलने की आवश्यकता होती है। चूंकि काम बंद होने के कारण सुरक्षा उपकरणों और मशीनों का रखरखाव नहीं हो रहा था, वहीं प्रवासियों के लौटने के कारण जो लोग काम पर रखे गए हैं, वे ज्यादातर नए हैं और उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा, "सबसे महत्वपूर्ण पहलू जिसे उजागर करने की आवश्यकता है, वह यह है कि जिन अधिकारियों को सरकार द्वारा औद्योगिक सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए काम पर रखा गया है, उन्हें दूसरे काम पर नहीं लगाया जाए और उनसे औद्योगिक इकाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा जाए।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद अचानक बंद हो गए खतरनाक केमिकल प्लांट को फिर से चालू करने के लिए एक उचित योजना होनी चाहिए। कुछ मामलों में रासायनिक इकाइयों को बंद करने के लिए कई दिनों की आवश्यकता होती है और उन्हें उचित निरीक्षण के बाद खोलने की आवश्यकता होती है।

भरूच स्थित सेफ्टी, हेल्थ एंड एनवायरमेंट एसोसिएशन के योगेश पांडे ने कहा, "हालांकि यह कहा जा रहा है कि दुर्घटना एक बॉयलर में विस्फोट के कारण हुई, लेकिन इसकी उच्च तीव्रता को देखते हुए ऐसा नहीं लगता। बल्कि केमिकल रिएक्शन की वजह से ऐसा हो सकता है। क्योंकि ऐसे केमिकल रिएक्शन इन कारखानों में चलते रहते हैं। सॉल्वेंट के जलने के कारण धुएं की इतनी अधिक मात्रा हो सकती है। यह जांच किए जाने की जरूरत है कि वहां कौन से रसायन का इस्तेमाल किया जा रहा था, कच्चा माल क्या था, किस तरह के प्रेशर, टैम्परेचर में काम किया जा रहा था। मैनेजमेंट को इन सब तथ्यों और आंकड़ों की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। ”

उन्होंने बताया कि गुजरात में लगभग 450 अत्यधिक खतरनाक प्रवृति के कारखाने हैं, जिनमें से 90 अकेले भरूच में हैं। जबकि उन्हें चलाने में अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि वहां हमेशा दुर्घटनाओं की आशंका रहती हैं। इन दुर्घटनाओं से बचने का एकमात्र तरीका यह है कि ठेकेदारों के माध्यम से काम पर रखे गए ऐसे प्लांट के मालिकों से लेकर मजदूरों तक को सुरक्षित तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए।

यहां यह उल्लेखनीय है कि विशाखापट्टनम में भी एलजी पॉलिमर नाम की एक केमिकल फैक्ट्री में आग लगने के कारण 11 लोगों की मौत हो गई थी।