प्रदूषण

दुनिया में प्लास्टिक कचरे को बढ़ा रहे हैं कोका कोला, नेस्ले और पेप्सीको जैसे नामी ब्रांड

Lalit Maurya

यह सच है कि आज प्लास्टिक हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, आप अपने चारों ओर जहां भी देख लीजिये, किसी न किसी रूप में प्लास्टिक से बनी कोई न कोई चीज दिख ही जाएगी। जहां इसने हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिया, पर साथ ही यह अपने साथ अनेको समस्याएं भी साथ लाया। उन्हीं में से एक इसके प्रदूषण की समस्या है। दुनिया के सामने यह समस्या कोई नयी नहीं है, काफी समय से हम इसके बढ़ते प्रदूषण से जूझ रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। आज हम हर साल करीब 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा फैला रहे हैं, जो कि सम्पूर्ण मानव जाति के भार के बराबर है। इस बढ़ते प्लास्टिक कचरे के लिए कोका कोला, नेस्ले, पेप्सीको जैसे बड़े ब्रांड का सबसे बड़ा हाथ है।

दुनिया की शीर्ष 10 प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों पर छपी रिपोर्ट' ब्रांडेड वॉल्यूम-II: आईडेंटीफायिंग द वर्ल्ड सटॉप कॉर्पोरेट प्लास्टिक पोल्लयुटर्स'  के अनुसार कोका-कोला लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक रूप से प्लास्टिक प्रदूषक फैलाने वाली नंबर 1 कंपनी बन गयी है, जबकि इसके बाद नेस्ले और पेप्सीको का नंबर आता है जोकि दुनिया में पेय पदार्थ बनाए वाले प्रमुख ब्रांड हैं। ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक संस्था ने प्लास्टिक के खिलाफ एक वैश्विक आंदोलन की शुरुआत की है। जिसके अंतर्गत इसने छह महाद्वीपों में फैले 51 देशों से 476,423 प्लास्टिक कचरे के टुकड़ों को एकत्रित किया है, जिन पर स्पष्ट तौर पर उनके ब्रांड का नाम अंकित था। 484 ब्रांड के विश्लेषण से जारी इस रिपोर्ट में दावा किया है कि प्लास्टिक प्रदूषण के लिए दुनिया के 10 नामी ब्रांड सबसे अधिक जिम्मेदार थे, जिनमें कोका कोला, नेस्ले, पेप्सीको, मोन्डेलेज इंटरनेशनल, यूनीलिवर, मार्स, प्रॉक्टर एंड गैम्बल, कोलगेट-पामोलिव, फिलिप मोरिस और परफेटी वैन मिले प्रमुख हैं।

37 देशों से इकट्ठे किये गए 11,732 टुकड़ों के साथ कोक ब्रांड प्लास्टिक प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पाया गया । जबकि 2018 में, 40 देशों से इस पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी के 9,216 प्लास्टिक कचरे के टुकड़े इकट्ठे किये गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोका-कोला ब्रांड के मिले प्लास्टिक कचरे के टुकड़ों की संख्या अन्य तीन शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषकों से भी ज्यादा पायी गयी । जहां 2018 में पेप्सिको ब्रांड के 5,750 टुकड़े मिले थे, वो 2019 में घटकर 3,362 रह गए । वहीं दूसरी तरफ नेस्ले से निकलने वाला कचरा 2018 में 2,950 के मुकाबले 2019 में बढ़कर 4,846 हो गया । रिपोर्ट के अनुसार “दुनिया के लिए इन ब्रांडों के बिना प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना असंभव होगा, साथ ही यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह ब्रांड अपने उत्पादों को कैसे वितरित करते हैं। अब एक बार प्रयोग होने वाली पैकेजिंग का समय खत्म हो चुका है।”

सबसे अधिक 285,254 विविध प्रकार के प्लास्टिक कचरे के टुकड़े इकट्ठे किये गए, जिसमें पॉलीकार्बोनेट, पॉलीएक्टाइड, एक्रिलिक, एक्रिलोनिट्राइल ब्यूटाडीन, स्टाइलिन, फाइबर ग्लास और नायलॉन प्रमुख थे। इसके बाद पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट या पीईटी के 117,724 टुकड़े पाए गए । जबकि प्लास्टिक बैग 59,168 टुकड़े, पाउच 53,369, और प्लास्टिक की बोतलें 29,142 टुकड़ों के साथ शीर्ष तीन सबसे आम प्लास्टिक के आइटम थे, जिनके कचरे के टुकड़े पाए गए।

भारत से भी इकट्ठे किये गए 2,066 टुकड़े

भारत से भी प्लास्टिक कचरे के 2,066 टुकड़े मिले हैं। जिनमें एसएस फूड प्रोडक्ट्स से सबसे ज्यादा 218 टुकड़े मिले हैं, जो कि देश में सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला ब्रांड है । उसके बाद पेप्सिको (120) और ब्रिटानिया (110) का नंबर है । जबकि 515 टुकड़ों का ब्रांड पता नहीं चल पाया है । गौरतलब है कि भारत 2022 तक 'एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक' का चलन बंद करने का ऐलान कर चुका है। संस्था ने यह भी कहा कि भले ही चीन, इंडोनेशिया, फिलीपीन, वियतनाम और श्रीलंका समुद्र में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा फेंकते है, लेकिन एशिया में इस प्लास्टिक प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार वो बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं, जिनके मुख्यालय यूरोप और अमेरिका में स्थित हैं।

ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक के ग्लोबल कोऑर्डिनेटर वॉन हर्नांडेज ने बताया कि "यह रिपोर्ट इस ओर भी इशारा करती है कि इन नामी ब्रांडों को प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए तत्काल और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। जिस तरह यह अपनी पैकेजिंग के लिए एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक पर निर्भर हैं, वो पर्यावरण प्लास्टिक कचरे की समस्या को और बढाती जा रही है। साथ ही, अकेले प्लास्टिक कचरे के रीसाइक्लिंग से यह समस्या हल होने वाली नहीं है ।“ इसके साथ ही यह रिपोर्ट दुनिया के नामी कंपनियों से 'एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक' के उत्पादन में कटौती करने और उसकी जगह पर ऐसे नए समाधान खोजने की भी वकालत करती है, जो प्रदूषण पैदा नहीं करते हैं।