प्रदूषण

जयपुर: आवासीय क्षेत्र में चल रही अवैध फैक्ट्रियां, जांच में खुलासा

रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा और शोर दोनों का स्तर तय मानकों से ज्यादा है। यह प्रदूषण न केवल आम नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

जयपुर के हरमाड़ा क्षेत्र के महादेव नगर में गोविंद इंजीनियरिंग और शंकर इंजीनियरिंग वर्क्स नाम की फैक्ट्रियां अवैध रूप से आवासीय इलाके में चल रही हैं।

जांच समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ये फैक्ट्रियां कृषि भूमि पर बिना किसी भूमि परिवर्तन की अनुमति के चल रही हैं। जांच समिति द्वारा यह रिपोर्ट 15 जुलाई, 2025 को अदालत में सबमिट की गई है।

रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि फैक्ट्रियां चालू हों या बंद, दोनों ही स्थितियों में हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कण (पार्टिकुलेट मैटर) तय मानकों से ज्यादा पाए गए। इसी तरह, इलाके में ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी तय सीमा से अधिक दर्ज किया गया।

8 जनवरी, 2025 को की गई साइट जांच में पाया गया कि गोविंद इंजीनियरिंग, शंकर इंजीनियरिंग और तनुज इंडस्ट्रीज नाम की फैक्ट्रियां हरमाड़ा के महादेव नगर में आवासीय इलाके और कृषि भूमि पर चल रही हैं। ये इकाइयां भारी धातुओं को पीटने, मोल्डिंग, कटिंग, सैंडिंग, नर्लिंग और ड्रिलिंग जैसे इंजीनियरिंग कार्य कर रही हैं।

जांच में यह भी सामने आया कि ये सभी फैक्ट्रियां जयपुर विकास प्राधिकरण से भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति लिए बिना ही अवैध रूप से चल रही हैं। इनमें से दो इकाइयां राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना ही काम कर रही हैं।

आवेदक सुनील कुमार सैनी के घर की छत पर वायु गुणवत्ता की निगरानी की गई, ताकि हवा में धूल और धातु कणों की मात्रा का पता लगाया जा सके। यह जांच फैक्ट्रियों के चालू और बंद दोनों हालतों में की गई।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा और शोर दोनों का स्तर तय मानकों से ज्यादा है। यह प्रदूषण न केवल आम नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। 15 जुलाई, 2025 को जारी तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि ये सभी फैक्ट्रियां आसपास के निवासियों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।

एनजीटी की सुनवाई में उजागर हुआ गायमुख क्षेत्र में अवैध कचरे की डंपिंग का मामला

महाराष्ट्र के घोड़बंदर रोड स्थित गायमुख जकात नाका (चुंगी चौकी) के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र से ठोस कचरे को हटाने का काम शुरू हो गया है। यह जानकारी ठाणे नगर निगम (टीएमसी) द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष 14 जुलाई, 2025 को दायर रिपोर्ट में दी गई है। मामला महाराष्ट्र के ठाणे का है।

नगर निगम ने जानकारी दी है कि अब तक 4,534.15 टन ठोस कचरे को दैघर और आटकोली स्थित ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं में स्थानांतरित किया जा चुका है। शेष ठोस कचरे को हटाने का काम दो महीनों के भीतर पूरा हो जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले ठाणे नगर निगम ने 22 जनवरी, 2025 को अपने पिछले जवाब में कहा था कि नगर निगम के पास दैघर और भंडारली गांवों में ठोस कचरा निपटान सुविधाएं हैं। लेकिन दैघर गांव में यह सुविधा अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही, इसलिए ठोस कचरे को अस्थाई रूप से गायमुख जकात नाका पर जमा किया गया था।

नगर निगम के अनुसार, दैघर केंद्र ने 12 अप्रैल, 2024 से पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद गायमुख क्षेत्र से कचरा हटाने की प्रक्रिया तेज हुई है।

यह मामला एनजीटी की पश्चिमी बेंच में वैभव बाबन सातम द्वारा उठाया गया था। उन्होंने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र और तटीय प्रबंधन क्षेत्र के पास कचरे की अवैध डंपिंग पर आपत्ति जताई थी।