प्रदूषण

पराली मुद्दे पर बैठक, नहीं आए पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के पर्यावरण मंत्री

DTE Staff

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की ओर से पराली के मुद्दे पर आज यानी 11 नवंबर को बुलाई गई बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पर्यावरण मंत्री नहीं पहुंचे। बैठक में शामिल हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि इन राज्यों की सरकारों पराली को लेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह बैठक रोडमैप तैयार करने के लिए केंद्र की ओर से बुलाई गई थी, जिसमें एमसीडी और डीडीए के अधिकारी भी नहीं आए।

गहलोत ने कहा कि एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयासों में यह ढीला दृष्टिकोण कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं ला सकता। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह सर्वोच्च न्यायालय के सख्त निर्देशों के बावजूद और शीर्ष अदालत द्वारा संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को बुलाने के बाद भी ऐसा हुआ। उन्होंने बताया कि मैं संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठा रहा हूं और दिल्ली के लोगों की ओर से अनुरोध किया जा रहा है कि वे संबंधित राज्यों में हो रहे पराली जलाने की घटनाओं को रोकें।

कैलाश गहलोत ने कहा कि कल और आज दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है। बैठक में न तो एमसीडी कमिश्नर और न ही डीडीए वीसी व अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि एजेंसियों के सहयोग के बिना धूल के स्रोत और कचरा जो प्रदूषण का कारण बनता है, उसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन एजेंसियों द्वारा इस तरह के एक गंभीर मुद्दे की उपेक्षा की गई है। ऐसी स्थिति में बिना राजनीतिक इच्छाशक्ति और 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता के कोई रोडमैप कैसे तैयार किया जा सकता है?

पराली को जलने से रोकने के लिए किसानों को दी जाने वाली मशीनों के वितरण पर भी गहलोत ने चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए हलफनामे के अनुसार, 2018-19 में 63,000 मशीनें और 2019-20 में 40,000 पंजाब और हरियाणा में किसानों को वितरित की गईं। यदि हम अकेले पंजाब में किसानों की संख्या पर विचार करें तो यह विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, 27 लाख है। अगर मशीनों का वितरण इस गति से होता है तो इसे पूरा होने में 50-60 साल लगेंगे। अगर गति नहीं बढ़ाई गई, तो अगली सर्दियों की शुरुआत में फिर से एनसीआर में भारी वायु प्रदूषण होगा, क्योंकि इन राज्यों में किसान पराली जला सकते हैं। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद पराली में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।