प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: नेवेली लिग्नाइट में हुए हादसे की रिपोर्ट सौंपी

विभिन्न अदालतों में पर्यावरण संबंधी मामलों में सुनवाई के दौरान क्या हुआ, जानें-

Susan Chacko, Dayanidhi

नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड में आग लगने की रिपोर्ट सौंपी

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने 6 जुलाई, 2020 को नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड में हुए हादसे पर अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंप दी है। 

टीपीएस-द्वितीय के मुख्य महाप्रबंधक, एनएलसीआईएल ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) को दी गई रिपोर्ट में बताया कि आग लगने की घटना तब हुई जब टीपीएस-द्वितीय, इकाई -5 जिसकी क्षमता 210 मेगावाट है, का मेंटेनेंस किया जा रहा था। इस घटना में 17 लोग गंभीर रूप से जल गए थे और छह कर्मचारियों की मौत हो गई थी।

3 जुलाई, 2020 को संयुक्त मुख्य पर्यावरण इंजीनियर, त्रिची ज़ोन और डीईई, कुड्डालोर द्वारा संयुक्त निरीक्षण किया गया। एनएलसीआईएल के अधिकारियों ने निरीक्षण दल को बताया कि हो सकता है कि हॉरिजॉन्टल बॉक्स गर्डर के अंदर जमा लिग्नाइट डस्ट की सफाई आग लगने वाले (स्क्रैपर्स) धातु की मदद से की गई हो और घर्षण के कारण लिग्नाइट के कण प्रज्वलित हो गए और गर्डर के भीतर आग लग गई। आग लगने के कारण अंदर काम रहे कर्मचारियों का दम घुट गया होगा।

उद्योग ने आग लगने के बाद चार बॉयलर इकाइयों 4,5,6 और 7 के संचालन को रोक दिया था। इस आग की दुर्घटना के कारण, किसी जहरीली गैस का रिसाव नहीं हुआ, जिससे आस-पास रहने वाली जनता को कोई नुकसान नहीं हुआ। 3-4 जुलाई, 2020 से एईएल, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी), कुड्डालोर द्वारा उद्योग के आसपास के क्षेत्र में वायु गुणवत्ता का सर्वेक्षण किया है जिसकी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने ट्रिब्यूनल को यह भी बताया कि विशाखापत्तनम में एक औद्योगिक इकाई में हुए गैस रिसाव की घटना के बाद, टीएनपीसीबी तमिलनाडु राज्य में उन उद्योगों को जागरूक कर रहा है, जो कोविड-19 के कारण बंद हो गए थे। उद्योगों को शुरू करने से पहले सुरक्षा के उपाय, रखरखाव, प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों से संबंधित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा जा रहा है।

हिमाचल प्रदेश के स्टोन क्रेशर का मामला

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार, जिला कुल्लू के बाजौरा में मेसर्स भवानी स्टोन क्रशर पर्यावरणीय नियमों का पालन कर रहा है।

इकाई के पास 26 नवंबर, 2016 को सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी पर्यावरण मंजूरी और उद्योग विभाग द्वारा जारी वैध स्थायी पंजीकरण प्रमाण पत्र था।

इकाई ने क्रशर चलाने के लिए सहमति के नवीनीकरण (कंसेंट टू ऑपरेट रिन्यूअल) के लिए आवेदन किया था, जिसमे सही प्रक्रिया अपनाई गई थी। कंसेंट टू ऑपरेट का नवीनीकरण एचपीएसपीसीबी कुल्लू के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा 13 मई को इकाई को दिया गया था।

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) ने बताया कि इकाई का नियमित रूप से निरीक्षण किया जा रहा है, प्रदूषण नियंत्रण उपकरण जैसे स्प्रिंकलर, विंड ब्लॉकिंग दीवारों को जगह और कार्यात्मक पाया गया। एसपीसीबी द्वारा की गई नवीनतम वायु गुणवत्ता निगरानी के अनुसार रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) स्तरों के परिणाम सीमा के भीतर थे।

पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के नियमों का पालन और निगरानी

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 के बाद से, लगभग 8 हजार श्रेणी के पर्यावरण मंजूरी और 30 हजार से अधिक बी श्रेणी की मंजूरी जारी की गई हैं। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने एमएपी उद्देश्यों को लागू करने के लिए कार्रवाई की योजना प्रस्तुत की, जिसमें डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना होगा, जिसमें डेटा मूल्यांकन, डेटा एकीकरण, डेटा ट्राइंगुलेशन और पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) स्थिति मॉड्यूल शामिल होंगे।