प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: जानें, क्या हुआ आज

Susan Chacko, Dayanidhi

रिवालसर झील को प्रदूषण से बचाने का निरंतर प्रयास करें अधिकारी : एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 29 जून, 2020 को निर्देश दिया कि हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में रिवालसर झील की सुरक्षा के लिए अधिकारियों द्वारा निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए।

जिला मजिस्ट्रेट मंडी द्वारा दायर एक रिपोर्ट के माध्यम से एनजीटी को सूचित किया कि झील के आसपास के क्षेत्र को नगर पंचायत, रिवालसर द्वारा हर रोज साफ किया जाता है। कचरे को झील में जाने से रोकने के लिए झील के चारों और नालियों का निर्माण किया गया है। इन नालियों को भी नियमित रूप से साफ किया जाता है।

रिवालसर में होटल और घरों के अपने सेप्टिक टैंक हैं। हालांकि, कस्बे के लिए 1.5 करोड़ रुपये की एक नई सीवरेज नेटवर्क योजना स्वीकृत की गई थी और वर्तमान में सिंचाई और जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसका निर्माण किया जा रहा है। 

पिथौरागढ़ में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट 31 मार्च, 2021 से काम करना शुरू करेगा

उत्तराखंड के शहरी विभाग के सचिव द्वारा दायर एक रिपोर्ट के माध्यम से एनजीटी को सूचित किया गया कि, पिथौरागढ़ में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट 31 मार्च, 2021 से कार्य करना शुरू करेगा। 

एनजीटी ने वन भूमि में कचरा डंप करने के आरोप पर जानकारी की मांग की और निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए आदेश में कहा गया है कि 31 अक्टूबर, 2020 तक एक और कार्रवाई और प्रगति रिपोर्ट जिसे 15 नवंबर, 2020 तक जमा किया जाए

पानीपत सहकारी चीनी मिल पर्यावरण के अनुरूप नहीं है

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एम/एस पानीपत सहकारी चीनी मिल लिमिटेड, गोहाना रोड, पानीपत में प्रदूषण को लेकर एनजीटी में अपनी रिपोर्ट दायर की। वहां नजदीक में रहने वाले लोगों ने मिल से निकलने वाली राख, बॅगैस कणों से दुर्गंध फैलने के कारण सांस लेने में दिक्कत आने की शिकायत की थी।

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि मिल ने मानदंडों के अनुसार उपचारित (ट्रीटेड) एफ्लुएंट को 15 दिनों तक जमा करने के लिए उचित क्षमता का टैंक (लगून) नहीं बनाया था। ईटीपी से उपचारित एफ्लुएंट को एक छोटे से गड्ढे में जमा किया गया था जो कि रिसकर वापस बह रहा था। इसके अलावा, इकाई ने अभी तक चीनी उद्योगों के लिए अधिसूचित, उपचारित सिंचाई प्रोटोकॉल के अनुसार उपचारित एफ्लुएंट के सिंचाई में उपयोग किए जाने के लिए संयंत्र भी तैयार नहीं किया गया।

विश्लेषण के परिणामों से पता चलता है कि एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) से उपचारित पानी मानदंडों के अनुरूप निकल रहा था। हालांकि, मौजूदा ईटीपी में बीओडी, सीओडी और टीएसएस से संबंधित मापदंडों की रिपोर्ट सही नहीं पाई गई, इसकी और अधिक विस्तृत मूल्यांकन की आवश्यकता जताई गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईटीपी का आकार, तेल और ग्रीस हटाने के लिए इसमें अलग से इकाई नहीं है, इसके साथ-साथ इसमें काफी कमियां पाई गई, कुल मिलाकर यह पर्यावरण के मानदंडों के अनुरूप नहीं थे।

कुडलू-चिक्का केर झील का पानी पीने योग्य नहीं है

कर्नाटक के बेंगलुरु शहर के दक्षिण में स्थित कुडलू-चिक्का केर झील में प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर, उठाए गए कदमों पर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने एनजीटी को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी), हैदराबाद जोनल सेंटर ने बेंगलुरु झीलों पर किया गया अध्ययन नगर निगम को सौंप दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि झील के पानी का बीओडी (16-177 मिलीग्राम / एल.) है। पारंपरिक तरीके से उपचार और कीटाणुशोधन के बाद भी यह पानी पीने योग्य नहीं है। जल की गुणवत्ता के अनुसार इस पानी से केवल सिंचाई की जा सकती है।

कुडलू-चिक्का झील के आस-पास कचरा फेंकने पर प्रतिबंधित लगाने के लिए नगर निगम द्वारा सार्वजनिक नोटिस भी जारी किए गए थे। रिपोर्ट के साथ नवनिर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ झील की वर्तमान स्थिति को दर्शाने वाली तस्वीरें भी दाखिल की गईं।

सिकंदरा के आस-पास हो अवैध निर्माण एनजीटी ने दिया निर्देश

एनजीटी ने 29 जून को आगरा के कलेक्टर, को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया कि राम जी धाम कॉलोनी और ऋषिपुरम कॉलोनी, सिकंदरा, आगरा, उत्तर प्रदेश के आस-पास, ग्रीन बेल्ट के क्षेत्र में कोई भी अवैध निर्माण, पशुओं के लिए छप्पर या डेयरी फार्म का संचालन नहीं होना चाहिए।