प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ रथ यात्रा को शर्तों के साथ दी मंजूरी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

22 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा को अनुमति दे दी है| गौरतलब है कि इससे पहले 18 जून को दिए अपने आदेश में कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी|

23 जून, 2020 से शुरू होने वाली इस वार्षिक रथ यात्रा में औसतन हर वर्ष 10 से 12 लाख लोग जुटते हैं| यह उत्सव 10 से 12 दिनों तक चलता है। पर वर्तमान स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोकने का आदेश दिया था| अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से कोरोनावायरस के फैलने का खतरा है उसे देखते हुए इस वर्ष रथ यात्रा का आयोजन सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों के खिलाफ होगा। सुप्रीम कोर्ट को आशंका थी कि इस रथ यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी| ऐसे में उन सभी पर निगरानी करना नामुमकिन हो जाएगा|

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया था कि हालांकि हमारे पास राजपत्र की आधिकारिक प्रति नहीं है, पर हमें जानकारी मिली है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी में इसी तरह की धार्मिक यात्रा के चलते हैजा और प्लेग जैसे रोग फैल गए थे| जबकि ओडिशा राज्य द्वारा कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि इस रथ यात्रा को सीमित तरीके से बिना लोगों की भीड़ लगाए बिना भी आयोजित किया जा सकता है| यह प्रस्ताव पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अध्यक्ष गजपति महाराज द्वारा प्रस्तावित किया गया था| सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि बिना भीड़ भाड़ के यदि रथ यात्रा को मंदिर से मंदिर तक सुरक्षित रूप से संचालित किया जा सकता है तो उसे करने की आज्ञा दी जा सकती है| इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि यदि निर्धारित शर्तों का पालन किया जाता है तो पूरी में रथ यात्रा निकाली जा सकती है|

इन शर्तों के अंतर्गत पुरी में प्रवेश करने के सभी रास्तों (हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड) को रथ यात्रा के दौरान बंद करना होगा| इसके साथ ही शहर में यात्रा के दौरान कर्फ्यू लगाना होगा| इसके अलावा रथ को 500 से ज्यादा लोग नहीं खीचेंगे| साथ ही इन सभी 500 व्यक्तियों में से सभी कोरोना की जांच के बाद ही यात्रा में शामिल होने दिया जाएगा|

भोपाल के किसी वेटलैंड में नहीं दी जाएगी कार रैलियों को अनुमति: मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि भोपाल के किसी भी वेटलैंड में कार रैलियों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए| साथ ही उन्हें वेटलैंड्स से दूर, किसी अन्य इलाके में आयोजित किया जाना चाहिए| यह जानकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एनजीटी में दायर रिपोर्ट में सामने आई है|

यह रिपोर्ट 22 अक्टूबर 2019 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर तैयार की गई है| इससे पहले एनजीटी में यह शिकायत की गई थी कि भोपाल के भोज वेटलैंड में गैरकानूनी तरीके से कार रैली आयोजित की जा रही है| जिसे 'भोपाल रैली चैम्पियनशिप' नामक एक खेल समूह द्वारा आयोजित किया जाता है|

 निरीक्षण के दौरान, आवेदक राशिद नूर खान ने निरीक्षण दल को बताया कि कलियासोत जलाशय क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके में इस कार रैली का आयोजन किया जाता है| उन्होंने उन दो स्थानों को भी दिखाया जहां मिट्टी में यह कार रैली आयोजित की जाती है| इसके साथ ही इस रैली में भाग लेने वाले लोग इस साइट पर करीब एक सप्ताह तक अभ्यास भी करते हैं| रैली का यह रास्ता कलियासोत जलाशय से होकर गुजरता है| जो हालांकि भोज वेटलैंड का हिस्सा नहीं है, लेकिन इससे जुड़ा हुआ जरूर है।

आवेदक ने जांच दल को यह भी बताया है कि कार रैलियों के कारण इस इलाके के पेड़ पौधों, वनस्पतियों, जीवों और उनके आवास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है| रैली के दौरान प्लास्टिक और थर्मोकोल सहित अन्य प्रकार के ठोस कचरे को फेंकने के कारण कलियासोत जलाशय में रैली मार्ग के आसपास भारी मात्रा में ठोस कचरा जमा हो जाता है।

जम्मू कश्मीर के डोडा में बंद किये गए 12 स्टोन क्रशर और हॉट मिक्स प्लांट

जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में चल रहे 12 स्टोन क्रशर और हॉट मिक्स प्लांटस को बंद कर दिया गया है| क्योंकि इन इकाइयों के पास इन्हें संचालित करने के लिए जरुरी अनुमति प्रमाणपत्र नहीं था| यह जानकारी जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी में दाखिल अपनी रिपोर्ट में दी है|