प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: नाले पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश

Susan Chacko, Dayanidhi

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 6 अक्टूबर को भोपाल के जिला प्रशासन और नगर निगम को निर्देश दिया कि वह हरदेश किरार द्वारा भोपाल के ग्राम कौलुवा में सरकारी जमीन और नाले पर अतिक्रमण और अनुपचारित सीवेज को बहाने के मामले में उचित कार्रवाई करें।

इस मामले की जांच के लिए गठित एक संयुक्त समिति ने अतिक्रमण और नाले को दूसरी दिशा की ओर मोड़ना स्वीकार किया।

मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) द्वारा 7 अगस्त को संयुक्त समिति की ओर से एक और रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमपीपीसीबी ने भोपाल जिला प्रशासन और नगर निगम को नाले पर किए गए अतिक्रमण पर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

फिर उक्त नाले का सीमांकन किया गया, ताकि भोपाल जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

जयसमंद झील और उसके आसपास अवैध खनन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)  ने 6 अक्टूबर को राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित जयसमंद झील के आसपास के क्षेत्र में अवैध खनन पर नंगा राम डांगी द्वारा दायर याचिका का संज्ञान लिया

याचिकाकर्ता ने वर्ष 2014 में शिकायत की थी, कि अवैध खनन से पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान हो रहा है। अवैध खनन आठ गांवों में हो रहा था जो झील के जलग्रहण क्षेत्र में पड़ता हैं। गांव के नाम इस प्रकार है -बुथेल, बासा, चामर, कोट, खड़का, केनपुरा, लोढ़ा और उथरदा।

ट्रिब्यूनल ने 19 सितंबर, 2018 के आदेश को लेकर इस मामले पर संज्ञान लिया और खनन और भूविज्ञान निदेशालय को झील के जलग्रहण क्षेत्र में सभी अवैध खनन गतिविधियों को बंद करने को सुनिश्चित करने और ट्रिब्यूनल को एक अनुपालन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। तत्पश्चात समय-समय पर सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर इस मामले को लेकर विचार किया गया।

एनजीटी ने 6 अक्टूबर को मामले को पहले की कार्यवाही के तहत जारी रखा और उदयपुर आईजी पुलिस द्वारा 30 सितंबर, 2020 की सौंपी गई कार्रवाई रिपोर्ट को भी देखा। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में नियमित दौरे किए जा रहे हैं और ड्रोन के माध्यम से भी सर्वेक्षण किया गया है।

एनजीटी ने की गई कार्रवाई को अपर्याप्त और कानून को सही से लागू नहीं किया जाना बताया है। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और एस. पी. वांगड़ी की पीठ ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे ट्रिब्यूनल द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के मद्देनजर उचित कार्रवाई पर विचार करें और जमीनी स्तर, विशेषकर जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को उचित दिशा-निर्देश दें।

इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली में कहा गया है कि परिवहन और खनन सामग्री में प्रयुक्त वाहनों के लिए जीपीएस की आवश्यकता सहित समीक्षा की जानी चाहिए। हॉटस्पॉट और एक ऐप के द्वारा सीसीटीवी कैमरे जुड़े होने चाहिए, जिसे किसी भी शिकायतकर्ता द्वारा इस तरह की अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए उपयोग किए जा सके। इसके अलावा आकलन और मुआवजे की वसूली के लिए एक पद्धति होनी चाहिए। आदेश में कानून लागू करने के लिए सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया गया।