प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: फ्लाई ऐश के उपयोग पर एनजीटी ने लिया संज्ञान

देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-

Susan Chacko, Dayanidhi

एनजीटी ने 4 नवंबर को थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) द्वारा उत्पन्न फ्लाई ऐश प्रबंधन का संज्ञान लिया।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक अधिसूचना में 31 दिसंबर, 2017 तक फ्लाई ऐश का 100 फीसदी उपयोग की बात कही गई थी। इस प्रकार एनजीटी ने फ्लाई ऐश के 100 फीसदी उपयोग का लक्ष्य हासिल करने और इसके वैज्ञानिक निपटान के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 4 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण क्षतिपूर्ति की गणना की गई है। 112 संयंत्रों में से दो ने क्षतिपूर्ति  का भुगतान किया है जबकि 102 संयंत्रों ने छूट मांगी है। फ्लाई ऐश के उपयोग के लिए 21 बंद खानों की सूची को अंतिम रूप दिया गया है।

संयुक्त समिति द्वारा 6 सितंबर को विध्यांचल टीपीपी और एस्सार टीपीपी के पर्यावरण क्षतिपूर्ति के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। मेसर्स एस्सार पावर एमपी लिमिटेड के लिए, पर्यावरणीय क्षति लागत 7.3511 करोड़ रुपये और मेसर्स एनटीपीसी विंध्नगर के लिए 104.1684 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया।

विध्यांचल टीपीपी और एस्सार टीपीपी द्वारा फसल और कृषि उत्पादकता के मुआवजे के आकलन के लिए गठित समिति द्वारा एक दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। जिसमें समिति ने निम्नलिखित सिफारिश की:

क) जिला सिंगरौली के गांव बन्धौरा में एस्सार पावर एमपी लिमिटेड, को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वह रबी फसल के अप्रत्यक्ष नुकसान के लिए 2014200 /- रुपए की भरपाई करे।

ख) एस्सार पावर को कृषि उत्पाद की क्षति के आकलन के लिए एक कृषि संस्थान की स्थापना करनी चाहिए, जिसमें गांव करसुलाल और करसुराजा के 41 हेक्टेयर में 2020-21 और 2021-22 के लिए खेती की जानी है।

एनजीटी ने संयुक्त समितियों की रिपोर्टों को मंजूरी दी और निर्देश दिया कि उपरोक्त रिपोर्टों के संदर्भ में और कदम उठाए जाएं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को मुआवजे के निर्धारण के मुद्दे को अंतिम रूप देने के लिए कहा गया।

ब्रिक फील्ड्स

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) को राज्य के ईंट क्षेत्रों (ब्रिक फील्ड्स) की क्षमता के अध्ययन के कार्य को पूरा करने का निर्देश दिया। इसके लिए 28 फरवरी, 2021 तक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

सभी ईंट क्षेत्रों (ब्रिक फील्ड्स) को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर ज़िगज़ैग तकनीक को अपनाने और प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कहा गया है।

जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट

जेपी निगरी सुपर थर्मल पॉवर प्लांट (जेऐनएसटीपीपी), मध्य प्रदेश के सिंगरौली में है। यह एक सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी आधारित प्लांट है, जिसकी उच्च दक्षता है, जिससे कम कोयले की खपत होती है और आनुपातिक रूप से सीओ2, सीओ, एनओक्स, एसओ2 और अन्य प्रदूषक कम निकलते हैं। 2018-19 में ऐश का उपयोग (यूटिलाइजेशन) 88.62 फीसदी और 2019-20 में 109.57 फीसदी था।

5 नवंबर, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष जेऐनएसटीपीपी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था। जेऐनएसटीपीपी में 100 फीसदी राख मिश्रित पानी प्रणाली (एडब्ल्यूआरएस) है और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर्स (ईएसपी) काम कर रहा है। निरंतर उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (सीईएमएस) स्टैक पर स्थापित की गईं, निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (सीएएक्यूएमएस) स्टेशनों को सीपीसीबी और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वर के साथ जोड़ा गया है।

ऐश डाइक का निर्माण अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम स्लोप के साथ किया गया है। राख का तालाब 21.2 हेक्टेयर के क्षेत्र में बनाया गया है और किसी भी राख मिश्रित पानी के निर्वहन को बाहर करने से रोकने के लिए 100 फीसदी मिश्रित पानी पुन: उपयोग करने की सुविधा लगाई गई है।

जेपी निगरी सुपर थर्मल पावर प्लांट शून्य रिसाव (डिस्चार्ज) स्थिति के तहत संचालित हो रहा है। ईटीपी और एसटीपी पूरी तरह कार्य कर रहा हैं। गंदे पानी को न रिहंद जलाशय में और न ही किसी अन्य नदी में बहाया जा रहा है। इसके अलावा, जऐनएसटीपीपी रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में उत्पन्न फ्लाई ऐश और स्टॉक किए गए फ्लाई ऐश के निपटान के लिए 100 फीसदी उपयोग करने के प्रयास किए गए हैं।

थर्मल पावर प्लांट ने हरदी, पौड़ी, बरसीद पत्थर की बंद पड़ी खदानों के आवंटन के लिए जिला खान विभाग से संपर्क किया है।