प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: अलीगढ़ में ईंट भट्टों के लिए मानकों का पालन जरुरी: एनजीटी

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपने 08 जुलाई को दिए आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अलीगढ़ में केवल उन्हीं ईंट भट्टों को संचालित की अनुमति दी जाए, जो मानदंडों के अनुरूप हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान देना होगा कि जिन भट्टों के पास अपेक्षित सहमति है और सहमति की शर्तों का पालन कर रहे हैं वो क्षेत्र में मौजूद वायु गुणवत्ता के भी अनुरूप हैं।

गौरतलब है कि एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 मई, 2022 को दायर रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया था। एसपीसीबी ने जानकारी दी है कि उसने बिना वैध सहमति (सीटीओ) के अलीगढ़ में संचालित 234 ईंट भट्टों के खिलाफ बंद करने के आदेश पारित किए थे, जबकि 315 को इस मामले में नोटिस जारी किए गए हैं।

वहीं सहमति की शर्तों के उल्लंघन करने वाले 60 ईंट भट्टों के खिलाफ मुआवजे के लिए कार्यवाही शुरू कर दी गई है। वहीं जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और सुधीर अग्रवाल की पीठ का कहना है कि सहमति की शर्तों के उल्लंघन के बाद भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन इकाइयों को बंद क्यों नहीं किया है। उसने इनके खिलाफ केवल नोटिस ही क्यों जारी किए हैं।

थोल झील में डाले जा रहे सीवेज को रोकने के लिए एनजीटी ने दिया निर्देश

एनजीटी ने गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीआईडीसी) को निर्देश दिया कि वह थोल झील में डाले जा रहे सीवेज को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाए। एनजीटी ने यह निर्देश 8 जुलाई, 2022 को जारी किया है। गौरतलब है कि मामला गुजरात के गांधीनगर में कलोल का है। इसके साथ ही कोर्ट ने वेस्टवाटर के प्रवाह को रोकने और साफ किए गए पानी के पुनःउपयोग की बात भी कही है साथ ही कोर्ट ने गार्ड तालाब के निर्माण का भी आदेश दिया है। 

इसके साथ ही कोर्ट का कहना है कि इस क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की मदद से जीआईडीसी द्वारा वेस्ट वाटर का दोबारा  इस्तेमाल किया जाना अनिवार्य है। इसके साथ ही अवहेलना करने वाले पर उचित शुल्क लगाया जाना चाहिए जिसे झील की बहाली पर खर्च किया जा सकता है।  

कोर्ट का  कहना है कि चूंकि इस क्षेत्र में साफ पानी की कमी है ऐसे में उद्योगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे साफ पानी के उपयोग को नियमित और नियंत्रित किया जाना चाहिए। साथ ही आदेश में कहा गया है कि झील की गुणवत्ता मानकों के अनुसार बरकरार रहनी चाहिए।

गौरतलब है कि मीडिया में प्रकाशित एक खबर के आधार पर उक्त मामले में कार्यवाही शुरू की गई थी, जिसमें कहा गया था कि गुजरात के गांधीनगर के कलोल में प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकले वेस्ट वाटर को झील में छोड़ने की अनुमति दी गई है।

यह झील एक संरक्षित वेटलैंड है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थल के रूप में घोषित किया गया है। कहा गया है कि यह झील एक मीठे पानी की झील है जिसमें यदि वेस्ट वाटर छोड़ा जाता है तो उससे झील के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है। 

मेरठ में तालाब को अतिक्रमण मुक्त करना जरुरी: एनजीटी

मेरठ के अट्टा डल्लू पट्टी छिन्दौरी गांव में तालाब में  सीवेज, ठोस, मेडिकल और अन्य कचरे के डाले जाने का मामला ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष आया है। यह क्षेत्र ऊपरी गंगा नहर की परिधि में स्थित है। इस मामले में आवेदक धर्मपाल सिंह एवं अन्य का कहना है कि वहां सीवर के उचित निस्तारण के लिए नाला खोदने का प्रस्ताव था लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया है।

इस मामले में 13 मई, 2022 को संयुक्त समिति द्वारा कोर्ट के समक्ष दायर रिपोर्ट में यह बात स्वीकार की गई थी कि इस तालाब में सीवर और कचरा डाला जा रहा है साथ ही अतिक्रमण की बात भी कही गई थी। हालांकि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि तालाब में वेस्ट वाटर के प्रवाह को रोकने के लिए कार्रवाई की गई है और उसमें से गाद भी निकली गई है।

एनजीटी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कहा है कि रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि इस मामले में आगे कार्रवाई करने की जरूरत है। इस तालाब में वेस्ट को रोकने और पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जरुरी क़दम नहीं उठाए गए है और उसकी गुणवत्ता को प्रमाणित नहीं किया गया है। एनजीटी के 08 जुलाई, 2022 को इस मामले में दिए अपने आदेश में कहा है कि इस तालाब में पानी की गुणवत्ता को बहाल करने के साथ-साथ अतिक्रमण को हटाना भी जरुरी है, जिसमें बांध भी शामिल है।

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आगे की कार्रवाई मेरठ के जिलाधिकारी की निगरानी में की जाए। साथ ही तालाब को प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त रखने के लिए इसपर निरंतर निगरानी रखनी चाहिए। 

एनजीटी ने नोएडा में हरित क्षेत्र की बहाली के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोएडा के सेक्टर 48 में ग्रीन बेल्ट की बहाली के मामले में आगे की कार्रवाई और उसकी निगरानी के लिए सीईओ, नोएडा को निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने अपने 08 जुलाई, 2022 को दिए आदेश में नोएडा के पुलिस आयुक्त को वाहनों की पार्किंग के लिए पुलिस द्वारा किए अतिक्रमण की जांच और उसपर कानून को ध्यान में रखकर जरुरी कार्रवाई करने के लिए कहा है।

यह मामला मास्टर प्लान 2021 और 2031 में दिए गए ले-आउट प्लान के अनुसार नोएडा सेक्टर 48 में हरित पट्टी के जीर्णोद्धार से जुड़ा है। गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल, 14 अगस्त, 2018 को अवैध निर्माण सहित हरित पट्टी में अतिक्रमण को हटाने का निर्देश दिया था।