प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: जम्मू कश्मीर के हरे-भरे चरागाह क्षेत्रों में नहीं चल सकते वाहन: रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जम्मू कश्मीर में नागिन घाटी, गुलमर्ग, तोसामैदान, दूधपत्री और द्रंग जैसे हरे भरे चरागाहों में वाहनों की आवाजाही के लिए अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही नियमों को लागु करने के लिए जरुरी कदम उठाना जरुरी है।

साथ ही समिति ने नियमों के कार्यान्वयन के लिए अतिरिक्त दलबल की जरूरत की बात भी कही है। गौरतलब है कि इस मामले में रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 05 जुलाई 2022 को जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग और पर्यटन विभाग को मामले में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

यह रिपोर्ट और उससे जुड़ा एनजीटी का आदेश फेडरेशन ऑफ मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया के एक सहयोगी सदस्य, 'कश्मीर ऑफ रोड' नामक एक समूह के खिलाफ सज्जाद रसूल द्वारा ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर आवेदन पर दिया गया है। अपनी याचिका में सज्जाद रसूल ने कहा है कि नागिन घाटी, गुलमर्ग, तोसामैदान, दूधपत्री और द्रंग के हरे भरे चरागाहों पर भारी मोटर वाहनों और कारों का इस्तेमाल किया जाता है, जो इन चरागाहों को नुकसान पहुंचा रहा है।  

श्रमिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर राज्य को बरतनी चाहिए सतर्कता: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 5 जुलाई, 2022 को दिए अपने आदेश में कहा है कि राज्य प्रशासन को चाहिए कि वो श्रमिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सतर्कता बरते। मामला रासायनिक और अन्य उद्योगों में अवैज्ञानिक तरीके से होते कामकाज के कारण श्रमिकों और निवासियों की सुरक्षा से जुड़ा है, जिससे उन्हें नुकसान पहुंच सकता है।

कोर्ट का कहना है कि श्रमिकों और निवासियों की सुरक्षा के मद्देनजर सतर्कता जरुरी है, साथ ही नियमित सुरक्षा ऑडिट किए जाने की भी आवश्यकता है। मॉक ड्रिल का आयोजन करने के साथ पर्यावरणीय मानदंडों के अनुसार 'ऑन-साइट' और 'ऑफ-साइट' आपातकालीन योजनाओं के कार्यान्वयन को भी सुनिश्चित करने की जरुरत है।

गौरतलब है कि कोर्ट का यह आदेश एक मीडिया रिपोर्ट के मामले में की गई कार्यवाही में सामने आया है जिसमें  गुजरात के वडोदरा में दीपक नाइट्राइट नामक कारखाने में हुए विस्फोट की जानकारी दी गई थी। इस दुर्घटना के चलते सात कर्मचारी घायल हो गए थे, वहीं इस इलाके में रहने वाले 700 लोगों को धुएं की वजह से शिफ्ट करना पड़ा था।

मामले में गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट को जानकारी दी है कि इस यूनिट को बंद करने का आदेश दिया गया था और उसपर एक करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था। हालांकि 30 जून, 2022 को इस बंद के आदेश को बदलकर 50 फीसदी क्षमता के साथ की संचालन की अनुमति दे दी गई थी। पता चला है कि दीपक नाइट्राइट ने मुआवजा की राशि को जमा कर दिया है। इस मामले में यूनिट ने 27 जून, 2022 को दिए अपने जवाब में कहा है कि कारखाने में सुरक्षा उपाय मौजूद थे। 

कोटा के काला तालाब की जल गुणवत्ता को बनाए रखना जरुरी: एनजीटी

एनजीटी ने 5 जुलाई, 2022 को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और जिला मजिस्ट्रेट, कोटा की एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो काला तालाब में पानी की गुणवत्ता के साथ-साथ जल स्रोतों के आसपास हो रहे निर्माण वैध हैं या नहीं इसकी भी जांच करें।

कोर्ट का कहना है कि जल अधिनियम, 1974 के प्रावधानों के तहत पानी की गुणवत्ता बनी रहे इसके लिए जरुरी कदम उठाए जाने चाहिए। इतना ही नहीं ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जल स्रोतों के आसपास निर्माण ईआईए अधिसूचना और अन्य लागू मानदंडों के अनुसार होने चाहिए। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि तालाब की परिधि में बफर जोन को निर्माण से मुक्त रखा जाना चाहिए।

एनजीटी का यह आदेश एक मीडिया रिपोर्ट को ध्यान में रखकर आया है जिसमें राजस्थान के कोटा में काला तालाब में होते निर्माण और सौंदर्यीकरण के चलते 50 से ज्यादा मगरमच्छों के मौत हो जाने की बात कही थी। हालांकि 28 मई, 2022 को जारी एक संयुक्त समिति रिपोर्ट में कहा गया है कि मगरमच्छों की मौत का कोई सबूत नहीं मिला है।

एनजीटी ने इस रिपोर्ट से नाखुश थी और उसने कहा है कि इसमें न तो तालाब के पानी की गुणवत्ता का उल्लेख किया गया है और न ही इस पर कोई स्पष्टीकरण दिया गया है कि क्या क्षेत्र में आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी के बाद निर्माण किया जा रहा है। एनजीटी का कहना है कि, “14 सितम्बर 2006 की आईए अधिसूचना के अनुसार 1.5 लाख वर्ग मीटर से अधिक के निर्माण के लिए पर्यावरण मंजूरी लेना जरुरी है।“