प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: बंद खानों में अम्लीय पानी की वजह से मछलियों की जान को खतरा

Susan Chacko, Dayanidhi

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 5 अगस्त, 2020 के आदेश में कहा कि मध्य प्रदेश के जिला सिंगरौली के विंध्य नगर की खदान में जमा अम्लीय पानी की निगरानी की जानी चाहिए। 

यह आदेश मछली पालन सहकारी समिति के अध्यक्ष सुभाष कुशवाहा द्वारा अदालत में दायर उस याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया, जिसमें कहा गया था कि विंध्य नगर के गोरबी कोयला खदान में फ्लाई ऐश का अवैज्ञानिक तरीके से निपटान वहां के निवासियों के मछली पकड़ने को प्रभावित कर रहा है।

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में ट्रिब्यूनल को सूचित किया गया कि वर्तमान में मैसर्स नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) सिंगरौली कोयला खदान को बहुत पहले बंद कर दिया गया है, इसलिए यह एक निष्क्रिय खदान है।

जुलाई 1997 में खदान को निष्क्रिय घोषित कर दिया गया था। वर्तमान में खदान में पानी भरा हुआ है जो अम्लीय है। जिसकी अम्लीय प्रकृति पीएच चक्र 2.1 से 2.9 तक है। खदान में अम्लीय जल की उपस्थिति प्राकृतिक और भू-वैज्ञानिक कारणों से है। एमपीपीसीबी द्वारा वर्ष 2016, 2017, 2018 और 2019 में खदान के गड्ढे में संचित अम्लीय जल का समय-समय पर परीक्षण किया।

पानी अत्यधिक अम्लीय था और किसी भी मछली के लिए सही नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित सर्वोत्तम उपयोग जल गुणवत्ता मानदंडों के अनुसार मछली के रहने के लिए खदान के पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है इसलिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। अम्लीय जल में कोई भी मछली नहीं रह सकती है।

यह भी प्रस्तुत किया गया है कि खदान को कई साल पहले छोड़ दिया गया था, लेकिन इसमें कोई जलीय जीवन नहीं देखा गया है और ही स्थानीय लोगों को पानी में मछली पकड़ते देखा गया।

एनजीटी ने कटनी स्टोन क्रशर संचालको को प्रदूषण के खिलाफ सुरक्षा उपाय करने का दिया निर्देश

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने एनजीटी को सूचित किया कि ग्राम पंचायत भजपुरा, जिला कटनी में मेसर्स जी.एन.मिनरल्स द्वारा क्रशर और गिट्टी (छोटे पत्थर) प्लांट का संचालन पर्यावरण के अनुकूल हो रहा है। एमपीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निरीक्षण के समय इकाई चल रही थी और इकाई के पास ग्राम पंचायत, डीआईसी पंजीकरण, जमीन और वायु प्रदूषण से संबंधित सभी आवश्यक अनुमतियां थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रशर साइट पर धूल से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्टील की चादरों से ढका गया है और प्लांट के चारों ओर लोहे की चादर की एक चारदीवारी का निर्माण किया गया है। उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु पानी का छिड़काव करने के लिए 32 पानी छिड़कने वाले नोजल लगाए गए है। निरीक्षण के दौरान इकाई चूना पत्थर और डोलोमाइट पीस रही थी। कल-पुर्जों को ढ़कने वाली चादरों तथा कुछ खुले भागों में धूल देखी गई।

16 जनवरी, 2020 की व्यापक वायु गुणवत्ता निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व दिशा में, वायु प्रदुषण जायज सीमा से अधिक था। जबकि दूसरी दिशा में ये सीमा के भीतर था। क्षेत्रीय कार्यालय एमपीपीसीबी कटनी ने अक्टूबर 2019 में यूनिट को पत्र जारी किया था जिसमें चादरों के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत करने, जहां चादर नहीं है वहां चादर लगाने सहित इसमें अन्य अनुपालन शामिल थे। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए इकाई के अधिकारी सहमत हो गए हैं। 

एनजीटी ने निर्देश दिया कि प्रदूषण के खिलाफ सुरक्षा उपायों को अपनाया जाए और मामले का निपटारा किया जाए।

एनजीटी ने रेत खनन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए प्रभागीय वनाधिकारी को दिया अंतिम अवसर

5 अगस्त को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा ग्राम हमीरपुर की वन भूमि में अवैध रेत खनन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उत्तर प्रदेश के प्रभागीय वनाधिकारी, हमीरपुर को एक अंतिम अवसर दिया।  

अदालत ने कहा कि नौ महीने बाद भी कोई रिपोर्ट नहीं मिली और मामला बार-बार स्थगित किया गया। मामला नवंबर में सुनवाई के लिए फिर से सूचीबद्ध किया गया है।

गिरताल झील से हटाए गए अवैध निर्माण

जिला मजिस्ट्रेट, काशीपुर द्वारा सौंपी एक रिपोर्ट में एनजीटी को बताया गया है कि उत्तराखंड के काशीपुर शहर में गिरताल झील को नुकसान पहुंचाने वाले अवैध निर्माणों को हटा दिया गया है। इसके मद्देनजर, अदालत ने मामले का निपटारा किया।

भूजल को अवैध तरीके से निकालने पर एनजीटी ने जुर्माना वसूलने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 5 अगस्त को हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को भूजल को अवैध तरीके से निकालने के लिए नेशनल वूलन एंड फिनिशर से मुआवजा वसूलने का निर्देश दिया। 

पानीपत के सेक्टर 29 में संचालित इकाई को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) की अनुमति के बिना भूजल निकालते पाया गया था। एनजीटी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को अवैध निकासी के लिए मुआवजा वसूलने तथा इस तरह की निकासी को रोकने का निर्देश दिया। अवैध निकासी के लिए मुआवजे का आकलन करने और उस अवधि से, जब से भूजल निकाला गया, ट्रिब्यूनल के समक्ष आवेदन दाखिल करने की तारीख से पांच साल तक का मुआवजा लिया जाना चाहिए।

एनजीटी ने एचएसपीसीबी को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्धारित मानदंडों पर मुआवजे का आकलन करने और उसे ठीक करने के लिए उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। आदेश में कहा गया है कि भूजल के अवैध निष्कासन को रोका जाना चाहिए।