प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: एनजीटी ने सभी राज्यों में पर्यावरण की बहाली के लिए कार्य योजना तैयार करने का दिया निर्देश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सभी राज्यों में पर्यावरण की बहाली के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। एनजीटी द्वारा यह आदेश सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण समितियों के लिए जारी किया गया है। उन्हें सीपीसीबी के साथ मिलकर पर्यावरण की बहाली और जिला स्तर पर  पर्यावरण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही सीपीसीबी को उपलब्ध धन के उपयोग के लिए एक योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है। 

एनजीटी द्वारा यह आदेश 24 जुलाई, 2020 को जारी किया गया था। मामला उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा और चित्रकूट जिले में मैरिज हॉल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, अस्पताल, वाणिज्यिक परिसरों, होटलों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के अवैध संचालन से जुड़ा था। यह सभी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की बिना सहमति से चल रहे थे। 

इससे पहले एनजीटी ने 15 जुलाई, 2019 के अपने पिछले आदेश में कहा था कि यूपीपीसीबी ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से न निभा पाने के लिए कर्मचारियों की कमी को कारण बताया था। इस वजह से वो अपनी क़ानूनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाए थे। इस बाबत उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को स्थिति की समीक्षा करने और उसपर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

24 जुलाई को जब यह मामला फिर से एनजीटी के समक्ष आया तो यह देखा गया कि मुख्य सचिव ने अब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की है। साथ ही यूपीपीसीबी ने जो रिपोर्ट सबमिट की है, उसमें भी खामियां हैं। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें पर्यावरण की बहाली के लिए मिले फंड को प्रदूषण नियंत्रण कक्षों की स्थापना पर खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या यह एक तरह का पूंजी निवेश है।

कोर्ट के आदेशानुसार पर्यावरण की बहाली के लिए मिला फंड पर्यावरण को फिर से पुरानी स्थिति में लाने के लिए था। इसके अंतर्गत पर्यावरण के सतर्कता तंत्र को मजबूत करना और उसकी निगरानी के लिए प्रयोगशालाओं को स्थापित करना शामिल था। इसके साथ जिला मजिस्ट्रेटों के साथ मिलकर जिला स्तर पर पर्यावरण सम्बन्धी योजनाएं तैयार करना शामिल था। साथ ही बहाली के लिए विशेषज्ञों और सलाहकारों की मदद लेना और प्रदूषित स्थानों का अध्ययन और उसको प्रदूषण मुक्त करना शामिल था। 

कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को आदेश दिया है कि वो सीपीसीबी की मदद से अपनी कार्ययोजना पर दोबारा विचार करें और दो महीनों के अंदर सीपीसीबी की मंजूरी के बाद अपनी योजना को अंतिम रूप दें। 

सीईटीपी के मामले को आपसी बातचीत से सुलझाएं पर्यावरण मंत्रालय और पंजाब सरकार: एनजीटी

पंजाब डायर्स एसोसिएशन ने एनजीटी में एक अर्जी दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि पर्यावरण मंत्रालय और पंजाब राज्य द्वारा सीईटीपी के निर्माण के लिए जरुरी राशि का भुगतान नहीं किया गया है। मामला ताजपुर-रौन रोड पर रंगाई इकाइयों के लिए 50 एमएलडी कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की स्थापना से जुड़ा है।

इसके जवाब में पर्यावरण मंत्रालय ने कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है जिसमें उसने उठाए गए क़दमों की जानकारी दी है| इसमें तकनीकी मूल्यांकन समिति ने परियोजना की कुल लागत 55.40 करोड़ रुपए आंकी है, जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी 15 करोड़ रुपए है। 

इसके अलावा 40 एमएलडी ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मंत्रालय ने केंद्र की हिस्सेदारी के रूप में 2.88 करोड़ रूपए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) को दे दिए हैं। इसके साथ ही 1.44 करोड़ रुपए भी राज्य सरकार की सब्सिडी के रूप में उपलब्ध करा दिए गए हैं। केंद्र सरकार की परियोजना के तहत कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के लिए राज्य सरकारों को मदद दी जा रही है।

इसके साथ ही 50 एमएलडी सीईटीपी के लिए केंद्रीय सब्सिडी के रूप में 15 करोड़ रुपए की सब्सिडी को मंजूरी दे दी गई है। इस योजना के तहत मंत्रालय ने केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 3 करोड़ रुपए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जारी कर दिए गए हैं। 

हलफनामे के अनुसार केंद्रीय सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा सीईटीपी परियोजना को उपलब्ध कराने के बाद जारी की गई थी। पीपीसीबी को  50 एमएलडी और 40 एमएलडी सीईटीपी परियोजनाओं के लिए दी गई अनुमति आदेशों में जो शर्तें दी गई हैं उन्हें पूरा करना जरुरी है। 

एनजीटी ने 24 जुलाई को दिए अपने आदेश में कहा है कि अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल जरुरी है। इसमें कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने सुझाव दिया है कि एक महीने के भीतर पर्यावरण मंत्रालय के सचिव और पंजाब के मुख्य सचिव के बीच एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाए जिसमें आपस में मिलकर लिए गए निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है।

साथ ही कोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सभी रंगाई यूनिट्स और सीईटीपी के अन्य सदस्य नियमों और शर्तों का पालन करें और बिना ट्रीटमेंट अपशिष्ट न बहाएं। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी बनाया जाएगा। 

दिल्ली के गांव हैदरपुर में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का मामला

एनजीटी ने 24 जुलाई को दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वो गांव हैदरपुर, दिल्ली में सरकारी जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के मामले पर ध्यान दें। गौरतलब है कि इससे पहले अदालत ने सरस्वती विहार के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया था।

इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने बाद में दायर की रिपोर्ट पर नाखुशी जताई है और मुख्य सचिव को दो महीने के भीतर इसपर एक बैठक आयोजित करने और अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने को कहा है।