प्रदूषण

एनजीटी ने हानिकारक पर्यटन गतिविधियों के मामले में अधिकारियों से मांगा जवाब

Susan Chacko, Lalit Maurya

कुफरी में पर्यावरण के लिए खतरनाक पर्यटन गतिविधियों के मामले में दर्ज रिपोर्ट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संबंधित अधिकारियों से उनका जवाब मांगा है। मामला हिमाचल प्रदेश में शिमला के कुफरी का है। रिपोर्ट को अगले एक महीनों के भीतर सबमिट करना है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई, 2023 को होगी।

कुफरी में यह समस्या पर्यटन गतिविधियों के कुप्रबंधन से जुड़ी हैं। विशेष रूप से यह छोटे से क्षेत्र में बड़ी मात्रा में घोड़ों के उपयोग के कारण हुई है। जो वहां की प्राकृतिक वनस्पति, जीवों और पूरे पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।

गौरतलब है कि एनजीटी ने 13 मार्च, 2023 को दिए आदेश में संयुक्त समिति से अगले दो महीनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस मामले में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पत्र के माध्यम से 23 मार्च, 2023 संयुक्त समिति की रिपोर्ट को सबमिट किया था।

अपनी इस रिपोर्ट में समिति ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली कई गतिविधियों का जिक्र किया था। इसमें प्राकृतिक वनस्पतियों का होता क्षरण शामिल है। यह देखा गया कि एक छोटे से क्षेत्र में हजार से ज्यादा घोड़े और टट्टू हैं, जो क्षेत्र की वहन क्षमता से बहुत ज्यादा हैं। इसके साथ ही ठोस कचरे का भी वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। इससे क्षेत्र में भारी प्रदूषण हो रहा है।

आवेदक शैलेंद्र कुमार यादव का कहना है कि यह रिपोर्ट सारांश रूप में उनके स्टैंड का समर्थन करती है। इसलिए वो रिपोर्ट पर कोई आपत्ति या टिप्पणी करने का प्रस्ताव नहीं करते हैं। उन्होंने कोर्ट से रिपोर्ट को सार रूप में स्वीकार करने और लागू करने का अनुरोध किया है।

औद्योगिक कचरे को थिरुमणिमुथारू नदी में डाल रहा है रंगाई उद्योग, जांच के लिए समिति गठित

एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रंगाई इकाइयां की जांच के साथ उसपर तथ्यात्मक रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया है। शिकायत है कि रंगाई उद्योग अपने औद्योगिक कचरे को थिरुमणिमुथारू नदी में डाल रहा है।

इस मामले में कोर्ट ने एक संयुक्त समिति के गठन का आदेश दिया है। इस समिति में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय और सलेम के जिला मजिस्ट्रेट शामिल रहेंगे।

कोर्ट के अनुसार इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नोडल एजेंसी होंगे। यह समिति साइट का दौरा करेगी और इस मामले से जुड़े सभी जानकारियां एकत्र करेगी। साथ ही कोर्ट ने अगले दो महीनों के भीतर रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट में विचाराधीन उद्योगों को दी गई गई सहमति के अलावा ऐसे उद्योगों की संख्या, अपशिष्ट के निपटान की अंतिम विधि के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए। कोर्ट ने समिति को थिरुमणिमुथारू के लिए तैयार की गई नदी कार्य योजना को भी ध्यान में रखने के लिए कहा है, जो तमिलनाडु की प्रदूषित नदियों में से एक है।

गोपालगंज में प्रदूषण फैला रहे हैं पॉल्ट्री फार्म, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति को गोपालगंज में प्रदूषण फैलाने वाले पोल्ट्री फार्मों की जांच के निर्देश दिए हैं। इस समिति में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य शामिल होंगें। मामला बिहार के गोपालगंज में जिगना जगन्नाथ, मीरगंज का है।

आरोप है कि गोपालगंज में दो पोल्ट्री फार्म पर्यावरण संबंधी नियमों और कानूनों का पूरी तरह से उल्लंघन कर रहे थे। इन पोल्ट्री फार्मों से गांव में भारी वायु प्रदूषण हो रहा था, जिससे स्थानीय निवासियों और ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है।

कोर्ट में जानकारी दी गई है कि इन पोल्ट्री फार्मों से जहरीली गैसें और दुर्गंध निकल रही है, जिसका वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। इसके चलते क्षेत्र में गंभीर रूप से प्रदूषण हो रहा है।