नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सिधवां नहर पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए लुधियाना नगर निगम को तीन सप्ताह का समय दिया है। गौरतलब है कि पर्यावरण क्षतिपूर्ति के मामले में नगरपालिका की जिम्मेवारी के सवाल पर उससे जवाब मांगा गया था।
ट्रिब्यूनल का कहना है कि नगर निगम को अपने जवाब में यह भी विशेष रूप से उल्लेख करना चाहिए कि सिधवां नहर तल से कचरा हटाने के कार्य को पूरा करने में कितना और समय लगेगा।
साथ ही कोर्ट ने कचरे को नहर में डालने से रोकने के लिए कचरा संग्रह स्थल को अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए कितनी मोहलत चाहिए। कोर्ट ने नहर के दोनों ओर यदि कोई अतिक्रमण हो तो उसे नियंत्रित करने की भी बात कही है।
एनजीटी ने सिंचाई और बाढ़ नहर विभाग को नहर के दोनों किनारों पर 'नो डेवलपमेंट जोन' का सीमांकन करने और उसे अधिसूचित करने का आदेश दिया था।
अदालत को जानकारी दी गई है कि नगर निगम सिधवां नहर तल से कचरा हटाने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है। मामले में एनजीटी का कहना है कि निगम पर्यावरण मुआवजे के भुगतान की अपनी जिम्मेवारी से नहीं बच सकता।
सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड पर लगे पर्यावरण प्रदूषण के आरोप, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश
एनजीटी ने संयुक्त समिति को फरीदकोट में सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड पर लगे वायु और जल प्रदूषण के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है। मामला पंजाब के फरीदकोट की जैतु तहसील के सेधा सिंह वाला गांव का है। इस समिति में फरीदकोट के जिला मजिस्ट्रेट समन्वय के लिए नोडल एजेंसी होंगे। शिकायत मिली है कि सुखबीर एग्रो एनर्जी खुले में तालाब के पास फ्लाई ऐश की अवैध डंपिंग कर रहा था।
इतना ही नहीं एनजीटी को दिए आवेदन में कहा गया है कि यूनिट पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रख पराली जलाकर बिजली बना रही है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को परेशानी हो रही है। साथ ही इससे पर्यावरण और पीने के पानी भी दूषित हो रहा है।
एनजीटी ने दिए आवासीय क्षेत्र के पास चल रहे पेट्रोल पंप की जांच के निर्देश
एनजीटी ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति को आवासीय क्षेत्र के पास चल रहे पेट्रोल पंप की जांच करने का निर्देश दिया है। मामला देहरादून में अजबपुर कला माता मंडी रोड का है, जहां आवासीय सेहतरा के पास पेट्रोल पंप की शिकायत सामने आई थी।
समिति को मौके पर मुआयना करके आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया है। ऐसे में यदि पर्यावरणीय मानदंडों का कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो अधिकारियों को दो महीनों के भीतर कानून के तहत जरूरी करवाई करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि शिकायतकर्ता अमित अग्रवाल का कहना है कि पेट्रोल पंप के दोनों ओर पर्याप्त जगह नहीं छोड़ी गई है और अग्निशमन यंत्र नहीं लगाए गए हैं। साथ ही अग्नि सुरक्षा उपायों का उल्लंघन किया गया है। वहीं अग्निशमन विभाग से जरूरी मंजूरी नहीं ली गई है और 18 मीटर चौड़ी सड़क की आवश्यकता का भी पालन नहीं किया गया है।