प्रदूषण

पर्यावरण मुकदमों की डायरी: 21 अगस्त 2020

देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में बीते सप्ताह क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें

Susan Chacko, Lalit Maurya

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने अमोनियम नाइट्रेट के मामले में अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है। मामला चेन्नई के तिरुवोत्रियुर तालुका से जुड़ा है। जहां मेसर्स सत्व कंटेनर फ्रेट स्टेशन के एक गोदाम में 700 टन अमोनियम नाइट्रेट का स्टॉक जमा किया गया था। 

इस गोदाम में 2015 से अमोनियम नाइट्रेट को स्टोर किया गया था। जिसका 6 अगस्त, 2020 को टीएनपीसीबी, पुलिस विभाग और फायर एंड रेस्क्यू सर्विसेज, चेन्नई के अधिकारियों ने निरिक्षण किया था। इस जांच रिपोर्ट में यह कुछ ख़ास बातें सामने आई हैं: 

  • यह गोदाम 18 एकड़ में फैला है। जिसके पूरब, पश्चिम और उत्तर में कंटेनर फ्रेट स्टेशन हैं जबकि पश्चिम में पोन्नेरी हाई रोड है।
  • इस गोदाम से 700 मीटर की दूरी पर मनाली न्यू टाउन है जिसकी आबादी करीब 7000 है। जबकि इसके पूर्व में सदायंकुप्पम गांव है जोकि इससे 1500 मीटर की दूरी पर है, इसकी आबादी 5000 के करीब है।
  • सत्त्व कंटेनर फ्रेट स्टेशन के परिसर में कुल 740 टन अमोनियम नाइट्रेट संग्रहीत किया गया था। जोकि 37 एमएस कंटेनर में रखा गया था जिसकी क्षमता 20 टन थी।
  • इसे चेन्नई पोर्ट से लाया गया था और 27 सितंबर, 2015 से इस गोदाम में रखा हुआ था। इस हानिकारक केमिकल को 25 किलोग्राम के पॉलीप्रोपाइलीन बैग में क्रिस्टलीकृत रूप से स्टोर किया गया था।
  • निरीक्षण के दौरान उपस्थित सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस सामग्री को मैसर्स श्री अम्मन केमिकल्स, करूर द्वारा आयात किया गया था। कुछ कानूनी पेंच के कारण यह रसायन अभी भी सीमा शुल्क विभाग के कब्जे में था।
  • सीमा शुल्क अधिकारीयों ने यह भी बताया है कि इस अमोनियम नाइट्रेट के उपयोग के लिए बोली लगाई गई है और यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी। 

जब इस गोदाम का फिर से निरिक्षण किया गया तो पता चला कि इस केमिकल को अब गोदाम से हटा लिया गया है। जानकारी दी गई है कि 697 टन अमोनियम नाइट्रेट वाले 37 कंटेनरों को मेसर्स साल्वो एक्सप्लोसिव्स एंड केमिकल्स प्राइवेट के पास भेज दिया गया है। जोकि  तेलंगाना में एक डेटोनेटर निर्माता है और उसके पास अमोनियम नाइट्रेट के लिए वैध लाइसेंस है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि पहले की रिपोर्ट में इसकी मात्रा 740 टन बताई गई थी जोकि वास्तविकता में 697 टन है। 

स्टोरहाउस में रखे अमोनियम नाइट्रेट पर डायरेक्टर, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हेल्थ द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट

चेन्नई के स्टोरहाउस में रखे अमोनियम नाइट्रेट पर डायरेक्टर, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हेल्थ ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी के सामने पेश कर दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई के तिरुवोत्रियुर तालुका में जहां मेसर्स सत्व कंटेनर फ्रेट स्टेशन के एक गोदाम में अमोनियम नाइट्रेट रखा गया था वो फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के अनुसार एक कारखाना नहीं है। जिस वजह से यह गोदाम उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसकी जानकारी डायरेक्टर, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हेल्थ ने 7 अगस्त को एक पत्र  के माध्यम से अध्यक्ष, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दे दी है। 

इस रिपोर्ट को 19 अगस्त 2020 को सबमिट किया गया है। इस गोदाम में 2015 से अमोनियम नाइट्रेट को स्टोर किया गया था। 

कृष्णा नदी में अवैध खनन के मामले में सीपीसीबी ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट 

14 फरवरी, 2020 को दिए एनजीटी के आदेश (मूल आवेदन संख्या 935/2018) पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर दी है। मामला नदी से गाद निकलने के नाम पर किये जा रहे अवैध खनन से जुड़ा है। जिसके कारण आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी और पर्यावरण को इसकी वजह से नुकसान पहुंचा था। 

इस मामले पर आंध्र प्रदेश द्वारा दलील दी गई है कि गाद निकालने का यह काम अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया गया था। जिसमें पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा था। इस मामले में 14 फरवरी को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और एसपी वांगडी की पीठ ने एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया था। 

इस समिति में पर्यावरण मंत्रालय, इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और सीपीसीबी के अधिकारियों को शामिल किया गया था। जिन्हें आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा एनजीटी में सबमिट दो रिपोर्टों का 'स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और सत्यापन' करने का निर्देश दिया गया था।