प्रदूषण

कृष्णा नदी प्रदूषण: सांगली मिराज और कुपवाड सिटी नगर निगम पर 90 करोड़ का जुर्माना

एनजीटी ने बीरभूम में खनन गतिविधियों के चलते हुए नुकसान की भरपाई करने और बहाली के लिए आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दिए हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

बीरभूम में अवैध खनन को रोकने के लिए तत्काल उठाए जाए कदम: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पश्चिम बंगाल पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट को क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन को तुरंत रोकने का निर्देश दिया है। मामला बीरभूम के मौजा मदना में चल रहे अवैध पत्थर खनन से जुड़ा है।

16 फरवरी 2024 को दिए अपने इस आदेश में एनजीटी ने अधिकारियों से अगली सुनवाई से पहले एक हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई तीन अप्रैल, 2024 को होनी है।

गौरतलब है कि इस मामले में 15 फरवरी, 2024 को पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक हलफनामा दायर किया था। इस हलफनामे के साथ जो रिपोर्ट है उसमें मूल आवेदन में निर्दिष्ट भूखंडों से परे अवैध खनन के सबूत मिले हैं। इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि जिला प्रशासन इसके लिए जिम्मेवार लोगों की पहचान करने के साथ अवैध रूप से निकाली गई पत्थर की मात्रा निर्धारित करे। रिपोर्ट में राजस्व को हुए नुकसान का भी अनुमान लगाने की बात कही गई है।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट के मुताबिक खनन गतिविधियों ने आसपास के वातावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मानवीय हस्तक्षेप से काफी हद तक इन प्रभावों को कम किया जा सकता है, लेकिन इन्हें पूरी तरह से पलटना संभव नहीं है।

ऐसे में रिपोर्ट में खनन गतिविधियों के चलते हुए नुकसान की तुरंत भरपाई करने और इसके सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है।

कृष्णा नदी प्रदूषण: एमपीसीबी ने सांगली मिराज और कुपवाड सिटी नगर निगम को 90 करोड़ के भुगतान का दिया निर्देश

महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने सांगली मिराज और कुपवाड सिटी नगर निगम से 90 करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में भरने को कहा है। यह मुआवजा पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए निर्धारित किया गया है।

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 29 नवंबर, 2023 को दिए अपने निर्देश में सांगली मिराज और कुपवाड सिटी नगर निगम पर पर्यावरणीय मुआवजा और जुर्माना लगाने का निर्देश दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इस मुआवजे की गणना की गई है।

पूरा मामला सांगली जिले के दिगराज मौजे का है, जहां पलुस से सांगली क्षेत्र के पास स्थित कई उद्योगों द्वारा कृष्णा नदी में दूषित अपशिष्टों (एफ्लुएंट) का निर्वहन किया गया था।

फर्ग्यूसन कॉलेज हिल में तीन नए जल जलाशयों के निर्माण की है जरूरत: पुणे नगर निगम

पुणे नगर निगम (पीएमसी) ने 16 फरवरी को कहा है कि सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए फर्ग्यूसन कॉलेज हिल में तीन नए जल जलाशयों का निर्माण जरूरी है। पुणे नगर निगम का यह भी कहना है कि इस परियोजना के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त कर ली गई हैं। साथ ही पीएमसी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करने का भी वचन दिया है।

पुणे नगर निगम ने एनजीटी को सौंपे अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि पानी की यह मांग शहरी विकास योजना में किए प्रावधानों और विभिन्न भूमि उपयोगों द्वारा निर्धारित की जाती है। इनमें वाणिज्यिक, शैक्षिक, अस्पताल, आवासीय, स्लम क्षेत्र, गैर-राजस्व जल, नुकसान और अन्य कारक शामिल हैं।

हलफनामे के मुताबिक पानी की टैंक के निर्माण की अनुमानित लागत 235.95 करोड़ रुपए है। महाराष्ट्र सरकार अमृत योजना के तहत इस परियोजना के लिए 50 फीसदी (117.97 करोड़ रुपए) सब्सिडी दे रही है।

पुणे नगर निगम ने एनजीटी को यह भी जानकारी दी है कि 2022 से 2047 के बीच आबादी की पानी की मांग को कैसे पूरा किया जाएगा इसके लिए इंजीनियरिंग विश्लेषण किया गया था। इसके बाद गुरुत्वाकर्षण द्वारा पानी वितरित करने के लिए उच्चतम स्थान का चयन किया गया था, क्योंकि इन जल जलाशयों के निर्माण के लिए आस-पास जमीन का कोई अन्य उपयुक्त टुकड़ा उपलब्ध नहीं है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि यदि पानी के टैंक को पहाड़ियों पर बनाने की जगह साढ़े आठ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हर दिन 1.85 करोड़ लीटर पानी पम्प करना हो तो उसके लिए भारी मात्रा में बिजली की खपत होगी, जिसका पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।