प्रदूषण

बडगाम में अवैध खनन में शामिल दो खनिकों पर एनजीटी ने लगाया लाखों का अंतरिम मुआवजा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बडगाम में अवैध खनन में लगे दो खनिकों को लाखों रुपए का अंतरिम पर्यावरणीय मुआवजा भरने का निर्देश दिया है

Susan Chacko, Lalit Maurya

बडगाम में अवैध खनन में लगे दो खनिकों, दानिश यूसुफ और रऊफ अहमद को एनजीटी ने लाखों रुपए का अंतरिम पर्यावरणीय मुआवजा (ईसी) भरने का निर्देश दिया है। उन्हें दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जेकेपीसीसी) के पास क्रमशः 7,46,400 रुपए और 833,520 रुपए जमा करने होंगे।

मामला जम्मू-कश्मीर के बड़गाम जिले में अवैध खनन से जुड़ा है। हालांकि साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पर्यावरणीय मुआवजे की अंतिम राशि जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा निर्धारित की जाएगी।

कोर्ट के मुताबिक पर्यावरणीय मुआवजे की इस राशि का उपयोग उक्त क्षेत्र में पर्यावरण के सुधार, पुनरुद्धार और बहाली के लिए किया जाएगा। बहाली का यह कार्य एक कायाकल्प योजना के आधार पर किया जाएगा। इस योजना को जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति और बडगाम के जिला कलेक्टर द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा।

कोर्ट के निर्देशानुसार पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के अलावा, जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति इन खननकर्ताओं के खिलाफ अन्य कानूनी कार्रवाई भी करेगी। साथ ही कोर्ट ने उसे पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई करने के साथ जीर्णोद्धार सम्बन्धी उपाय भी करेगी।

इस बारे में जेकेपीसीसी और बडगाम के जिला मजिस्ट्रेट का कहना है कि छह जुलाई, 2021 को दी गई पर्यावरण मंजूरी के नियमों के आधार पर खनन गतिविधियों को तुरंत बंद करने का आदेश दिया गया है।

असम में पैदा हो रहे सीवेज और उसके निपटान के बीच है 41.3 करोड़ लीटर प्रतिदिन का अंतर: रिपोर्ट

असम में हर दिन 43.55 करोड़ लीटर सीवेज पैदा हो रहा है। हालांकि इसके निपटान के लिए पर्याप्त क्षमता मौजूद नहीं है। यदि पैदा हो रहे सीवेज और उसके निपटान के बीच के अंतर को देखें तो वो करीब 41.3 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। मतलब कि असम में सीवेज के निपटान की मौजूदा क्षमता केवल 2.26 करोड़ लीटर की ही है।

असम सरकार ने इस बारे में जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें यह भी सामने आया है कि ब्रह्मपुत्र नदी में छोड़े जाने से पहले सिल्साको बील में 1.5 करोड़ लीटर सीवेज को उपचारित किया जा रहा है। इसके अलावा, गुवाहाटी शहर के अस्पतालों, होटलों और अपार्टमेंटों से निकलने वाले करीब 75.9 लाख लीटर सीवेज का वहीं उपचार किया जा रहा है। ऐसे में इस अंतर को भरने के लिए 34.05 करोड़ लीटर सीवेज उपचार के लिए पर्याप्त क्षमता बनाने की योजना बनाई गई है।

यूनिसेफ 32 शहरों में मानव अपशिष्ट, जिसे मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (एफएसटीपी) कहा जाता है, के प्रबंधन के लिए सुविधाएं बनाने में मदद कर रहा है। ये सुविधाएं हर दिन 352,000 लीटर सीवेज को संभालने में सक्षम होंगी। इस परियोजना के लिए 39.11 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है।