एनजीटी ने वलसाड में फार्मा कंपनी, वेन पेट्रोकेम एंड फार्मा इंडिया को कंपनी में हुए विस्फोट के दौरान जान गंवाने वाले श्रमिकों के परिजनों को ज्यादा मुआवजा देने का निर्देश दिया है। विस्फोट की यह घटना 28 फरवरी, 2023 को घटित हुई थी।
कोर्ट को सूचित किया गया है कि परियोजना प्रस्तावक (वेन पेट्रोकेम एंड फार्मा इंडिया) द्वारा हर एक मृतक के वारिसों को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपए दिए गए थे। अदालत का कहना है कि यह धनराशि न तो कामगार मुआवजा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पर्याप्त है और न ही कई मामलों में एनजीटी द्वारा दिए गए न्यूनतम मुआवजे के पैमाने के अनुसार है।
इस प्रकार, एनजीटी ने वेन पेट्रोकेम एंड फार्मा इंडिया को प्रत्येक मृतक के वारिसों को 10 लाख रुपए की अतिरिक्त धनराशि और प्रत्येक घायल को 10 लाख रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा अधिकारियों को इस उद्देश्य के लिए गठित संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा गया है। कोर्ट के अनुसार, "इसके लिए घटना के सटीक कारणों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि खतरनाक रासायनिक नियम, 1989 के निर्माण, भंडारण और आयात के अनुपालन की स्थिति को सत्यापित नहीं किया गया है।" ऐसे में इस उद्देश्य के लिए, ट्रिब्यूनल ने एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। समिति घटना स्थल का दौरा करेगी, घटना के कारणों का पता लगाएगी और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में अपनाए जाने वाले उपायों का सुझाव देगी।
उदयपुर में पहाड़ों के होते विनाश को रोकने के लिए कोर्ट ने दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राजस्थान के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उदयपुर में पहाड़ियों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय अपनाए जाएं। कोर्ट के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जल आपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी पहाड़ों को काटे बिना पर्यावरणीय मानदंडों के अनुरूप शुरू किया जाए।
कोर्ट ने 15 मार्च 2023 को अपने आदेश में कहा है कि राजस्थान के मुख्य सचिव को भूविज्ञान विभाग या किसी अन्य विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। जिससे सीमाओं को अधिसूचित करके और उनका उपयुक्त सीमांकन करके पहाड़ियों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय किए जा सकें। इस तरह के उपाय तीन महीने के भीतर किए जाने हैं।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि उदयपुर की पहाड़ियों पर विकास और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया जाए।
मुरादाबाद में नियमों को ताक पर रख चल रहे ईंट भट्ठे की जांच के दिए निर्देश
मुरादाबाद में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर चल रहे ईंट भट्ठे के खिलाफ एनजीटी ने जांच के आदेश दिए है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, अदालत ने अधिकारियों को इस मामले की जांच करने के लिए कहा है। मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में चौधरी ब्रिक वर्क्स द्वारा संचालित ईंट भट्ठे से जुड़ा है।
इस मामले में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मुरादाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को स्थिति रिपोर्ट के साथ दो महीनों के भीतर नियमों को ध्यान में रखते हुए जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
पता चला है कि इस ईंट भट्ठे के लिए वायु अधिनियम, 1981 के तहत कोई सहमति नहीं मिली है और न ही उत्तर प्रदेश ईंट भट्ठा नियम, 2012 में निर्धारित साइटिंग मानदंड का पालन किया गया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह यूनिट गांव में बसावट से केवल 100 मीटर के दायरे में है, जबकि शहीद स्मारक से 50 मीटर और मौजूदा ईंट भट्ठे से केवल 800 मीटर की दूरी पर है।
मुंबई में कचरे की डंपिंग से मैंग्रोव को होता नुकसान, एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण को गैर कानूनी तरीके से हो रही कचरे के डंपिंग, अतिक्रमण और मैंग्रोव की बहाली के लिए जरूरी कार्रवाई के लिए समयबद्ध कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
साथ ही कोर्ट ने तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना, 2019 के अनुसार अवैध अतिक्रमणों, निर्माण और विध्वंस कचरे की डंपिंग और मैंग्रोव को होते नुकसान की जांच के लिए कहा है। यह कार्रवाई मुंबई के नमक आयुक्त द्वारा पर्यावरण विभाग, महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव और राष्ट्रीय तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण की देखरेख में की जाएगी।
एनजीटी ने 15 मार्च, 2023 को दिए अपने निर्देश में कहा कि संयुक्त समिति द्वारा 13 फरवरी, 2023 को दायर की गई स्थिति रिपोर्ट से यह स्पष्ट था कि पांच महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी की पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई है। वहां से सी एंड डी कचरे को नहीं हटाया गया है और अवैध अतिक्रमण अभी भी बना हुआ है।
विभागों के बीच समन्वय की कमी और लचर प्रशासन व्यवस्था के चलते तट और पर्यावरण को होता नुकसान जारी है। वहीं एसीएस, पर्यावरण ने ट्रिब्यूनल को आश्वासन दिया है कि तीन महीने के भीतर उपचारात्मक उपाय पूरे कर लिए जाएंगे।
इसमें सभी अतिक्रमणों को हटाना, प्रोसेस करने के लिए सी एंड डी कचरे को उठाना और क्षतिग्रस्त मैंग्रोव की वृक्षारोपण के जरिए बहाली करना शामिल है। निर्देश के मुताबिक यह अनुपालन रिपोर्ट 30 जून, 2023 से पहले दायर की जानी चाहिए।
एनजीटी के समक्ष दायर आवेदन में कहा गया था कि मुंबई शहर में वडाला से माहुल तक तटीय सड़क के पास, चेंबूर से सीएसटी फ्रीवे के करीब, सॉल्ट पैन पर मलबा डालकर, उसमें द्वीप बनाकर और अतिक्रमण करके पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। शिकायत की गई थी, इससे मैंग्रोव प्रभावित हो रहा है जो मुंबई शहर के लिए बहुत मायने रखता है।
मामले में आवेदक मधुरा राजेश तावड़े का कहना है कि अनाधिकृत निर्माण पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जारी सीआरजेड नियमों के खिलाफ हैं।