प्रदूषण

फ्लाई ऐश के निपटान में नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों से वसूले गए हैं 58 करोड़ रुपए: यूपीपीसीबी

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फ्लाई ऐश के निपटान में नियमों का उल्लंघन करने वाले डिफॉल्टर उद्योगों से पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 58.14 करोड़ रुपए वसूल किए हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

यह जानकारी यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव ने अपने हलफनामे में दी है। बता दें कि यह हलफनामा सचिन तोमर बनाम उत्तर प्रदेश के मामले में छह अक्टूबर, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा दिए आदेश पर कोर्ट में सौंपा गया है।

हलफनामे के मुताबिक इसमें से 10.63 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा एनजीटी के आदेश पर वसूला गया है। वहीं राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए बनाए आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देश पर 1.25 करोड़ रुपए और पर्यावरण क्षतिपूर्ति के आकलन के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए 46.26 करोड़ रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है।

गौरतलब है कि इन उद्योगों द्वारा पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के अनुसार ग्रीन बेल्ट का विकास किया गया है या नहीं और फ्लाई ऐश का निपटान कहां किया जाएगा इनका निरीक्षण यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा किया गया है।

साथ ही कोयला आधारित उद्योगों से निकलने वाली फ्लाई ऐश के निपटान के पर्यावरण-अनुकूल तरीकों का अध्ययन करने के लिए भारत सरकार के GeM पोर्टल के माध्यम से एक अग्रणी एजेंसी के चयन का प्रस्ताव किया गया है।

बंध बारैठा वन्यजीव अभयारण्य में चल रहा अवैध खनन का खेल, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भरतपुर में बंध बारैठा वन्यजीव अभयारण्य के भीतर चल रहे अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। इस समिति में भरतपुर के कलेक्टर, जिला वन अधिकारी और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।

कोर्ट ने समिति से साइट का दौरा करने और छह सप्ताह के भीतर तथ्यों की जांच कर तथ्यात्मक एवं कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अदालत ने अधिकारियों से भी छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। 

इस बाबत जारी आवेदन में जल अधिनियम, 1974, वायु अधिनियम, 1981 और ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के किए जा रहे उल्लंघन को लेकर चिंता जताई गई थी। साथ ही इसमें बंध बारैठा वन्यजीव अभयारण्य के अधिसूचित क्षेत्र और भरतपुर में बयाना तहसील के अन्य हिस्सों में किए जा रहे अवैध खनन के आरोप लगाए हैं। आवेदन में यह भी कहा गया है कि खनन से निकलने वाली धूल से साइट के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने बंध बारैठा वन्यजीव अभयारण्य के एक हिस्से को खनन और राजस्व अर्जन के लिए गैर-अधिसूचित क्षेत्र घोषित कर दिया था। हालांकि आवेदक का कहना है कि कुछ अवैध खननकर्ताओं ने अभयारण्य के संरक्षित क्षेत्र और बयाना तहसील के आसपास के हिस्सों में अधिकारियों की अनुमति लिए बिना ही बलुआ पत्थर का खनन शुरू कर दिया है।

सीएसआर/सीईआर के तहत गतिविधियां चला रहा है इंडियन पोटाश लिमिटेड

इंडियन पोटाश लिमिटेड ने एनजीटी के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा है कि उद्योग हरित पट्टी को बनाए रखने और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी और कॉर्पोरेट पर्यावरण जिम्मेदारी के तहत गतिविधियों को पूरा करने के लिए सभी कदम उठा रहा है।

उदाहरण के लिए, उद्योग ने वृहद वृक्ष रोपण महाअभियान 2023 में भाग लिया था और विभिन्न किस्मों के 5,000 पेड़ लगाए थे। हालांकि लगाए गए 5,000 नए पौधों में से करीब 1500 पौधे जीवित नहीं रह सके और वर्तमान में फैक्ट्री परिसर में 3,500 पेड़ मौजूद हैं।