प्रदूषण

जानिए क्यों फ्लाई ऐश के निपटान और उसके संभावित प्रभाव के सम्बन्ध में एनजीटी ने रिपोर्ट पर जताया असंतोष

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने फ्लाई ऐश के निपटान और आसपास की वनस्पति पर इसके संभावित प्रभाव के संबंध में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया है।

मामला मुजफ्फरपुर में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश के निपटान से जुड़ा है। ट्रिब्यूनल ने 12 अप्रैल, 2024 को इस मामले में कहा है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में बेहद  लापरवाह रवैया दिखाया है।

एनजीटी ने कहा है कि, "यह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेवारी थी कि उन्हें सहायक बागवानी निदेशक, मुजफ्फरपुर या वहां के जिला कृषि अधिकारी से यदि कोई नुकसान हुआ है तो उसकी जानकारी मांगनी चाहिए थी। साथ ही वो नुकसान कितना था इसके संदर्भ में भी उन्हें विशेष जानकारी हासिल करनी चाहिए थी।"

ऐसे में एनजीटी ने 19 अप्रैल, 2022 को अदालत के आदेश पर गठित समिति को साइट की फिर से जांच करने को कहा है। साथ ही एनटीपीसी लिमिटेड ने 2016/2021 फ्लाई ऐश उपयोग अधिसूचना का यदि उल्लंघन किया है तो उसके सम्बन्ध में समिति से एक नई निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

गौरतलब है कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो जनवरी, 2023 को दायर अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि पत्तियों पर जमा फ्लाई ऐश की मोटी परत ने पौधों की प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। हालांकि अदालत ने पाया कि मुजफ्फरपुर के जिला कृषि अधिकारी ने इस मामले पर कोई निर्णायक वैज्ञानिक या तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। इसी प्रकार मुजफ्फरपुर के बागवानी विभाग के सहायक निदेशक ने संदर्भित कृषि भूमि में बागवानी फसलों की उत्पादकता में किसी भी नुकसान की निर्णायक रूप से सूचना नहीं दी है।

ट्रिब्यूनल का कहना है कि यदि फसलों को हुए नुकसान के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं है, तो इसका यह मतलब नहीं है कि फसलों को कोई नुकसान नहीं हुआ। ऐसे में इस बात का स्पष्ट निर्धारण होना चाहिए कि क्षति हुई है या नहीं।

छत्तीसगढ़ में कितने तालाब और जल निकाय हैं, ट्रिब्यूनल ने समिति को दिया आंकलन का निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छत्तीसगढ़ में तालाबों और जल निकायों की कुल संख्या का आंकलन करने के लिए एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है। इस समिति को सभी जिला मजिस्ट्रेटों से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज तालाबों, उनके क्षेत्रों, वर्तमान स्थिति, अतिक्रमण और अतिक्रमण को संबोधित करने के लिए की गई कार्रवाई के बारे में स्थिति रिपोर्ट तलब करने का काम सौंपा है।

10 अप्रैल, 2024 को दिए आदेश में कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक जिले के लिए संयुक्त रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जानी चाहिए। मामले पर अगली सुनवाई दस अप्रैल 2024 को होनी है।

कांगनहेड़ी गांव में जोहड़ और उसके आसपास हटाए गए हैं कुछ अतिक्रमण: रिपोर्ट

15 मई, 2023 को चलाए गए विध्वंस अभियान के दौरान दिल्ली के कांगनहेड़ी गांव में जोहड़ या तालाब और उसके आसपास के कुछ अतिक्रमण हटा दिए गए हैं। हालांकि, ग्रामीणों के विरोध के कारण सभी अतिक्रमण नहीं हटाए जा सके हैं। इसके अलावा, जोहड़ की सुरक्षा के लिए चारदीवारी का निर्माण किया जाना है, जिसके लिए निदेशक (पंचायत) ने 29 फरवरी, 2024 को 47 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है।

यह जानकारी नौ अप्रैल 2024 को संयुक्त समिति की रिपोर्ट के साथ, कापसहेड़ा के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में साझा की गई है। गौरतलब है कि एनजीटी ने कांगनहेड़ी में विभिन्न एजेंसियों की एक संयुक्त समिति को वहां स्थित तालाब या जोहड़ों की भूमि का सीमांकन करने का निर्देश दिया था।