प्रदूषण

सुप्रीम कोर्ट ने पेट्रोल पंपों में वेपर रिकवरी सिस्टम लगाने का दिया निर्देश

Susan Chacko, Lalit Maurya

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पेट्रोल पंपों में तय समयावधि में वेपर रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) लगाने का निर्देश दिया है। यह आदेश 14 मार्च, 2023 को जारी किया है। कोर्ट ने यह निर्देश दस लाख से ज्यादा आबादी वाले क्षेत्रों और जिन पेट्रोल पंपों में 300 किलो लीटर से अधिक पेट्रोल की बिक्री होती है, के लिए जारी किया है।

वेपर रिकवरी सिस्टम एक उपकरण होता है, जिसे पेट्रोल पंपों में तेल की भरने या निकालने के समय वाष्प को नियंत्रित करने के लिए लगाया जाता है।

कोर्ट ने सीपीसीबी को सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने को कहा है कि 7 जनवरी, 2020 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए।

ऐसे में यदि सीपीसीबी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में से किसी का भी उल्लंघन होता है तो संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल्द से जल्द कानून को ध्यान में रखते हुए दोषी आउटलेट के खिलाफ कार्रवाई करेंगें। यह अपील एनजीटी द्वारा 23 दिसंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ तेल विपणन कंपनी 'रिलायंस बीपी मोबिलिटी लिमिटेड' द्वारा दायर की गई थी।

इस मामले में चेन्नई निवासी वी बी आर मेनन ने एनजीटी, चेन्नई के समक्ष 2020 में आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा पेट्रोलियम आउटलेट्स में वाष्प रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) न लगाए जाने का मुद्दा उठाया था।

हिमाचल प्रदेश की 16 डंपसाइट में वर्षों से जमा है 2,63,641 टन कचरा

हिमाचल प्रदेश में वर्षों से जमा कचरे की कुल 16 डंपसाइट हैं और उनमें  2,63,641 टन कचरा डंप किया गया है। हालांकि इन डंपसाइट्स से करीब 83,311.28 टन कचरे को साफ कर दिया गया है। पता चला है कि सुंदर नगर और सरकाघाट में दो वर्षों से जमा कचरे की डंपसाइटों को साफ कर दिया गया है और 14 डंपसाइटों में जैव खनन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश ने इन सभी डंपसाइटों को साफ करने के लिए दिसंबर 2023 तक की सीमा निर्धारित की है। यह यह बात हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुपालन के संबंध में राज्य के लिए 2018 के मूल आवेदन संख्या 606 में अपने प्रतिवेदन में कही है।

वहीं जब प्लास्टिक कचरे की वापस खरीद नीति की बात आती है, तो राज्य ने अब तक कुल 258 टन कचरा खरीदा और प्रोसेस किया है। इसे  सीमेंट उद्योगों और सड़क निर्माण के माध्यम से प्रोसेस किया गया है। इसी तरह कचरे को 100 फीसदी प्रोसेस करने के लिए दिसंबर 2023 की समय सीमा निर्धारित की गई है।

जानकारी दी गई है कि यूएलबी के पार्कों, बगीचों में खाद का उपयोग किया जा रहा है और कुछ यूएलबी ने कृषि और बागवानी उद्देश्य के लिए खाद बेचना शुरू कर दिया है। साथ ही कुछ क्षेत्रों में मुफ्त में खाद का वितरण भी किया जा रहा है।

वहीं निपटान न हो सकने वाले कचरे को प्रोसेस करने के लिए सीमेंट उद्योगों और सड़क निर्माण में उपयोग के लिए लोक निर्माण विभाग को भेजा जा रहा है। वहीं मिट्टी, धूल, बजरी, ग्लास और प्रोसेस रिजेक्ट जो बहुत कम मात्रा में है उन्हें स्थानीय तौर पर भूमि को बराबर करने के लिए उपयोग किया जा रहा है।

यह जानकारी 15 मार्च 2023 को जारी रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि शिमला और बद्दी में लैंडफिल सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।

मंडीदीप में कचरे का समाधान न करने के लिए लगाया 60 लाख रुपए का जुर्माना

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) ने पर्यावरण मुआवजे के रूप में 60 लाख रुपए भरने के लिए नोटिस जारी किए है। यह जुर्माना 1 जुलाई 2020 से 31 दिसम्बर 2022 के बीच सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के उल्लंघन के लिए मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद पर लगाया गया है। मामला रायसेन जिले के मंडीदीप का है।

यह जुर्माना सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के नियम 22 का पालन न कर पाने और 15 मार्च की रिपोर्ट में वर्षों से जमा कचरे का उपचार न कर पाने के लिए लगाया गया है। गौरतलब है कि मंडीदीप से उत्पन्न और एकत्र किए जा रहे कचरे के लिए सैनिटरी लैंडफिल न होने का मुद्दा उठाते हुए एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था।