प्रदूषण

मुजफ्फरनगर में दूषित घरेलू सीवेज काली नदी को कर रहा गंदा

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

काली नदी में मिलने से पहले बेगराजपुर नाले में डाला जा रहा दूषित घरेलू सीवेज प्रदूषण का प्रमुख कारण है। यह नाला मुजफ्फरनगर का मुख्य नाला है। हालांकि यह कहा गया है कि एक बार प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के चालू हो जाने के बाद मुजफ्फरनगर के इस मुख्य नाले में बीओडी और सीओडी के स्तर में उल्लेखनीय कमी आ जाएगी।

यह जानकारी संयुक्त समिति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लियाकत अली और अन्य बनाम यूपी के मामले में सबमिट रिपोर्ट में कही गई हैं। 13 फरवरी, 2023 को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मुजफ्फरनगर में कुल 45 उद्योग कार्यरत हैं, जो जल प्रदूषण के लिए जिम्मेवार हैं।

यह उद्योग मुख्य रूप से ढंडेरा/बेगराजपुर नाले के माध्यम से काली नदी (पश्चिम) में ट्रीट किए हुए एफ्लुएंट को छोड़ रहे हैं। वहीं जानकारी मिली है कि लुगदी और कागज उद्योग, जो वैज्ञानिक तरीके से फ्लाई ऐश का निपटान नहीं कर रहे थे, उन्होंने अब फ्लाई ऐश के निपटान के विवरण के साथ फ्लाई ऐश की मात्रा के बारे में विवरण जारी कर दिया है।

पता चला है कि वो इसे भूमि को बर्न और ईंट बनाने में उपयोग कर रहे हैं। वहीं इसके सत्यापन के लिए कुछ फ्लाई ऐश लैंडफिलिंग क्षेत्रों का निरीक्षण भी किया गया है।

जांच से पता चला है कि बेगराजपुर ड्रेन में सीओडी का उच्च स्तर मौजूद था, जबकि सीसा, क्रोमियम, जिंक जैसी प्रमुख भारी धातुएं नालियों में मौजूद हैं और वो निर्धारित सीमा के भीतर हैं। हालांकि पानी की कठोरता, मैग्नीशियम और कैल्शियम के पैरामीटर मुख्य रूप से अनुपचारित सीवेज/घरेलू प्रवाह द्वारा योगदान निर्धारित सीमा से ऊपर हैं।

गौरतलब है कि यूपीपीसीबी और जिला प्रशासन द्वारा इन उद्योगों का नियमित निरीक्षण किया जा रहा है। साथ ही नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाही की जा रही है। संयुक्त टीम उन अवैध उद्योगों की भी पहचान कर रही है, जो नाले और काली नदी (पश्चिम) को दूषित कर सकते हैं।

यूपीपीसीबी ने खतरनाक रसायनों की डंपिंग के मामले में ठेकेदार पर लगाया 4.15 लाख का जुर्माना

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने मुजफ्फरनगर में सिंचाई विभाग की भूमि पर खतरनाक रसायनों की डंपिंग के लिए जिम्मेदार और दोषी ठेकेदार (अंजुम) पर 4.15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। मामला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में नंगला बुजुर्ग गांव का है। 

इसके साथ ही ठेकेदार को अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत यूपीपीसीबी से अनुमति लिए बिना अवैध रूप से खतरनाक रसायनों के भंडारण और व्यापारिक गतिविधियों को अंजाम देने का भी दोषी पाया है। वहीं यूपीपीसीबी ने ठेकेदार (इरफान) पर फ्लाई ऐश के उचित निपटान ने करने पर 4,15,000 रुपए के जुर्माने के भुगतान का आदेश दिया है। पता चला है कि वो अवैध और अवैज्ञानिक रूप से उद्योगों से निकला फ्लाई ऐश सिंचाई विभाग की जमीन पर डंप कर रहा था।

साथ ही जिन चार पेपर मिलों ने अपना फ्लाई ऐश इस ठेकेदार को दिया था, उन्हें भी इसके लिए जिम्मेवार ठहराया गया है कि उनके परिसर में उत्पन्न फ्लाई ऐश को खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के प्रावधानों के तहत वैज्ञानिक रूप से निपटान नहीं किया गया।

साथ ही पेपर मिलों को भी पर्यावरण क्षतिपूर्ति के भुगतान का निर्देश दिया है। साथ ही पेपर मिलों को भी पर्यावरण क्षतिपूर्ति के भुगतान का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट को 14 फरवरी, 2023 को एनजीटी की साइट पर अपलोड किया गया है।

कैसे बंद हो रहे हैं थर्मल पावर स्टेशन, नहीं दी गई कोई जानकारी, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 13 फरवरी 2023 को दिए आदेश में कहा है कि "थर्मल पावर स्टेशन कैसे बंद हो रहे हैं, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, जबकि सामान्य समझ के अनुसार ऐसे संयंत्र कभी भी पूरी तरह से बंद नहीं होते हैं।" ऐसे में अदालत ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस पहलू पर जांच करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि एनजीटी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मैसर्स बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड और बजाज एनर्जी लिमिटेड के कैप्टिव थर्मल पावर प्लांटों के संचालन के खिलाफ पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के मामले की सुनवाई कर रहा था। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 10 फरवरी, 2023 को दर्ज रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एनजीटी ने पाया कि पर्यावरण मंजूरी/सहमति के संबंध में कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है। 

हालांकि, अन्य मामलों में गैर-अनुपालन का पता चला है, और कार्रवाई शुरू कर दी गई है। एनजीटी ने कहा कि नियमों की अनदेखी पर जल्द से जल्द ध्यान दिया जाना चाहिए और इसकी निगरानी की जानी चाहिए।