प्रदूषण

उत्तर प्रदेश में 7,466 ईंट भट्ठों को बंद करने के आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि राज्य में 19,718 ईंट भट्टे हैं। यह जानकारी ईंट भट्टों पर 29 मार्च 2023 को जारी लिस्ट पर आधारित है।

बोर्ड ने जानकारी दी है कि इनमें से 11,838 ईंट भट्ठों ने यूपीपीसीबी से संचालन के लिए सहमति (सीटीओ) प्राप्त कर ली है। वहीं 7,880 ईंट भट्ठों के पास वायु अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के तहत वैध अनुमति नहीं है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार कुल 7,880 डिफॉल्टर ईंट भट्ठों में से 7,466 ईंट भट्ठों को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। वहीं 414 डिफॉल्टर ईंट भट्ठों के खिलाफ वायु अधिनियम, 1981 के 31 ए के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। ईंट भट्ठों पर यूपीपीसीबी ने यह रिपोर्ट 10 अप्रैल, 2023 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की थी।

रेत खनन से जुड़े दिशानिर्देशों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तलब की रिपोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वो रेत खनन के मामले में एक रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करे। इस रिपोर्ट में रेत खनन के लिए देश में लागू सभी "मौजूदा दिशानिर्देशों" की जानकारी होनी चाहिए।

5 अप्रैल 2023 को दिए अपने इस आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस रिपोर्ट में पांच हेक्टेयर से कम के खनन पट्टों पर नियंत्रण के संबंध में भी जानकारी होनी चाहिए।

ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के प्रस्तावित विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट (डब्ल्यूटीई) के प्रस्तावित विस्तार पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मामला दिल्ली का है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्लांट संचालक द्वारा दिए बयान के मद्देनजर यह स्टैंड लिया है। अपने बयान में प्लांट संचालक का कहना था कि इस प्लांट के विस्तार और बढ़ी हुई क्षमता के साथ संचालन में करीब 18 महीनों का समय लगेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 5 अप्रैल, 2023 को आदेश जारी किया है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि 23 से 40 मेगावाट क्षमता विकास को अनुमति लागू करने के लिए कंसेसियनार द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई, अपील के अंतिम परिणाम के आधीन होगी। 

धारा 136-ए के कार्यान्वयन पर 7 अगस्त, 2023 को होगी सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 136-ए के कार्यान्वयन के मामले पर 7 अगस्त, 2023 को सुनवाई करेगा। अदालत ने सड़क सुरक्षा पर समिति की अंतरिम रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो देश भर में धारा 136-ए को इलेक्ट्रॉनिक तौर पर लागू करने के तौर-तरीकों के बारे में एक कांसेप्ट पेपर तैयार करेगा।

गौरतलब है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 136ए, वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और सड़क सुरक्षा से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि कोर्ट द्वारा 6 जनवरी, 2023 को दिए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने सड़क सुरक्षा को लेकर कई बैठकें की हैं।

15 मार्च, 2023 को हुई बैठक में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के सचिव ने यह संकेत दिया था कि मंत्रालय मानकीकरण की कवायद शुरू करेगा और साथ ही ई-वाहन/ई-चालान के साथ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को जोड़ने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा।

इसके अलावा, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का इरादा हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को मानकीकृत करना है ताकि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 136-ए को लागू करने के तौर-तरीकों के संबंध में पूरे देश में एकरूपता हो।