प्रदूषण

नियमों को न मानने वाले टायर पायरोलिसिस प्लांट्स को बंद करने का आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपने 7 नवंबर 2022 को दिए आदेश में स्पष्ट कह दिया है कि टायर पायरोलिसिस आयल इकाइयों (टीपीओ) को 'जीरो लिक्विड' और 'जीरो एमिशन' मानदंडों का पालन करने की जरूरत है। इसके अलावा कोर्ट का कहना है कि इस प्रक्रिया के दौरान पैदा हो रहे कार्बन को लैंडफिल में भेजने की जगह सीमेंट उद्योगों में उपयोग करने की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि टायर पायरोलिसिस आयल प्लांट्स, पायरोलिसिस ऑयल का उत्पादन करने के लिए टायर को रीसायकल करती हैं, जिनका उपयोग सीमेंट, सिरेमिक और अन्य उद्योगों में ईंधन के रूप में किया जाता है। इन प्लांट्स में खराब टायरों को जलाकर उससे पायरोलिसिस ऑयल और पायरो गैस बनाई जाती हैं।

साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जो प्लांट नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं उन तब तक के लिए तेजी से बंद कर दिया जाना चाहिए, जब तक की वो नियमों को नहीं मानते। ऐसे में एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से इन यूनिट्स के वर्गीकरण को अंतिम रूप देने के लिए कहा है जिससे मानदंडों को लागू किया जा सके।

कोर्ट का कहना है कि सीपीसीबी और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) द्वारा एक महीने के अंदर संशोधित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। साथ ही एसओपी पेट्रोलियम मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार पायरो-तेल के ईंधन गुणवत्ता मानकों को प्रमाणित करने का भी प्रावधान कर सकता है।

गौरतलब है कि इस मामले में संगठन सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट (सेफ) ने एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में सेफ ने जानकारी दी थी कि बेकार और अपनी अवधि पूरी कर चुके टायरों के प्रबंधन में नियमों को अनदेखा किया जा रहा है।

इस मामले में सीपीसीबी ने 5 नवंबर, 2022 को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही सभी टायर पायरोलिसिस इकाइयों की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी थी।

अपनी इस रिपोर्ट में सीपीसीबी ने उन 17 राज्यों के विषय में रिपोर्ट तैयार की थी जहां टायर पायरोलिसिस इकाइयां मौजूद हैं। इस रिपोर्ट में सीपीसीबी न जानकारी दी है कि देश के 17 राज्यों में 757 टायर पायरोलिसिस ऑयल इकाइयां (टीपीओ यूनिट्स) हैं।

इनमें से सबसे ज्यादा 148 इकाइयां उत्तर प्रदेश में हैं, उसके बाद हरियाणा में 101, राजस्थान में 95 और महाराष्ट्र में 85 इकाईयां हैं। साथ ही जानकारी दी गई है कि 757 में से 349 इकाइयां सहमति की शर्तों और एसओपी का पालन कर रही हैं, जबकि 216 यूनिट नियमों को अनदेखा कर रही हैं।

जानकारी दी गई है कि नियमों को न मानने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ बंद करने के भी निर्देश दिए गए हैं। सीपीसीबी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि नियमों को न मानने वाली 192 इकाइयों को बंद कर दिया गया है।

ओडन गांव में अवैध खनन की जांच के लिए समिति गठित

राजसमंद के ओडन गांव में अवैध खनन की जांच के लिए एनजीटी ने 7 नवंबर को संयुक्त समिति गठित करने का निर्देश दिया है। मामला राजस्थान के राजसमंद में ओडन गांव का है। पता चला है कि जहां पर्यावरण मंजूरी के बिना अवैध खनन किया जा रहा है। 

इस मामले में एनजीटी की सेंट्रल बेंच का कहना है कि समिति को साइट का दौरा करने और चार सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 13 दिसंबर 2022 को होगी।

एनजीटी ने भोपाल के अपर लेक से अतिक्रमण हटाने के दिए आदेश

एनजीटी ने भोपाल नगर निगम को भोपाल में ऊपरी झील (अपर लेक) से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के अनुसार नगर निगम को यह कार्रवाई एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरी करनी है।

इस मामले में एनजीटी ने 9 नवंबर, 2022 को दिए अपने आदेश में कहा है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अदालत ने संबंधित नियमों के तहत अतिक्रमण के खिलाफ पर्यावरण मुआवजे की वसूली के लिए आवश्यक कार्रवाई करने और पर्यावरण मुआवजे की गणना करने के लिए निर्देश दिए हैं।