मेघालय उच्च न्यायालय ने छह जुलाई, 2023 को असम के पुलिस महानिदेशक के लिए एक निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में कोर्ट ने महानिदेशक को मेघालय में अवैध कोयला खनन और अवैध कोक संयंत्रों के संचालन में शामिल मुख्य व्यक्तियों से लेकर शिकायतकर्ताओं और याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
चूंकि याचिकाकर्ता असम में रहते हैं, इसलिए उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से असम के पुलिस महानिदेशक को याचिकाकर्ताओं, उनके परिवार के सदस्यों और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इस आदेश का पालन स्थानीय पुलिस स्टेशनों के प्रभारी अधिकारियों और संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों के माध्यम से किया जाना है। इसका उद्देश्य याचिकाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और उन्हें किसी भी संभावित नुकसान के खिलाफ उचित सुरक्षा प्रदान करना है।
मेघालय का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता ने बताया कि वे पहले ही असम में पुलिस अधिकारियों के साथ संवाद कर चुके हैं। यह संचार असम में रहने वाले उन व्यक्तियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह करने के लिए किया गया था जो मेघालय में कोयला खनन और कोक ओवन संयंत्रों के संचालन की अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
मामले में मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी, न्यायमूर्ति डब्लू डिएंगदोह और एचएस थांगख्यू की पीठ ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में प्रशासन और पुलिस सहित पूरी मशीनरी ने अवैध कोयला खनन के मुद्दे को हल करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं। उन्होंने नोट किया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2016 में दिए आदेशों और उसके बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस समस्या से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया था। हालांकि इन आदेशों के बावजूद, अधिकारियों द्वारा आवश्यक कार्रवाई नहीं की गई, जिससे मौजूदा स्थिति उत्पन्न हो गई है।
हिसार में ठोस कचरे के प्रबंधन पर गौर करने के लिए गठित की जाए समिति: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), सात जुलाई, 2023 को आदेश दिया है कि हिसार में ठोस कचरे के प्रबंधन से जुड़े मामले को देखें के लिए संयुक्त समिति गठित की जाए। मामला हरियाणा के हिसार जिले का है।
साथ ही एनजीटी ने हिसार के जिला कलेक्टर और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस समिति से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है। गौरतलब है कि समिति को साइट का दौरा करके अगले चार सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक एवं कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में सौंपनी है।
आवेदक संदीप कुमार गुप्ता के मुताबिक हिसार में घरेलू कचरा बिना अलग किए एकत्र किया जाता है। वहां गीला और सूखा कचरा न केवल मिश्रित कचरे के रूप में एकत्र किया जा रहा है, साथ ही घरेलू और खतरनाक कचरे को भी एक साथ ही इकट्ठा किया जाता है। आवेदक का यह भी कहना है कि कचरा निपटान के वाहन सभी घरों तक नहीं पहुंचते हैं, जिसके चलते लोग खुले में कचरा फेंकने के लिए मजबूर हैं।
एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल का कार्यकाल खत्म
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पूर्व चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल का पांच वर्षों का कार्यकाल छह जुलाई, 2023 को समाप्त हो गया है। गौरतलब है कि इससे पहले वो सुप्रीम कोर्ट के जज थे। जस्टिस गोयल ने एनजीटी के अपने पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान कुल 16,402 मामलों का निपटारा किया है। इनमें अकेले जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने 8,419 मामलों का निपटारा किया है।
बता दें कि 2010 में एनजीटी की स्थापना के बाद से जस्टिस आदर्श कुमार गोयल तीसरे चेयरमैन थे। इससे पहले जस्टिस स्वतंत्र कुमार का कार्यकाल 19 दिसंबर 2012 से 19 दिसंबर 2017 तक और एनजीटी के पहले चेयरमैन जस्टिस लोकेश्वर सिंह पंटा का कार्यकाल 18 अक्तूबर, 2010 से 31 दिसंबर 2011 तक रहा था।
सीवेज और कचरे का उचित प्रबंधन न करने के लिए एनजीटी ने राज्यों पर लगाया करीब 80 हजार करोड़ का जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सीवेज उपचार और कूड़ा-कचरा के निस्तारण से जुड़े नियमों का पालन न करने और आदेशों का उल्लंघन करने के लिए राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों पर अब तक करीब 80 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने पाया कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सीवेज का उपचार करने और ठोस कचरे का निस्तारण करने में एक बड़ा गैप है। मसलन, हर दिन 26,000 एमएलडी तरल अपशिष्ट और 56,000 टन ठोस कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। साथ ही 18 करोड़ टन कचरा भी सालों से जमा है, जिसका निपटारा राज्यों ने नहीं किया है।
जुर्माने की इतनी बड़ी राशि को राज्यों के मुख्य सचिवों के शपथपत्र व एनजीटी द्वारा खुद दिए गए आदेशों के तहत जोड़ा गया है। डाउन टू अर्थ ने 28 अक्तूबर, 2022 को अपने एक विश्लेषण में जानकारी दी थी कि महज पांच महीने के भीतर (मई से अक्तूबर, 2022) में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिर्फ सात राज्यों पर करीब 30 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।