प्रदूषण

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दक्षिण के राज्यों की कार्य योजनाओं में निकाली कमियां

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जो कार्य योजनाएं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को सौंपी गई हैं उनमें कमियां हैं। ऐसे में यह योजनाएं राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत अनिवार्य लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगी। ऐसे में इन कार्य योजनाओं पर पुनर्विचार किए जाने की जरूरत है।

यह बातें सीपीसीबी द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट के जवाब में आवेदक कंकना दास ने कही हैं। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट 15 मार्च, 2023 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर दायर की गई थी। अपने आदेश में एनजीटी ने सीपीसीबी को निर्देश दिया था कि वो राज्यों द्वारा प्रस्तुत वायु प्रदूषण संबंधी कार्य योजनाओं की स्वतंत्र रूप से जांच करे और उस मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।

आवेदक ने सीपीसीबी की स्थिति रिपोर्ट का अवलोकन किया है और पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति, केरल और तमिलनाडु द्वारा दायर राज्य कार्य योजनाओं में कमियों को उजागर करते हुए प्रतिक्रिया दायर की है।

उनके अनुसार इस कार्ययोजना के चलते राज्यों की वायु गुणवत्ता बिगड़ जाएगी और इस प्रकार राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत लक्ष्यों को हासिल नहीं होने देगी। आवेदक के मुताबिक सीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत पुडुचेरी प्रदूषण नियंत्रण समिति के लिए कार्य योजना मौजूदा मानकों, निर्देशों और नीतियों का तो लेखा-जोखा देती है, लेकिन वो वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किसी भी कार्रवाई और नीति का प्रस्ताव नहीं करती है।

इसी तरह, जब केरल की कार्य योजना की बात आती है, तो यह योजना मौजूदा मानकों, निर्देशों और नीतियों का लेखा-जोखा देती है। लेकिन यह भी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किसी भी कार्रवाई और नीति का प्रस्ताव नहीं करती है। वहीं वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्य योजना का भी यही हाल है।

तमिलनाडु ने निर्माण और विध्वंस से जुड़े अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए योजना और उससे जुड़े संयंत्रों के विकास के लिए कोई नीति नहीं बनाई है। इसके साथ ही आवेदक का कहना है कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत कार्य योजना में बजट और फंड आबंटन के संदर्भ में जानकारी का अभाव है। इस योजना को सीपीसीबी ने प्रस्तुत किया है।

एनजीटी ने देवरिया में चल रहे 375 ईंट भट्ठों की दिए जांच के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और देवरिया के जिलाधिकारी को जिले में चल रहे 375 ईंट भट्ठों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामला उत्तर प्रदेश में देवरिया का है। इस मामले में कोर्ट ने 31 मई, 2023 को दिए अपने आदेश में नियमों को ध्यान में रखते हुए बहाली के उपाय करने और एक महीने के भीतर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी के समक्ष दायर एक आवेदन में कहा गया था कि जिले में चल रहे ईंट भट्टे काला धुआं छोड़ रहे हैं। इसके साथ ही यह भट्ठे संवेदनशील प्रतिष्ठानों के करीब स्थित हैं। इतना ही नहीं उच्च अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इन ईंट भट्ठों से होने वाले प्रदूषण पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

आवेदक ने विचाराधीन सभी ईंट भट्ठों की सूची कोर्ट में दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि कई मामलों में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति तक नहीं ली गई है।

देवरिया में कचरे का उचित प्रबंधन न किए जाने पर एनजीटी ने नगर पालिका से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देवरिया नगर पालिका परिषद से जिले में कचरे के कुप्रबंधन से जुड़े मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने नगर पालिका से कानून को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करने और मामले में अगले एक महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। मामला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले का है।

गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक निर्मल कुमार त्रिपाठी ने अपने आवेदन में कहा था कि देवरिया नगर पालिका परिषद में अतिक्रमण के साथ-साथ जल प्रदूषण हो रहा है। इसके साथ ही नाले में कूड़ा डाला जा रहा है। उनके मुताबिक कोतवाली चौराहे से जलकल रोड और सब्जी मंडी तक नाले पर अतिक्रमण किया गया है। आवेदन ने इसके साथ-साथ कुछ अन्य स्थानों का भी उल्लेख किया है।