प्रदूषण

मीठी नदी किनारे मलबे की डंपिंग का मामला, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मुंबई के आरे जंगल में तपेश्वर मंदिर के पास मीठी नदी के किनारे मलबा डाले जाने के मामले की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस तरह की डंपिंग, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत निषिद्ध है। इस समिति में ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी), और मुंबई उपनगर कलेक्टर कार्यालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

इस संयुक्त समिति को तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए साइट का दौरा करने का काम सौंपा गया है। समिति इस क्षेत्र में जल प्रदूषण, पारिस्थितिकी को हुए नुकसान का जायजा लेगी। वो आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ-साथ नदी पर पड़ते प्रभावों और पर्यावरणीय क्षति का भी आंकलन करेगी।

इसके अतिरिक्त समिति को पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए मुआवजे का मूल्यांकन करने और समय-सीमा के साथ बजट और जिम्मेदार पक्षों सहित बहाली के उपायों को भी सुझाने के लिए कहा गया है।

गौरतलब है एनजीटी ने एनजीओ वनशक्ति द्वारा दायर एक शिकायत के जवाब में तीन जुलाई, 2023 को यह निर्णय लिया है। अदालत को जानकारी दी गई थी कि अधिकारियों को मीठी नदी के किनारे अवैध रूप से होते मलबा की डंपिंग के बारे में सूचित किया गया था लेकिन इसके बावजूद वहां कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

गोवा में एनजीटी के समक्ष आया वेटलैंड संरक्षण का मामला

एनजीटी ने निर्देश दिया है कि गोवा में आर्द्रभूमि की सुरक्षा का मामला पांच सितंबर, 2023 को अदालत के समक्ष रखा जाए। गौरतलब है कि यह मामला 2017 में अदालत के समक्ष दायर किया गया था।

इस मामले में न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ का कहना है कि आवेदन में गोवा राज्य वेटलैंड्स प्राधिकरण (जीएसडब्ल्यूए) को सर्वेक्षण करने और वेटलैंड्स की पहचान करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

इसके अतिरिक्त, आवेदकों (15 लोगों का एक समूह) ने अनुरोध किया है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के वेटलैंड नियमों के तहत सभी झीलों, जलाशयों, दलदल और पीटलैंड को वेटलैंड क्षेत्र घोषित किया जाए। साथ ही आवेदन में अतिक्रमण और अवैध निर्माण को ध्वस्त करके हटाने की मांग भी की गई है।

एनजीटी ने अक्सा बीच पर होते अवैध निर्माण और मलबे की डंपिंग के मामले में तलब की रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अक्सा बीच के सीआरजेड क्षेत्र में होते अवैध निर्माण और मलबे की डंपिंग के मुद्दे पर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। मामला महाराष्ट्र के मुंबई शहर का है। कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए), महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के खिलाफ नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।

साथ ही ट्रिब्यूनल ने इस मामले में एक रिपोर्ट सबमिट करने का भी निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई चार सितंबर, 2023 को होगी।