प्रदूषण

झारखंड में अवैध बालू खनन के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित, जानिए क्या है पूरा मामला

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 26 सितंबर, 2023 को तीन सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है कि वो झारखंड में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच करे। गौरतलब है कि आठ सितंबर, 2023 को प्रभात खबर में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में 796 स्थलों पर किए जा रहे रेत खनन का उल्लेख किया था। भले ही वहां केवल 27 स्थानों पर खनन की अनुमति है, लेकिन इसके बावजूद आरोप है कि बड़ी संख्या में अवैध खनन का कारोबार चल रहा है।

रिपोर्ट में उन क्षेत्रों के जिलेवार विवरण का खुलासा किया गया है जहां 2016 के सतत रेत खनन दिशानिर्देशों और 2020 के रेत खनन के लिए प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए अवैध रेत खनन हो रहा है।

जैसे ही रिपोर्ट में पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला, ट्रिब्यूनल ने मामले की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का आदेश दिया। इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और झारखंड के पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव शामिल होंगे।

कोर्ट ने समिति से मीडिया रिपोर्ट में उजागर विभिन्न स्थानों पर अवैध खनन के मुद्दे की गहनता से जांच करने को कहा है। साथ ही समिति को दस सप्ताह के भीतर एनजीटी की पूर्वी पीठ को इसकी बहाली के उपायों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।

आगरा में हाउसिंग प्रोजेक्ट के निर्माण में की गई पर्यावरण नियमों का अनदेखी: रिपोर्ट

आगरा की एक हाउसिंग सोसाइटी, गणपति क्लासिक अपार्टमेंट के पास पर्यावरण मंजूरी (ईसी) या संचालन की सहमति नहीं है। यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को संयुक्त समिति द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट में सामने आई है, जिसमें इस सोसायटी द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी की जानकारी सामने आई है। मामला आगरा के सिकंदरा का है।

ऐसे में एनजीटी ने 26 सितंबर को रिपोर्ट पर विचार करते हुए परियोजना प्रस्तावक के साथ-साथ आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, नगर निगम आयुक्त और गणपति क्लासिक अपार्टमेंट की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 13 दिसंबर 2023 को होगी।

पारिकी चेरुयू झील प्रदूषण के मामले में किन-किन लोगों को जारी किए गए नोटिस?

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 26 सितंबर 2023 को पारिकी चेरुयू प्रदूषण के संबंध में हैदराबाद मेट्रो जल आपूर्ति को उसके सचिव और सीवरेज बोर्ड और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम को उसके आयुक्त के माध्यम से नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई आठ सितंबर, 2023 को एक्सप्रेस समाचार सेवा में प्रकाशित खबर "स्नो-लाइक केमिकल फोम हॉन्ट्स" के आधार पर की गई है।

समाचार रिपोर्ट के मुताबिक काकाटपुली के आवासीय क्षेत्रों में बर्फ जैसे रासायनिक झाग का दिखना आम हो गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, इस झाग की मूल वजह पारिकी चेरुयू झील में होता प्रदूषण है, जो कुकटपल्ली नाले से जुड़ती है और आगे जाकर हुसैन सागर झील में गिरती है।

समाचार रिपोर्ट से यह भी पता चला कि गजुलारामाराम डंपिंग यार्ड पारिकी चेरुयू के अपस्ट्रीम में स्थित है, जो पानी को दूषित कर रहा है। डंपिंग यार्ड कचरे को ठीक से अलग नहीं करता है, और झाग का बार-बार उभरना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम और तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोनों अपनी जिम्मेवारी को पूरा करने में विफल रहे हैं।

तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लेनिन नगर, उमा देवी नगर, चंद्र नगर, बाबानी नगर और प्रकाशम पंथुलु नगर जैसे ऊपरी इलाकों से घरेलू सीवेज ले जाने वाला एक महत्वपूर्ण नाला झील में मिलता है। इसके अतिरिक्त, आस-पड़ोस से उत्तर और पश्चिम तक जाने वाले छोटे सीवेज नाले भी झील के प्रदूषण में योगदान कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, झील के ऊपरी हिस्से में कोई उद्योग नहीं हैं और कोई रासायनिक डंपिंग भी नहीं देखी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंचाई से पानी गिरने के कारण झाग बन रहा है और यह झाग बहाव के साथ बहकर धरणी नगर स्थित पुलिया के पास इकट्ठा हो जाता है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि झील का पानी गंभीर रूप से दूषित हो चुका है और वो नहाने के लिए भी उपयुक्त नहीं है। रिपोर्ट पानी को "ई" श्रेणी में वर्गीकृत करती है, जिसका मतलब है कि यह केवल सिंचाई, औद्योगिक शीतलन और नियंत्रित अपशिष्ट निपटान जैसे उद्देश्यों के लिए ही उपयुक्त है।

वहीं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अदालत में पेश वकील ने जानकारी दी है कि पारिकी चेरुयू झील के ऊपरी क्षेत्र में 2.8 करोड़ लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की क्षमता वाला एक सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) निर्माणाधीन है। यह एसटीपी हैदराबाद मेट्रो वाटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड द्वारा आसपास की कॉलोनियों के सीवेज के उपचार के लिए बनाया जा रहा है।