प्रदूषण

मेरठ के रिहायशी इलाके में अवैध रूप से चल रही फैक्ट्रियों पर कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

यह मामला मेरठ में एक साबुन फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद सामने आया है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि पांच लोग घायल हो गए थे

Susan Chacko, Lalit Maurya

मेरठ में एक साबुन फैक्ट्री में हुए विस्फोट के मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मेरठ जिला मजिस्ट्रेट से दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट से रिपोर्ट में फैक्ट्री में हुए विस्फोट में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए क्या कुछ कदम उठाए हैं, उनका भी ब्यौरा भी मांगा है।

साथ ही यह भी कहा है कि इस फैक्ट्री में हुए धमाके की असली वजह भी रिपोर्ट में बताई जानी चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी 2024 को होगी।

यह मामला हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक खबर के आधार पर दायर किया गया है, जिसमें मेरठ के लोहिया नगर की साबुन फैक्ट्री में हुए विस्फोट में चार लोगों के मरने और पांच के घायल होने की जानकारी दी गई थी। इस खबर के आधार पर कोर्ट ने स्वतः ही संज्ञान लिया था।

इस मामले में मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लोहिया नगर मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित एक आवासीय क्षेत्र है, लेकिन इस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां चल रही हैं। इनके लिए सक्षम अधिकारियों से जरूरी मंजूरी भी नहीं ली गई है। रिपोर्ट में इस बात का अंदेशा जताया गया है कि यह यूनिट खतरनाक केमिकल्स का भी उपयोग कर रही थी।

हमीरपुर में ठोस कचरे के निपटान के लिए क्या कुछ उठाए गए हैं कदम, एनजीटी ने मांगी जानकारी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक नवंबर, 2023 को हिमाचल प्रदेश में शहरी विकास सचिव और हमीरपुर नगर परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से उनके द्वारा की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। मामला हमीरपुर नगर पालिका परिषद् के क्षेत्राधिकार में कचरे के प्रबंधन से जुड़ा है। कोर्ट के अनुसार यह रिपोर्ट अगली सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल को सौंपी जानी है।

30 अक्टूबर, 2023 को शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि हमीरपुर में एक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण किया जाना है। इस प्लांट के लिए 0.65 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन किया जाना है, जिसकी इजाजत हमीरपुर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) से मांगी है। हालांकि नगर परिषद को यह निर्धारित करने की आवश्यकता है कि क्या इस विशिष्ट उद्देश्य के लिए वन भूमि का हस्तांतरण संभव है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पुराने कचरे से निपटने की जिम्मेदारी सनटैन लाइफ कंपनी को दी गई है, लेकिन चल रहे कुछ कानूनी मुद्दों के कारण काम आगे नहीं बढ़ पाया है।

गाजियाबाद में कचरे के निपटान के सम्बन्ध में कोर्ट ने रिपोर्ट सौपने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक नवंबर, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से जगजीवनपुर ग्राम में ठोस कचरे के अनुचित निपटान के संबंध में एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले के जगजीवनपुर गांव का है।

गौरतलब है इससे पहले एनजीटी ने 26 अप्रैल 2023 को भी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से रिपोर्ट दाखिल करने का कहा था, लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट अब तक पेश नहीं की गई है।

कोर्ट ने इस रिपोर्ट में इसके उपचार के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ वर्षों से जमा कचरे की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी है। साथ ही यह भी जानकारी देने को कहा गया है कि क्या कचरे को प्रोसेस करने के लिए जो सुविधाएं मौजूद हैं, वो पर्याप्त हैं। वहीं गाजियाबाद नगर निगम (जीएनएन) ने अपनी पांच अक्टूबर को सौंपी रिपोर्ट में इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है कि वो अपने अधिकार क्षेत्र में पैदा होने वाले कचरे का प्रबंधन किस हद तक कर रहा है। साथ ही रिपोर्ट में उन साइटों की स्थिति का भी कोई विवरण नहीं दिया है, जहां वर्षों से कचरा जमा है।