प्रदूषण

राज्य सरकार की है जल स्रोत से अतिक्रमणकारियों को हटाने की जिम्मेवारी: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

एनजीटी ने अधिकारियों को दामोदर वैली कॉर्पोरेशन नहर से जुड़े एक जलाशय से अतिक्रमणकारियों को हटाने के निर्देश दिए हैं। मामला पश्चिम बंगाल में हुगली के  बरुईपारा पलटागढ़ पंचायत का है। जहां याचिकाकर्ता इस जलाशय का उपयोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए कर रहा था। कोर्ट में दी गई जानकारी से पता चला है कि अवैध निर्माण जैसी गतिविधियों के चलते यह यह तालाब नष्ट हो रहा है।

इस मामले में एनजीटी ने दिए अपने आदेश में कहा है कि इस जल स्रोत से अतिक्रमणकारियों को हटाने की जिम्मेवारी राज्य सरकार की है। साथ ही इसको वापस मूल स्वरुप में लाने के लिए सरकार को बहाली के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।

एनजीटी ने बबराला में कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी की स्थापना और संचालन पर लगाई रोक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्लूटीएफ) की स्थापना और संचालन पर रोक लगा दी है। इस फैसिलिटी का निर्माण पंचाकरण प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा था, जोकि उत्तरप्रदेश में संभल जिले के बबराला में स्थित है।

गौरतलब है कि एनजीटी का यह आदेश 2 सितंबर, 2022 को अनिरुदा पंवार द्वारा दायर आवेदन के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने 26 अप्रैल, 2022 में इस फैसिलिटी को स्थापित करने के लिए दी गई सहमति (सीटीई) को रद्द करने की मांग की थी। इस फैसिलिटी के निर्माण के लिए पंचाकरण प्राइवेट लिमिटेड को 30 जुलाई, 2022 को पर्यावरण मंजूरी दी गई थी।

इस मामले में आवेदक का कहना है कि इस परियोजना को यूपीएसआईडीसी ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम औद्योगिक क्षेत्र के हरित क्षेत्र में जगह आबंटित की है, जोकि हरित उद्योगों के लिए है। वास्तव में यह परियोजना रेड जोन में आती है लेकिन परियोजना प्रस्तावक ने इसे गलत तरीके से हरित इकाई के रूप में प्रस्तुत किया है।

पर्यावरण मंजूरी के बिना हो रहा था निर्माण, एनजीटी ने स्टोन प्रॉपर्टीज पर लगाया 4.47 करोड़ का जुर्माना

एनजीटी ने 1 सितंबर, 2022 को दिए अपने आदेश में स्टोन प्रॉपर्टीज पर 4.47 करोड़ का जुर्माना लगाया है। साथ ही आदेश दिया है कि उसे दो महीनों के भीतर इस राशि को महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के पास जमा करानी है।

कोर्ट का कहना है कि इस राशि का उपयोग जिला पर्यावरण योजना को 6 माह के अंदर लागू करने के लिए किया जाएगा। साथ ही इस राशि के उपयोग के लिए एक विशिष्ट योजना एमपीसीबी, जिला मजिस्ट्रेट और आयुक्त, पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम की संयुक्त समिति द्वारा तैयार की जानी है।

गौरतलब है कि स्टोन प्रॉपर्टीज एक निर्माण कंपनी है, जो पुणे के पुनावले में आवासीय अपार्टमेंट के निर्माण का काम कर रही है। इस मामले में एनजीटी के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने जो निर्माण किए हैं उसमें उन्होंने ईआईए अधिसूचना, 2006 का उल्लंघन किया है, क्योंकि उक्त निर्माण को बढ़ाने के लिए कंपनी ने पर्यावरण मंजूरी (ईसी) नहीं ली थी।

गुरुग्राम-पटौदी-रेवाड़ी हाईवे निर्माण के मामले में याचिकाकर्ता ने वन मंजूरी को दी चुनौती

याचिकाकर्ता विवेक कंबोज ने समिति द्वारा साइट विजिट पर जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसपर आपत्ति जताई है। गौरतलब है कि एनजीटी के आदेश द्वारा 1 जुलाई, 2022 को दिए आदेश पर एक समिति गठित की गई थी।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने न केवल स्टेज - I के लिए 27 अक्टूबर, 2021 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई फारेस्ट क्लीयरेंस बल्कि साथ ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा दी गई अंतरिम मंजूरी और 28 जनवरी, 2021 को स्टेज II के लिए दी गई मंजूरी पर भी आपत्ति जताई है।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने गुरुग्राम मंडल में 36.1466 हेक्टेयर और रेवाड़ी मंडल में 10.9453 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन को कोर्ट में चुनौती दी है। गौरतलब है कि नेशनल हाईवे 352डब्ल्यू के गुरुग्राम-पटौदी-रेवाड़ी खंड के 4/6 लेन के निर्माण के लिए इस वन भूमि का डायवर्जन किया जाना है। इन अनुमतियों के चलते गुरुग्राम वन प्रभाग के तहत 8,373 पेड़ और 3,948 पौधों को काटा जाना है, जबकि रेवाड़ी वन प्रभाग के तहत आने वाले 4,049 पेड़ और 4,137 पौधों को इस लेन के लिए काट दिया जाएगा।

याचिकाकर्ता ने जो पॉइंट कोर्ट के सामने लाए हैं उसमें यह भी शामिल है कि समिति ने गलत तरीके से दिखाया है कि गुरुग्राम वन प्रभाग में कोई भी खराब भूमि उपलब्ध नहीं है। ऐसे में परियोजना स्थान से 280 किलोमीटर दूर इन पेड़ों को काटे जाने की एवज में नए पेड़ लगाए जा रहे हैं।