प्रदूषण

तालचर थर्मल पावर स्टेशन स्टेज- III को मिली पर्यावरण मंजूरी के खिलाफ दायर अपील खारिज

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तालचर थर्मल पावर स्टेशन स्टेज-III के लिए मिली पर्यावरण मंजूरी को रद्द करने की मांग को लेकर दायर मामले को खारिज कर दिया है। 2 x 660 मेगावाट की क्षमता का यह थर्मल पावर स्टेशन ओडिशा में अंगुल के तालचर शहर में स्थित है।

इस स्टेशन के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा पर्यावरण मंजूरी दी गई थी। अपने आदेश में एनजीटी ने कहा है कि 12 सितंबर, 2018 को दी गई इस पर्यावरण मंजूरी में कुछ भी गलत नहीं है।

पूर्वी क्षेत्र खंडपीठ, कोलकाता के न्यायमूर्ति बी अमित स्टालेकर की पीठ का इस मामले में कहना है कि, "हम भविष्य के लिए कोई भी निर्देश देने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि हमारी राय में, यह बिल्कुल अनावश्यक है। परियोजना प्रस्तावक पर्यावरण नियमों, कानूनों और मानदंडों से अवगत है और उससे उन नियमों के उचित अनुपालन की अपेक्षा की जाती है।

गौरतलब है कि प्रफुल्ल सामंत्रे ने इस मामले में 6 दिसंबर, 2019 को एनजीटी के समक्ष मामला दर्ज किया था। आवेदक का कहना था कि अंगुल-तालचर को 2010 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 'गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र' घोषित किया था और 13 जनवरी को दिए एक आदेश के द्वारा, 2010 में, एमओईएफएंडसीसी ने अंगुल-तालचर के क्षेत्रों में स्थित परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी पर रोक लगाने की घोषणा की थी।

हालांकि उक्त रोक को बाद में 31 मार्च, 2011 को दिए कार्यालय ज्ञापन द्वारा हटा लिया गया था। इस बारे में जारी रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उक्त गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र (सीपीए) के लिए एक कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है। 

कोर्ट ने जयपुर में बहिरुबाबा खदानों की पर्यावरण मंजूरी को किया निरस्त

एनजीटी ने 1 फरवरी, 2023 को दिए अपने आदेश में राजस्थान राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) के फैसले को बरकरार रखा है। गौरतलब है कि एसईआईएए ने अपने एक फैसले में बहिरूबाबा खान को दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी) को रद्द कर दिया था। मामला राजस्थान में जयपुर की कोटपूतली तहसील का है।

अदालत का कहना है कि एसईआईएए ने वनों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए वन क्षेत्र के 50 मीटर के दायरे में खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी न देने का फैसला लिया है। इस फैसले को एनजीटी द्वारा भी 13 दिसंबर, 2021 (अपील संख्या 20/2021) के आदेश में बरकरार रखा गया है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने एसईआईएए  के आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए मामले का निपटान कर दिया है। 

बाधित हो रहा है जलस्रोत का मुक्त प्रवाह, एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश

एनजीटी ने कहा है कि एक जल निकाय/नाले पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए आवेदन में पर्यावरण को लेकर एक गंभीर मुद्दा उठाया गया है। मामला राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के सज्जनगढ़ शहर का है। जानकारी दी गई है कि इस अतिक्रमण से जल का मुक्त प्रवाह बाधित हो रहा है।

ऐसे में खंडपीठ ने जांच के लिए बांसवाड़ा कलेक्टर ऑफिस सहित राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों वाली एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। कोर्ट ने समिति को चार सप्ताह के भीतर घटनास्थल का दौरा करने और उसपर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।