प्रदूषण

बिहार में वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किए जा रहे हैं प्रयास: रिपोर्ट

Susan Chacko, Lalit Maurya

बिहार में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू कर दिया गया है, और जिला प्रशासन अपने-अपने क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के आधार पर इसे लागू कर रहे हैं। यह जानकारी 10 नवंबर, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर बिहार सरकार द्वारा सबमिट कार्रवाई रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट के अनुसार बिहार के कई जिलों में, नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाली अधिकांश सड़कों की सफाई और पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इतना ही नहीं जिन क्षेत्रों में, मैकेनिकल स्वीपिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां मैन्युअल तरीके से सफाई को अंजाम दिया जा रहा है। इसके चलते सड़कों से धूल साफ हो गई है, और वो हवा में नहीं फैल रही है। इसकी वजह से वायु गुणवत्ता में भी सुधार आ रहा है।

20 नवंबर, 2023 को सौंपी गई इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विभिन्न जिलों में प्रदूषण के हॉटस्पॉटों की पहचान करने के लिए तीन से 15 नवंबर के बीच क्षेत्रों का स्पॉट निरीक्षण किया है।

एनजीटी ने धनौरी वेटलैंड के सन्दर्भ में उत्तरप्रदेश सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार से धनौरी वेटलैंड के जल प्रसार, जलग्रहण और प्रभाव क्षेत्र को स्पष्ट तौर पर रेखांकित करते हुए एक विस्तृत नक्शा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जैसा कि नेशनल इन्वेंटरी ऑफ वेटलैंड्स में दर्ज किया गया है।

एनजीटी का कहना है कि यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण 2041 के ड्राफ्ट मास्टर प्लान के मुताबिक धनौरी वेटलैंड को नामित करना चाहता है। कोर्ट के मुताबिक इसमें दर्शाया धनौरी वेटलैंड का क्षेत्र नेशनल इन्वेंट्री ऑफ वेटलैंड्स में दर्ज क्षेत्र से छोटा प्रतीत हो रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश ने स्पष्टीकरण देने के लिए कोर्ट से और समय मांगा है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि एटलस में पहले से मैप किए गए वेटलैंड के क्षेत्र को कम नहीं किया जा सकता।

बहस के दौरान, आवेदक के वकील ने 30 अगस्त, 2022 के ईमेल प्रस्तुत किए हैं। इसमें धनौरी वेटलैंड को रामसर साइट और सारस अभयारण्य घोषित करने के संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) के पिछले ईमेलों का भी जिक्र किया गया है। इसके साथ ही आवेदक की ओर से  17 अक्टूबर, 2023 को भेजे मेल का भी हवाला दिया गया है।

ईमेल स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि पर्यावरण मंत्रालय के अनुरोध के बावजूद, अधिकारियों ने मामले में आवश्यक प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश से इन ईमेलों पर की गई कार्रवाई और दिए गए जवाबों को स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले में चार सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

लगता नहीं कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए किए जा रहे हैं प्रयास: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 नवंबर 2023 को अधिकारियों के दावों पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा है कि अधिकारियों के इस रुख को स्वीकार कर पाना मुश्किल है कि वे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट के अनुसार दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक किसी महत्वपूर्ण सुधार का संकेत नहीं दे रहा है।

ऐसे में कोर्ट ने अधिकारियों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय करने और उस सम्बन्ध में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर, 2023 को होगी।