प्रदूषण

गोरखपुर में औद्योगिक प्रदूषण की जांच के आदेश: एनजीटी ने गठित की संयुक्त समिति

आरोप है कि उद्योगों से निकलने वाला गन्दा पानी बिना साफ किए सरया नाले के जरिए आमे नदी में छोड़ा जा रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गोरखपुर में औद्योगिक प्रदूषण की जांच के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है।

  • यह समिति गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी पर लगे आरोपों की जांच करेगी, जिसमें उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी को बिना साफ किए नदी में छोड़ने का आरोप है।

  • समिति को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 6 अक्टूबर 2025 को एक संयुक्त समिति के गठन के निर्देश दिए हैं। यह समिति गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीआईडीए) पर लगे आरोपों की जांच करेगी।

शिकायत में कहा गया है कि जीआईडीए की ओर से उद्योगों से निकलने वाला गन्दा पानी बिना साफ किए सरया नाले के जरिए आमे नदी में छोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि आमी, गंगा की एक सहायक नदी है और यह गोरखपुर जिले के पिपरौली विकास खंड के आदिलापुर गांव से होकर बहती है।

इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और जिलाधिकारी, गोरखपुर के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ट्रिब्यूनल ने समिति से एक महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

ट्रिब्यूनल ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा है। इसके लिए मुख्य सचिव, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव, सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी गोरखपुर, गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी 2026 को होगी।

सम्भल में अवैध कचरा डालने के मामले में एनजीटी ने की सख्त कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के सम्भल में रसूलपुर सराय में अवैध कचरा डालने की शिकायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 6 अक्टूबर 2025 को सुनवाई की। स्थानीय निवासियों ने इस बारे में एनजीटी को एक याचिका भेजी थी, जिस पर अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि दरया सर कब्रिस्तान के पास रसूलपुर सराय में बिना उचित सुरक्षा प्रबंध के ठोस, बायोमेडिकल और रासायनिक कचरे का अवैध ढेर लगाया जा रहा है, जिससे पर्यावरण और स्थानीय जीवन प्रभावित हो रहा है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि पहले यह स्थल केवल कचरा एकत्र करने का छोटा सा केंद्र था, लेकिन 2014-15 से यहां लगातार अवैध रूप से कचरा डाला जा रहा है, जिसकी वजह से यह बड़ी लैंडफिल साइट में बदल दिया गया है। शिकायत में कहा गया है कि सम्भल नगर पालिका परिषद रोजाना बिना छंटाई और उपचार के कचरा डाल रही है जोकि नियमों का उल्लंघन है।

2021 से अब तक इस मामले में सम्भल नगर पालिका बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मुख्यमंत्री पोर्टल और जिलाधिकारी कार्यालय को कई बार शिकायतें भेजी जा चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

इसके बावजूद, कोई ठोस सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकारियों ने केवल सतही उपाय किए हैं, जैसे पानी छिड़कना। वहीं बार-बार लगने वाली आग को अज्ञात आगजनी का मामला बताया है, जबकि असली समस्याओं जैसे मेथेन के निर्माण, कचरा प्रबंधन की कमी और रोकथाम योजना का अभाव को नजरअंदाज कर दिया गया है।

एनजीटी ने आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिलाधिकारी सम्भल के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति बनाई जाए। इस समिति को साइट का दौरा कर याचिकाकर्ता की शिकायतों की जांच करनी है। साथ ही याचिकाकर्ता और संबंधित परियोजना प्रस्थापक के प्रतिनिधि को साथ लेकर स्थिति का सत्यापन करना है और इसके सुधार के लिए क्या कार्रवाई की जा सकती है उस बारे में अपने सुझाव देने हैं।