प्रदूषण

प्रदूषण में गिरावट के बावजूद दिल्ली में जानलेवा बनी हुई है हवा, हनुमानगढ़ सबसे प्रदूषित शहर

दिल्ली-मुंबई को पीछे छोड़ हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में 400 के पार रही वायु गुणवत्ता, दिल्ली सहित 75 शहरों में हवा दमघोंटू बनी हुई है

Lalit Maurya

दिवाली के बाद भी दिल्ली सहित कई शहरों में प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में तो सूचकांक 400 के पार है। ऐसा नहीं कि प्रदूषण का यह कहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है, इस मामले में छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर जैसे छोटे शहरों में भी प्रदूषण गंभीर बना हुआ है, वहीं सोनीपत-जैसलमेर सहित 16 शहरों में हवा 'बेहद खराब' है। वहीं 57 अन्य शहरों में हालात खराब हैं, जहां प्रदूषण का स्तर 200 के पार  है।

कुछ शहरों में तो स्थिति इतनी खराब हो चली है कि वहां सांस लेना तक दुश्वार हो गया है, ऐसा लगता है कि लोग गैस चैम्बर में रह रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 18 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 241 में से महज 25 शहरों में हवा 'बेहतर' रही। वहीं केवल 62 शहरों की श्रेणी 'संतोषजनक' थी जबकि 79 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' रही। 

वहीं आरा-बाड़मेर सहित 57 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू रहा, जबकि बठिंडा-भोपाल सहित 16 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो गया है। वहीं हनुमानगढ़ (427), और श्रीगंगानगर (402) में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच गया है। कुल मिलकर देखें तो इन शहरों में स्थिति ऐसी हो गई है जैसे वो कोई गैस चैम्बर हैं।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां की वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 319 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 309, गाजियाबाद में 276, गुरुग्राम में 322, नोएडा में 265, ग्रेटर नोएडा में 228 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 162 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 160, चेन्नई में 57, चंडीगढ़ में 155, हैदराबाद में 109, जयपुर में 263 और पटना में 138 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 25 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अनंतपुर 50, अरियालूर 34, बागलकोट 45, बिलासपुर 37, ब्रजराजनगर 49, चामराजनगर 48, छाल 45, दुर्गापुर 43, हसन 46, कडपा 44, कोहिमा 47, कोलकाता 44, मदिकेरी 38, नगांव 50, नंदेसरी 50, पालकालाइपेरुर 40, पुदुचेरी 36, रामनाथपुरम 41, ऋषिकेश 35, शिलांग 20, सिलचर 37, शिवसागर 17, तिरुवनंतपुरम 50, थूथुकुडी 35, विजयपुरा 49 शामिल रहे।

वहीं अमरावती, बालासोर, बारबिल, बारीपदा, बेंगलुरु, भागलपुर, भिलाई, भुवनेश्वर, बिहारशरीफ, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चेन्नई, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, देहरादून, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, गंगटोक, गुवाहाटी, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, काशीपुर, कटिहार, क्योंझर, खुर्जा, किशनगंज, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मैहर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुंगेर, मैसूर, नलबाड़ी, पंचकुला, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, राउरकेला, सहरसा, सलेम, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, त्रिशूर, तिरुपति, उडुपी, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम आदि 62 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।