प्रदूषण

दिल्ली है दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी, खराब हवा के मामले में अव्वल रहा बेगूसराय

Lalit Maurya

वायु गुणवत्ता के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित देश है। जहां 2023 में प्रदूषण के महीन कणों यानी पीएम2.5 का औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से दस गुणा ज्यादा खराब था।

आंकड़ों के मुताबिक 2023 में भारत में मौजूद पीएम2.5 का औसत वार्षिक स्तर 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था। बता दें कि देश में 2022 की तुलना में पीएम2.5 के औसत स्तर में मामूली इजाफा हुआ है। 2022 में पीएम 2.5 का स्तर 53.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीएम2.5 के लिए पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का मानक तय किया था, जिसे स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित माना गया है। मतलब कि हवा में इससे ज्यादा प्रदूषण लोगों को बीमार करने के लिए काफी है।

भारत की 96 फीसदी आबादी यानी 133 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जहां पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानकों से सात गुणा खराब है। वहीं यदि शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो देश की 66 फीसदी शहरों में पीएम2.5 का वार्षिक औसत स्तर 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है।  

यह जानकारी 2023 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट में सामने आई है, जिसे स्विस ग्रुप आईक्यू एयर द्वारा जारी किया गया है। जो इस श्रंखला की छठी वार्षिक रिपोर्ट है। अपनी इस रिपोर्ट में आईक्यू एयर के वायु गुणवत्ता वैज्ञानिकों ने 134 देशों के 7,812 स्थानों पर मौजूद 30,000 से अधिक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

गौरतलब है कि जहां बांग्लादेश में पीएम 2.5 का औसत स्तर 79.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है। जो डब्ल्यूएचओ द्वारा तय गुणवत्ता मानक से 15 गुण अधिक है। बता दें कि बांग्लादेश को दुनिया का सबसे प्रदूषित देश घोषित किया गया है। इसी तरह पाकिस्तान में भी यह आंकड़ा 73.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।

यदि देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां 2023 में पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 102.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जो उसे दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनाता है। बता दें कि 2022 में यह आंकड़ा 92.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। मतलब की इस दौरान दिल्ली के प्रदूषण में दस फीसदी का इजाफा हुआ है।

दिल्ली पिछले लगातार चार वर्षों से दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में नवंबर 2023 के दौरान स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही, जब पीएम 2.5 का औसत स्तर बढ़कर 255 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था।

महज सात देश में मानकों पर खरी है वायु गुणवत्ता

इसके बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका में वायु गुणवत्ता सबसे खराब है, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 80.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दुनिया के 134 में से केवल सात देश ऐसे हैं, जो वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस और न्यूजीलैंड शामिल हैं। इसका मतलब है कि दुनिया के अधिकांश (92.5 फीसदी) देशों में प्रदूषण स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं है।

रिपोर्ट में जो महत्वपूर्ण बाते सामने आई हैं, उनके मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया में जलवायु संबंधी परिस्थितियां और सीमा पार से आने वाली धुंध बढ़ते प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह रहीं। इस क्षेत्र में करीब-करीब हर देश में पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि हुई है। मध्य और दक्षिण एशिया क्षेत्र दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों का घर था। वहीं इस क्षेत्र के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारतीय हैं।

इन शहरों में बिहार का बेगुसराय शामिल था, जहां पीएम 2.5 का स्तर 118.9 दर्ज किया गया। बेगुसराय को दुनिया के सबसे प्रदूषित महानगर का भी ओहदा दिया गया है, जहां 2023 में पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 118.9 दर्ज किया गया। हालांकि 2022 में वहां पीएम पीएम 2.5 का औसत स्तर 19.7 रिकॉर्ड किया गया था।

इसके बाद गुवाहाटी में हवा सबसे ज्यादा दूषित रही, जहां 2023 में पीएम 2.5 का औसत स्तर 105.4 था। इसी तरह दिल्ली में 102.1, सिवान में 90.6, सहरसा में 89.4, कटिहार में 88.8, ग्रेटर नॉएडा में 88.6, बेतिया में 85.7, समस्तीपुर में 85.3, मुजफ्फरनगर में 85 और गुरुग्राम में पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 84 दर्ज किया गया। जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से कई गुणा ज्यादा है।

स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हैं प्रदूषण के यह महीन कण

रिपोर्ट के अनुसार जहां पिछले छह वर्षों पहले से कहीं अधिक देशों और क्षेत्रों ने वायु गुणवत्ता की निगरानी पर जोर दिया है, हालांकि इसके बावजूद अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां सरकारों के पास वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए पर्याप्त उपकरण मौजूद नहीं हैं। इस मामले में अफ्रीका में स्थिति कहीं ज्यादा खराब है। अफ्रीका में एक तिहाई आबादी के पास अभी भी वायु गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों तक पहुंच नहीं है।

वायु प्रदूषण दुनिया के लिए कितना बड़ा खतरा बन चुका है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह हर साल दुनिया भर में होने वाली 70 लाख मौतों के लिए जिम्मेवार है। इसका मतलब है कि हर नौवीं मौत की वजह हवा में घुला यह जहर है। इतना ही नहीं हवा में मौजूद पीएम 2.5 रूप महीन कण लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहे हैं। इन कणों के संपर्क में आने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारियां शामिल है।

स्वास्थ्य पर पड़ते इनके प्रभाव इन बीमारियों तक ही सीमित नहीं है। यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और विकास पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे उनमें कई तरह के मानसिक विकार पैदा हो सकते हैं। इसी तरह यह कण मधुमेह सहित अन्य बीमारियों की जटिलता को और बढ़ा सकते हैं।

भारत में वायु गुणवत्ता के बारे में ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।