प्रदूषण

कोविड वाली दीपावली : रोक के बावजूद दगे पटाखे, दिल्ली-एनसीआर बना धुंध और धुएं का चैंबर

शाम से ही दिल्ली और आस-पास शहरों में पटाखे फोड़े जाने लगे और वायु गुणवत्ता बिगड़ना शुरु हो गई जो कि इस वक्त गंभीर स्तर पर पहुंच गई है। लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।

Vivek Mishra

देश के कई राज्यों में इस बार कोविड-19 महामारी के चलते दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाले पटाखों पर रोक और नियमन की सलाह दी गई थी लेकिन इसके बावजूद यह रोक पूरी तरह प्रभावी नहीं हो पाई। पूरी तरह से रोक वाले दिल्ली और आस-पास के शहरो में शाम छह बजे से ही पटाखों की आवाजें सुनी जाने लगीं। वहीं, दिल्ली-एनसीआर की हवा के प्रमुख प्रदूषक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और पार्टिकुलेट मैटर 10 का स्तर एक बार फिर इमरजेंसी लेवल की ओर बढ़ने लगा है। दिल्ली इस बार भी स्मॉग यानी धुंए और धुंध की जद में आ गई है। यह घातक वायु प्रदूषण कोविड-19 के मरीजों की संख्या को भी बढा सकता है। 

कोविड-19 के दौर में भी सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसी अदालतों का आदेश, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश आदि का दिल्ली-एनसीआर में पूरी तरह से पालन नहीं हो पाया। यह एक बड़ी मुश्किल पैदा कर सकता है क्योंकि आईसीयू बेडों की किल्लत झेल रहे अस्पतालों में वायु प्रदूषण जनित रोगों का इलाज शायद ही आसानी से मिल पाए। 

नोएडा-70 के निवासी आलोक कुमार ने बताया कि शाम छह बजे से ही लगातार पटाखे दगने शुरू हो गए, जबकि बैन भी था ऐसे में इन्हें पटाखे मिले कहां से यह बड़ा सवाल है। पिछले साल की तुलना में स्थिति कुछ बेहतर जरूर लग रही है लेकिन धुआं और धुंध दोनों का मिश्रण साफ देखा जा सकता है। इसी तरह से गाजियाबाद में भी कई लोगों ने यह बताया कि शाम से ही पटाखे दगने शुरू हो गए। दिल्ली और नोएडा बॉर्डर पर भी पटाखे फूटे। वहीं, लोगों ने आंखों में जलन और सांस फूलने की समस्या का भी जिक्र किया। 

केंद्रीय एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने  14 नवंबर, 2020 को जारी अपने नए अनुमान में भी बताया कि रात में 01 बजे से सुबह 06 बजे तक वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो सकती है। वहीं, अतिरिक्त उत्सर्जन के कारण 15 नवंबर की सुबह भी वायु गुणवत्ता खराब रह सकती है। साथ ही पंजाब और हरियाणा की ओर से पराली जलाने की घटनाओं में देर रात बढ़ोत्तरी हो सकती है। 

दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 11 और 12 नवंबर को घटकर 3 से 4 फीसदी तक बची थी, हालांकि 13 नवंबर से एक बार फिर पराली प्रदूषण की हिस्सेदारी बढ़ने लगी और जो 14 नवंबर तक 32 फीसदी के आस-पास पहुंच गई। वहीं 3 से 5 नवंबर के बीच दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी 42 फीसदी तक अधिकतम रही है।  

सफर ने अपने अनुमान में बताया है कि उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवाएं यानी पंजाब और हरियाणा की ओर से आने वाली हवाएं अपने साथ प्रदूषण ला सकती हैं जिससे दिल्ली और आस-पास के इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब हो सकता है। 15 और 16 नवंबर को यदि पश्चिमी विक्षोभ के कारण बूंदा-बांदी हुई तो जरूर प्रदूषण से राहत मिलेगी।

सफर ने कहा है कि इस बार का मौसम बेहद नाटकीय परिवर्तन कर रहा है और इस कारण से हवा के खराब होने और सुधरने की गुंजाइशें बार-बार बदल रही हैं।  हवा में पीएम 2.5 का सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 का सामान्य मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। 

पीएम 2.5 प्रदूषक को सेहत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है जो कि श्वसन तंत्र को गहराई तक प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव तात्कालिक रूप में भी दिखाई या महसूस हो सकता है मसलन, आंख, नाक, गला और फेफड़ों में असहजता, कफ, नाक बहना और सांसों का फूलना हो सकते हैं। 

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत दिल्ली-एनसीआर की हवा में पल-पल पीएम 2.5 और पीएम 10 की निगरानी करने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष (सीसीआर) के मुताबिक 13 और 14 नवंबर. 2020 की दर्मियानी रात को 12 बजे दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 का स्तर सामान्य मानकों से तीन गुना ज्यादा 194.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। वहीं, समान अवधि में पीएम 10 का स्तर 358.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। यह भी अपने सामान्य मानक (100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से करीब चार गुना ज्यादा स्तर पर था। 

पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 14 नवंबर, 2020 में दिनभर बढ़ता रहा और शाम पांच बजे इमरजेंसी लेवल की दहलीज पर 294 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जबकि पीएम 10 का स्तर भी आपात स्तर की दहलीज  464 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। 

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तहत यह तय किया गया था कि यदि 48 घंटे तक हवा में पीएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बनी रहती है तो दिल्ली में आपात स्तर के नियम लागू होंगे। इन आपात नियमों में हॉट मिक्स प्लांट, स्टोन क्रशर व निर्माण गतिविधि पर रोक संबंधी निर्णय शामिल है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने हाल ही में ग्रैप लागू करने का निर्णय लिया था जिसके बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 17 नवंबर तक हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर पर रोक लगा दिया था ताकि वायु प्रदूषण का स्तर दीपावली के दिन खराब न होने पाए। 

दिल्ली और उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में 24 घंटे वाली वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब से गंभीर श्रेणी के बीच झेल रही है। शाम चार बजे सीपीसीबी की ओर से देश के विभिन्न शहरों का जारी किया गया वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ने स्थिति गंभीर होने के संकेत दे दिये थे। मसलन दिल्ली का एक्यूआई जहां 414 रहा जबकि गाजियाबाद का एक्यूआई 456, हिसार का एक्यूआई 468, जींद का एक्यूआई 469, रोहतक का एक्यूआई 422, सिरसा का एक्यूआई 418, बागपत का एक्यूआई 447, फरीदाबाद का एक्यूआई 378, फतेहाबाद का एक्यूआई 478 रिकॉर्ड किया गया। यह सभी शहर गंभीर वायु गुणवत्ता वाली श्रेणी में रहे। 

14 नवंबर दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर विभिन्न घंटों पर शाम छह बजे के बाद : स्रोत सीपीसीबी

समय पीएम 2.5 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) पीएम 10 का स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर)
रात 7 बजे

305.6

रेड लाइन

 473
रात आठ बजे  318  484.7
रात 9 बजे  322.4  487