प्रदूषण

जोधपुर में कारखानों से निकल रहा केमिकल युक्त जानलेवा पानी, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब

आरोप है कि जोधपुर में कारखानों के हानिकारक केमिकल युक्त पानी छोड़ा जा रहा है, जिसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों से केमिकल युक्त पानी के मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। आरोप है कि जोधपुर में कारखानों के हानिकारक केमिकल युक्त पानी छोड़ा जा रहा है, जिसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। पूरा मामला राजस्थान के जोधपुर जिले का है।

इस मामले में 15 मई, 2024 को दिए अपने निर्देश में ट्रिब्यूनल ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बालोतरा के कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट को सेंट्रल बेंच के सामने अपने जवाब दाखिल करने को कहा है।

गौरतलब है कि इस बारे में 16 मार्च, 2024 को बालोतरा नामक पत्रिका में एक खबर प्रकाशित हुई थी। इस खबर के मुताबिक डोली-अराबा क्षेत्र से निकलता केमिकल युक्त पानी बालोतरा के कल्याणपुर तक पहुंच गया है।

इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है। कई दिन बीत जाने के बावजूद अधिकारियों ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इस खबर में जल अधिनियम, 1974 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के उल्लंघन के मुद्दे को भी उठाया गया है।

एनजीटी ने फॉर्मल्डिहाइड फैक्ट्रियों के संबंध में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी सफाई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य लोगों को उचित पर्यावरणीय मंजूरी के बिना यमुनानगर में चल रही फॉर्मल्डिहाइड बनाने वाली फैक्ट्रियों के संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया है। 15 मई 2024 को दिए आदेश के तहत इन लोगों को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना हलफनामा कोर्ट में दाखिल करना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अगस्त, 2024 को होनी है।

मामला यमुनानगर में नियमों को ताक पर रख चल रही फॉर्मेल्डिहाइड इकाइयों से जुड़ा है, जो बिना किसी पर्यावरणीय मंजूरी के चल रही हैं।

आवेदक के वकील का कहना है कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, इन कारखानों के संचालन के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) प्राप्त करना आवश्यक है। उन्हें ईसी प्राप्त किए बिना काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। 

चेन्नई कन्याकुमारी औद्योगिक गलियारे में कनेक्टिविटी में किया जाएगा सुधार: तमिलनाडु सरकार

तमिलनाडु सरकार ने चेन्नई कन्याकुमारी औद्योगिक गलियारे (सीकेआईसी) के प्रभाव क्षेत्र में पड़ने वाले अपने सड़क नेटवर्क को अपग्रेड करने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, औद्योगिक क्षेत्रों को बंदरगाहों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों और महत्वपूर्ण आंतरिक इलाकों से जोड़ना है।

विशेष रूप से, परियोजना चेन्नई कन्याकुमारी औद्योगिक गलियारे के हिस्से के रूप में चेय्यूर-वंदावसी-पोलूर सड़क और ईस्ट कोस्ट लिंक रोड के चेय्यूर-पनय्यूर खंड को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। यह परियोजना 29 जनवरी, 2021 को शुरू हुई थी। यह जानकारी राजमार्ग और लघु बंदरगाह विभाग की ओर से तमिलनाडु राजमार्ग विभाग द्वारा दायर एक रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि इस परियोजना में किसी नई सड़क का निर्माण शुरू करने की जगह मौजूदा सड़क को अपग्रेड और चौड़ा करने की बात कही गई है। ईसीआर लिंक तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) में ओडियूर झील के ऊपर से गुजरता है, जिसे एक संवेदनशील क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है।

हालांकि, ईसीआर लिंक के इस हिस्से के लिए सीआरजेड से मंजूरी प्राप्त नहीं की गई है, क्योंकि बैकवाटर खंड में सड़क का किसी तरह का कोई नियोजित सुधार नहीं हुआ है। रिपोर्ट का यह भी कहना है कि इस परियोजना के लिए फंडिंग को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा मंजूरी दी गई। हालांकि एडीबी को सौंपे गए प्रस्ताव में सीआरजेड की मंजूरी शामिल नहीं थी, सभी आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी होने पर निर्माण शुरू कर दिया गया।

आवेदक ने एनजीटी से उत्तरदाताओं को ओडियूर लैगून पर एक पुल बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। इससे सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जल प्रवाह बेहतर होगा।

वहीं रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मौजूदा दो पुल, जो अच्छी स्थिति में हैं, उन्हें हटाकर पूरे लैगून पर एक नया पुल बनाना अनावश्यक है। यह लैगून 900 मीटर लंबा है। ट्रिब्यूनल ने देखा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि सीआरजेड जोन-आईबी क्षेत्र में दो पुलों के मध्य से ज्वार का प्रवाह बाधित न हो, इसके लिए अतिरिक्त वेंट स्थापित करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में आश्वासन दिया गया है कि सीआरजेड-आईबी क्षेत्र में अतिरिक्त वेंट के निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।