प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
प्रदूषण

संकट में बिहार की दाहा नदी, एनजीटी ने लिया संज्ञान

बिना ट्रीटमेंट सीवेज और औद्योगिक कचरे के प्रवाह से दाहा नदी में बढ़ा रहा प्रदूषण, एनजीटी ने मांगा जवाब, 10 दिसंबर 2025 को होगी अगली सुनवाई

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • बिहार की दाहा नदी गंभीर प्रदूषण के संकट में है, जिस पर एनजीटी ने संज्ञान लिया है।

  • याचिकाकर्ता का आरोप है कि गोपालगंज, सिवान और छपरा में बिना ट्रीटमेंट के सीवेज और औद्योगिक कचरा नदी में छोड़ा जा रहा है।

  • एनजीटी ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 10 दिसंबर 2025 को होगी।

बिहार की दाहा नदी गंभीर संकट का सामना कर रही है, लेकिन संबंधित अधिकारी इसे अनदेखा कर रहे हैं, यह आरोप नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल याचिका में लगाया गया है, जिस पर 6 अक्टूबर 2025 को सुनवाई हुई। इस बारे में एनजीटी ने बिहार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड समेत अन्य संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।

इस मामले में 10 दिसंबर 2025 को एनजीटी की पूर्वी बेंच में अगली सुनवाई होगी।

इस बारे में याचिकाकर्ता प्रयाग कुमार ने 27 मई 2025 को एनजीटी के सार्वजनिक शिकायत पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप है कि गोपालगंज जिले से निकलकर सिवान होते हुए छपरा में गंडक नदी से मिलने वाली दाहा नदी में बिन ट्रीटमेंट के सीवेज और औद्योगिक कचरा छोड़ा जा रहा है।

गोपालगंज, सिवान और छपरा में नाले का पानी सीधे नदी में डाला जा रहा है, जिससे नदी का पानी गंभीर रूप से प्रदूषित हो रहा है। इससे नदी के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।

2023 में गोपालगंज के बाढ़ नियंत्रण एवं जल निकासी विभाग के मुख्य अभियंता ने गंडक-दाहा-घाघरा नदी लिंक योजना का एक प्रस्ताव तैयार किया था और इसे बिहार सरकार को भेजा था। लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक मंजूरी न मिलने के कारण यह काम शुरू नहीं हो सका। याचिकाकर्ता ने इस मामले में बाढ़ नियंत्रण कार्यालय गोपालगंज, सारण के कमिश्नर और जल शक्ति मंत्रालय से भी संपर्क किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सूर सरोवर बर्ड सेंचुरी में नए भूखंड शामिल, तीसरे क्षेत्र की अधिसूचना का इन्तजार: रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के आगरा में सूर सरोवर बर्ड सेंचुरी के विस्तार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। 24 अप्रैल 2025 को आगरा के जिलाधिकारी ने तहसील किरावली के रुनकता और चौमा फराह गांव की 14.5 हेक्टेयर सरकारी जमीन को सेंचुरी में शामिल करने की घोषणा की थी।

24 सितंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के मुख्य वन्यजीव संरक्षक ने सूर सरोवर बर्ड सेंचुरी के प्रस्तावित विस्तार पर एक रिपोर्ट एनजीटी में सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस विस्तार में तीन भूखंड शामिल हैं, जिनका क्षेत्रफल क्रमशः 4.309 हेक्टेयर, 380.558 हेक्टेयर और 15.415 हेक्टेयर है।

रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 26 ए के तहत पहले दो क्षेत्रों के लिए अंतिम अधिसूचनाएं जारी कर दी गई हैं, जबकि तीसरे क्षेत्र के लिए अधिसूचना प्रक्रिया में है।

गौरतलब है कि 22 मई 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस तीसरे क्षेत्र के संबंध में सूर सरोवर बर्ड सेंचुरी के प्रस्तावित विस्तार से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अभी तक अंतिम अधिसूचना जारी नहीं हुई है।