पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है। फोटो: रोहित पराशर 
प्रदूषण

रिलायंस पर सीपीसीबी ने लगाया एक करोड़ का पर्यावरणीय जुर्माना, इंडस्ट्री ने एनजीटी से आदेश रद्द करने की मांग की

एनसीआर में पेट्रोल पंप और पेट्रोल रीफ्यूलिंग स्टेशनों और स्टोरेज टर्मिनल पर वैपर रिकवरी सिस्टम नहीं लगाने के लिए लगाया जुर्माना

Vivek Mishra

पेट्रोल पंप और पेट्रोल भंडारण केंद्रों पर निकलने वाली खतरनाक गैसों को कम करने के लिए वैपर रिकवरी सिस्टम न लगाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर एक करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्मान लगाने का आदेश दिया है। हालांकि, अब इंडस्ट्री की ओर से इस आदेश के विरुद्ध नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि इस आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे पहले किसी तरह का कारण बताओ नोटिस भी नहीं दिया गया।

'वेपर रिकवरी सिस्टम' तकनीक के माध्यम से पेट्रोलियम भंडारण टैंकों से निकलने वाली खतरनाक गैसों को कैप्चर किया जाता है। रिक्त पेट्रोलियम भंडारण टैंकों को दोबारा भरने के दौरान बेंजीन और जाइलीन जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

19 जुलाई को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से एनजीटी में दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। रिलायंस की ओर से कहा गया कि 13 जून, 2024 को सीपीसीबी की ओर से आदेश जारी कर कहा गया था कि ट्रिब्यूनल की ओर से दिए गए आदेश के तहत कंपनी समय रहते एनसीआर में पेट्रोल पंप और भंडारण केंद्रों पर वैपर रिकवरी सिस्टम लगाने में विफल रही है, ऐसे में कंपनी को एक करोड़ रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना भरना होगा।

दरअसल इस मामले में एनजीटी ने एक और 22 नवंबर, 2018 को विस्तृत आदेश में सभी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को 30 अप्रैल, 2019 तक एनसीआर में सभी पेट्रोल पंप और स्टोरेज टर्मिनल में वैपर रिकवरी सिस्टम लगाने का आदेश दिया था। साथ ही सीपीसीबी से समय रहते आदेश का पालन न होने पर पर्यावरणीय जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया था।

वहीं, रिलायंस की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेश न लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने सुप्रीम कोर्ट में 2019 में ट्रिब्यूनल के द्वारा दिए गए इसी आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद 14 फरवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को वैपर रिकवरी सिस्टम लगाने की समय सीमा बढाने का आदेश दिया था।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च, 2023 को आईओसीएल के मामले में अपने आदेश में कहा था कि सीपीसीबी एनजीटी के आदेश का पूर्ण रूप से पालन करे। इसके बाद सीपीसीबी ने एनसीआर में वैपर रिकवरी सिस्टम लगाने में देरी करने पर आईओसीएल पर भी एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।

वहीं, अब रिलायंस के मामले में सीपीसीबी की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि वह पर्यावरणीय जुर्माने संबंधी आदेश से पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था या नहीं, इस तथ्य को देखेंगे, इसके लिए उन्हें चार हफ्तों का समय चाहिए।

मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त, 2024 को होगी।